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सावधान: दिमाग से जुड़े कोरोना के तार, खतरनाक हैं लक्षण

दुनिया कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में लगी हुई है। लेकिन अभी तक कोई कारगर वैक्सीन तैयार नहीं हो पाई है, यहीं वजह से की ये वायरस तेजी से पूरे विश्व में अपने पैर पसार रहा है।

Vidushi Mishra
Published on: 4 April 2020 2:14 PM IST
सावधान: दिमाग से जुड़े कोरोना के तार, खतरनाक हैं लक्षण
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सावधान: दिमाग से जुड़े कोरोना के तार, खतरनाक हैं लक्षण

नई दिल्ली। दुनिया कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में लगी हुई है। लेकिन अभी तक कोई कारगर वैक्सीन तैयार नहीं हो पाई है, यहीं वजह से की ये वायरस तेजी से पूरे विश्व में अपने पैर पसार रहा है। दुनियाभर के न्यूरोलॉ​जिस्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस अब पहले से भी ज्यादा खतरनाक हो गया है। कोरोना वायरस से जुड़ी एक खबर आ रही हैं कि इसने गले और फेफड़े के साथ अब दिमाग को भी जकड़ना शुरू कर दिया है।

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ब्रेन डिसफंक्शन

एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना पीड़ित मरीजों में एक तबका ऐसा भी है, जिसके दिमाग पर संक्रमण के गंभीर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। एक्सपर्ट ने इसे ब्रेन डिसफंक्शन का नाम दिया है।

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि इसका असर अब मरीज के बोलने की क्षमता पर भी पड़ने लगा है। कोरोना संक्रमित मरीजों के सिर पर सूजन आने के कारण उनमें सिरदर्द की शिकायत बढ़ती जा रही है। इसके साथ ऐसे मरीजों में गंध सूंघने और अलग अलग तरह के स्वाद को पहचानने की क्षमता भी घट रही है।

इटली की ब्रेसिका यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटल से जुड़े डॉ. एलेसेंड्रो पेडोवानी ने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीजों में बीते कुछ दिनों से बदलाव देखने को मिल रहा है। ऐसा नहीं है कि ये बदलाव केवल ​इटली में ही देखने को मिले हैं यह दूसरे देशों के डॉक्टरों ने भी देखा है कि अब कोरोना के मरीजों में दिमाग में खून के थक्के जमना, सून्न हो जाना, दिमाग में सूजन आना, बोलने में दिक्कत, ब्रेन स्ट्रोक, दिमागी दौरे जैसे कई लक्षण देखने को मिल रहे हैं।

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दिमाग के लिए कोई भी तकनीक विकसित नहीं

कुछ केस में कोरोना का मरीज बुखार और सांस में तकलीफ जैसे लक्षण दिखने से पहले ही बेसुध हो जाता है। इटली में ऐसे मरीजों के लिए अलग से न्यूरो-कोविड यूनिट शुरू की गई है।

कोरोना संक्रमण के दुनियाभर से अलग तरह के केस आने के बाद डॉक्टरों ने कहा है कि दुनिया इसके लिए तैयार नहीं है। पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शैरी चोउ के मुताबिक, फेफड़े डैमेज होने पर वेंटिलेटर से मरीज की मदद की जा सकती है लेकिन दिमाग के लिए अभी तक ऐसी कोई भी तकनीक विकसित नहीं की जा सकी है।

ऐसे में कुछ मरीजों से बात करने के बाद पता चला है कि अब कोरोना वायरस सिर्फ सांस की नली तक ही सीमित नहीं रह गया है। यह नर्वस सिस्टम तक पहुंच रहा है जो सांस लेने की क्षमता को पूरी तरह से खत्म कर देता है। चीन में हुए एक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि कोरोना से पीड़ित 15 फीसदी मरीजों में मानसिक स्तर पर कोई न कोई दिक्कत आई है।

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