शोधकर्ताओं का हैरतअंगेज दावा- इस दवा से ठीक हो रहे कोरोना वायरस के मरीज

दुनिया में वैश्विक महामारी बनकर फैल चुके कोरोना वायरस की दवा खोजने के लिए हर देश अपने प्रयासों में जुटा हुआ है। इस बीच ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने सोमवार को दावा किया है कि उन्होंने इस वायरस के खिलाफ लड़ने वाली दो दवाएं खोज ली हैं।

Aditya Mishra
Published on: 16 March 2020 4:43 PM GMT
शोधकर्ताओं का हैरतअंगेज दावा- इस दवा से ठीक हो रहे कोरोना वायरस के मरीज
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नई दिल्ली: दुनिया में वैश्विक महामारी बनकर फैल चुके कोरोना वायरस की दवा खोजने के लिए हर देश अपने प्रयासों में जुटा हुआ है। इस बीच ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने सोमवार को दावा किया है कि उन्होंने इस वायरस के खिलाफ लड़ने वाली दो दवाएं खोज ली हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने में कारगर दो दवाओं - एचआईवी और मलेरिया रोधी का पता लगा लिया है।

सोमवार को आई खबर के अनुसार, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के क्लिनिकल शोध केंद्र के निदेशक डेविड पैटर्सन ने कहा कि दो दवाओं को टेस्ट ट्यूब में कोरोना वायरस को रोकने के लिए इस्तेमाल किया गया और यह कारगर है और इंसानों पर परीक्षण के लिए तैयार भी है।

उन्होंने यह भी बताया कि इन दवाओं में एक एचआईवी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा है और दूसरी मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली क्लोरोक्वीन है।

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ऑस्ट्रेलिया के मरीजों पर किया गया शोध

पैटर्सन ने बताया कि इन दोनों दवाओं का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया में कुछ संक्रमित मरीजों पर किया गया और पाया गया कि उनमें वायरस पूरी तरह से गायब हो गया।

इस संबंध में और जानकारी देते हुए रॉयल ब्रिसबेन एंड वीमेन्स हॉस्पिटल में संचारी बीमारी के डॉक्टर पैटर्सन ने कहा कि यह संभावित प्रभावी इलाज है। इस इलाज के अंत में पाया गया कि मरीज के शरीर में कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई संकेत तक नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस वक्त हम पूरे ऑस्ट्रेलिया के 50 अस्पतालों में बड़े पैमाने पर दवा का इंसानों पर परीक्षण करना चाहते हैं ताकि अन्य दवाओं के साथ इन दो दवाओं के सम्मिश्रण का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सके।

पैटर्सन ने दावा करते हुए कहा कि कुछ मरीजों पर कोरोना वायरस की इस दवा का बहुत ही सकारात्मक असर हुआ है, हालांकि इसका नियंत्रित परिस्थितयों या तुलानात्मक आधार पर परीक्षण नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि यह दवा टैबलेट के रूप में है जिसे मरीज को मुंह के जरिए दिया जाता है।

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