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तेजी से आ रही तबाही: धरती पर आसमानी आफत, वैज्ञानिकों में चिंता
साल 2020 दुनियाभर के लिए इतिहास और यादगार रहने वाला साल है। ये साल अभी तक किसी देश के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए मुसीबतों और दुख-दर्द से भरा रहा है।
नई दिल्ली़: साल 2020 दुनियाभर के लिए इतिहास और यादगार रहने वाला साल है। ये साल अभी तक किसी देश के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए मुसीबतों और दुख-दर्द से भरा रहा है। ऐसे में एक तरफ कोरोना महामारी दुनियाभर में बीते कई महीने से तबाही मची हुई है, वहीं दूसरी तरफ अभी तक इसका सफल इलाज लोगों को नहीं मिल पाया है। इन मुश्किलों के साथ अब एक नई आसमानी आफत तेजी से धरती की तरफ अपने कदम बढ़ा रही है।
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14 सितंबर को एक एस्टेरोइड
इस नई मुसीबत के बारे में अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार, 14 सितंबर को एक एस्टेरोइड धरती के पास से गुजरा था। लेकिन अब 17 सितंबर को भी एक एस्टेरोइड धरती के पास से गुजरने का अंदाजा लगाया जा रहा है।
ऐसे में अब सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि ये एस्टेरोइड विशालकाय है। इसका नाम एस्टेरोइड 2014. 110 डायमीटर है। इस एस्टेरोइड का आकार लंदन के ब्रिज के बराबर विशालकाय है।
लेकिन अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने साथ ही ये भी कहा है कि चिंता करने की कोई बात नहीं है। ये एस्टेरोइड भले ही आकार में बड़ा है लेकिन यह धरती को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। ये बिना टकराए निकल जाएगा। और ये काफी राहत की बात है।
फोटो-सोशल मीडिया
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धरती से निकटतम दूरी पर
जब ये टकरा कर निकलेगा उस समय इसकी रफ्तार 8.66 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी। स्काई लाइव के अनुसार, अगले 10 वर्षों को देखते हुए 17 सितंबर को UTC समयानुसार 23:50 (रात के 11 बजकर 50 मिनट) बजे यह धरती से निकटतम दूरी पर होगा।
इसके अलावा द सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जैक्ट्स के वैज्ञानिकों के अनुसार, इस एस्टेरोइड से किसी प्रकार की कोई जनहानी नहीं होगी। यह 2.56 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर पृथ्वी की कक्षा से होकर गुजरेगा। ये डिस्टेंस(दूरी) 6.6668 चंद्र दूरी के बराबर है। जिसके चलते सन् 2020 में धरती पर एस्टेरोइड गिरने की चिंता खत्म हो गई है।
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एस्टेरोइड खतरनाक
चलिए आपको बताते हैं कि क्या ये एस्टेरोइड खतरनाक होते हैं? आमतौर पर क्षुद्रग्रहों से पृथ्वी से कोई खतरा नहीं होता है, लेकिन सौरमंडल के ग्रहों और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल इन्हें प्रभावित कर सकता है। इसीलिए इनका अध्ययन किया जाता है।
इसके अलावा इनके अध्ययन से दुनियाभर के वैज्ञानिकों को हमारे सौरमंडल के बारे में भी जानकारी मिलने की उम्मीद होती है क्योंकि इन वे तत्व होते हैं जिनका निर्माण हमारे सौरमंडल के निर्माण के वक्त हुआ था।
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