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दिलचस्प कहानी है इस जज की, चार प्रधानमंत्रियों ने दिया एक्सटेंशन, चारों को अपने सामने खड़ा कर दिया कठघरे में
Pakistan Crisis: जस्टिस मोहम्मद बशीर इस्लामाबाद में नैब की तीनों अदालतों में प्रशासनिक जज हैं। इसका मतलब है कि देश की राजधानी इस्लामाबाद में जो भी नैब का मामला आएगा उसकी सुनवाई जज बशीर ही करेंगे।
Pakistan Crisis: पाकिस्तान के इस जज की कहानी काफी दिलचस्प है। ये वे जज हैं जिनके कटघरे में चार-चार प्रधानमंत्री अपनी हाजिरी लगा चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इनके सामने पेश होने वाले ये प्रधानमंत्री इसी जज साहब को अपने कार्यकाल में एक्सटेंशन भी दिए थे। इस बार बारी थी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की। इमरान खान भी इस जज के सामने कठघरे में खड़े हुए और अपनी दलील दी।
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पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को पाकिस्तान की नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद से देश में उथल पुथल मचा हुआ है। उन्हें मंगलवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट के परिसर में अल-कादिर यूनिवर्सिटी घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था। बुधवार को इस्लामाबाद की पुलिस लाइन्स में एक अस्थाई अदालत बैठी और इमरान के मामले की सुनवाई हुई। नैब के अभियोजकों ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इसांफ के अध्यक्ष इमरान की 14 दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन जज बशीर ने आठ दिन की ही रिमांड दी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान को गुरुवार को तत्काल रिहा करने के आदेश दिए। इमरान को शुक्रवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में पेश होना होगा।
कौन हैं जज मोहम्मद बशीर?
जस्टिस मोहम्मद बशीर इस्लामाबाद में नैब की तीनों अदालतों में प्रशासनिक जज हैं। इसका मतलब है कि देश की राजधानी इस्लामाबाद में जो भी नैब का मामला आएगा उसकी सुनवाई जज बशीर ही करेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि जज बशीर के पास केस सुनने या न सुनने का विकल्प भी रहता है। वे चाहें तो इन तीनों अदालतों के किसी अन्य जज के पास केस को ट्रांसफर कर सकते हैं।
तीन साल के लिए होती है नियुक्ति, लेकिन...
पाकिस्तान के कानून मंत्रालय के नियमों के अनुसार नैब के जजों को तीन साल के लिए नियुक्त किया जाता है, लेकिन जज बशीर के साथ ये बात लागू नहीं होती। वे पिछले 11 साल से इस्लामाबाद में नैब के कोर्ट संख्या एक में नियुक्त हैं। जज बशीर को 2012 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने नियुक्त किया था। इसके बाद 2018 में नवाज शरीफ ने उन्हें एक बार फिर तीन साल के लिए नियुक्त कर दिया। 2021 में उनका दूसरा कार्यकाल भी खत्म हो गया, लेकिन उस समय के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिर उन्हें तीन साल के लिए जज नियुक्त कर दिया। सूत्रों की मानें तो 2024 में उन्हें एक और एक्सटेंशन देने की तैयारी चल रही है।
आइए जानते हैं कैसे होती है नैब के जजों की नियुक्ति?
नैब के जज की नियुक्ति के लिए जज के नाम का सुझाव इस्लामाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की ओर से पाकिस्तान के कानून मंत्रालय को भेजा जाता है। कानून मंत्रालय इस प्रस्ताव को कैबिनेट के सामने रखती है। कैबिनेट की सहमति के बाद फिर ये फाइल राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है जहां इस पर अंतिम मुहर लगती है।
तीनों बड़ी सियासी पार्टियों के दौर में मिला एक्सटेंशन-
सेशन्स जज मोहम्मद बशीर का नाम इस्लामाबाद हाई कोर्ट के दो मुख्य न्यायाधीशों ने सुझाया था। दिलचस्प ये है कि जज बशीर को पाकिस्तान की तीनों बड़ी सियासी पार्टियों के दौर में एक्सटेंशन मिला और जिस भी प्रधानमंत्री ने उन्हें एक्सटेशन दिलाई, वही उनके सामने अभियुक्त बनकर पेश हुआ।
कैसे चार प्रधानमंत्री पेश हुए जज बशीर के सामने?
11 अक्टूबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ लाहौर में नैब की कोर्ट में पेश हुए। जज बशीर के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने 2012 के बाद चार प्रधानमंत्रियों को अभियुक्त के तौर पर अपनी अदालत में पेश होते पाया है। इनमें पीपुल्स पार्टी के राजा परवेज अशरफ, मुस्लिम लीग (नवाज) के शाहिद खाकान अब्बासी और नवाज शरीफ और अब तहरीक-ए-इंसाफ के इमरान खान। नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम शरीफ और उनके दामाद कैप्टन सफदर को इन्हीं जज बशीर ने एवेनफील्ड अपार्टमेंट केस में भ्रष्टाचार का दोषी करार देते हुए, उन्हें जेल भेजा था। जज बशीर का करियर काफी दिलचस्प रहा है। देखा जाए तो आमतौर पर जजों को एक टर्म के लिए ही नियुक्त किया जाता है, लेकिन यहां मोहम्मद बशीर के मामले में यह लागू नहीं होता दिखा उन्हें जो भी सत्ता में आया उन्हें एक्सटेंशन दिया इस तरह से उन्हें इस पद पर चार बार बैठने का मौका मिला है। वे ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति हैं।
अब इमरान की बारी...
इमरान खान 9 मई को अदालत में पेश होने के लिए पहुंचे थे जब उन्हें नैब ने गिरफ्तार किया था। इमरान खान 9 मई को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में पेशी पर आए, जहां उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने गिरफ्तार कर लिया और अब इमरान की बारी है। अल कदीर ट्रस्ट मामले ने उन्हें मोहम्मद बशीर के एसी-1 कोर्ट में पहुंचा दिया है। मोहम्मद बशीर को सरकार समर्थक जज माना जाता है। कार्यवाही के दौरान वो बहुत धैर्य से सुनते हैं, दलीलों के लिए पर्याप्त समय देते हैं और बढ़े ध्यान से बहस सुनते हैं। जज मोहम्मद बशीर तीन बड़ी राजनीतिक पार्टियों के पसंदीदा जज रहे हैं, वो इतने जटिल इंसान हैं कि उन पर एक पूरी किताब लिखी जा सकती है।