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Chandrayaan-2! देखेगी दुनिया, आज चांद पर उतरेगा भारत
मिशन चंद्रयान-2 को और खास बनाने के लिए पीएम मोदी इसरो में स्कूली बच्चों के साथ लैंडिंग देखेंगे। चंद्रयान-2 की लैंडिंग को देखने के लिए देश के साथ साथ सभी विदेशों की नजरें बेताब है। खास बात यह है कि चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद का 35 KM दूर चक्कर लगा रहा है।
नई दिल्ली: कभी चंदा मामा, कभी करवाचौथ तो कभी ईद का चांद! कभी महबूबा का चांद तो कभी इश्क का चांद, कभी एकादशी का चांद तो कभी पूर्णिमा का चांद। ऐसे ही तमाम बातें या चांद के बारे में आप सुने होंगे …..जी हां आइये हम आपको लेकर चलते हैं चांद पर
चांद पर पहुंचने के लिए शुरू किया गया भारत का 48 दिवसीय मिशन पूरा होने में अब 48 घंटे से भी कम समय बचा है। आपको जानकर बहुत खुशी होगी कि भारतीय समयानुसार शनिवार रात 7 सितंबर रात 1 बजकर 55 मिनट चंद्रयान 2 चाँद की सतह पर उतरेगा। शनिवार को चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा लैंडर विक्रम।
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खास बात यह है कि मिशन चंद्रयान-2 को और खास बनाने के लिए पीएम मोदी इसरो में स्कूली बच्चों के साथ लैंडिंग देखेंगे। चंद्रयान-2 की लैंडिंग को देखने के लिए देश के साथ साथ सभी विदेशों की नजरें बेताब है। खास बात यह है कि चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद का 35 KM दूर चक्कर लगा रहा है।
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बता दें कि भारत का चंद्रयान-2 इतिहास रचने के बेहद करीब पहुंच चुका है। छह-सात सितंबर की रात करीब दो बजे चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर उतरकर इतिहास रच देगा। मिशन की तमाम बाधाओं को सफलतापूर्वक पार करने की वजह से मून मिशन के सफल होने की उम्मीदें काफी बढ़ चुकी हैं।
यान के तीन हिस्से...
चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं, ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। भारत में अंतरिक्ष विज्ञान के जनक कहे जाने वाले विक्रम साराभाई के नाम पर इसके लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। वहीं रोवर का नाम प्रज्ञान है, जो संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ होता है ज्ञान। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर, सालभर चांद का चक्कर लगाते हुए प्रयोगों को अंजाम देगा। लैंडर और रोवर चांद की सतह पर कुल 14 दिन तक प्रयोग करेंगे।
15 बाधाओं को किया पार...
चंद्रयान-2 ने अपने 48 दिन के सफर में से लगभग 46 दिन पूरे कर लिए हैं। इस दौरान चंद्रयान-2 ने मिशन की 15 बड़ी बाधाओं को सफलतापूर्व पार कर लिया है। अब चांद पर सफल लैडिंग इसकी अंतिम बाधा है। माना जा रहा है कि चंद्रयान-2 पहले की सभी बाधाओं की तरह ही चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की अंतिम चरण भी आसानी से पूरा कर लेगा।
11 साल पहले भेजा था चंद्रयान-1...
11 साल पहले चंद्रयान-1 के रूप में भारत ने चांद की ओर पहला मिशन भेजा था। यह एक ऑर्बिटर मिशन था, जिसने 10 महीने चांद का चक्कर लगाया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है। अब चंद्रयान-2 इसी उपलब्धि की आगे की कड़ियां जोड़ेगा और चांद के पानी व विभिन्न खनिजों की उपस्थिति के प्रमाण जुटाएगा।
15 जुलाई को होना था लॉच...
चंद्रयान-2 को 15 जुलाई की सुबह 2:51 बजे लांच करने की तैयारी थी। हालांकि उस दिन लांचिंग से 56 मिनट पहले रॉकेट में कुछ गड़बड़ी दिखने के कारण अभियान को टाल दिया गया था। वैज्ञानिकों का कहना था कि ऐसे अभियान में देरी स्वीकार्य है, लेकिन खामी नहीं। ऐसे हर अभियान से देश के करोड़ों लोगों की उम्मीद जुड़ी होती है। जरा सी खामी अभियान को खतरे में डाल सकती है।
22 जुलाई को किया गया लॉच...
चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को राजस्थान के श्रीहरिकोटा स्थित विक्रम साराभाई स्पेस एंड रिसर्च संस्थान (इसरो) से दोपहर 2:43 बजे लॉच किया गया था। इसरो के बाहुबली रॉकेट ने प्रक्षेपण के ठीक 16 मिनट बाद ही यान को सुरक्षित तरीके से पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इसके बाद यान ने रॉकेट से अलग होकर चंद्रमा की तरफ अपना सफर शुरू कर दिया।
चंद्रयान-2 का सफर...
धरती के इर्द-गिर्द : 1 से 23वें दिन तक
चांद की ओर रवाना : 23वें दिन
चांद के सफर पर : 23वें से 30वें दिन
चांद की कक्षा में प्रवेश : 30वें दिन
चांद के इर्द-गिर्द : 30वें से 42वें दिन
लैंडर-ऑर्बिटर का अलगाव : 43वें दिन
रफ्तार धीमी करने की प्रक्रिया : 44वें दिन
नियंत्रित लैंडिंग की प्रक्रिया : 48वें दिन
लैंडिंग : 48वें दिन (छह-सात सितंबर की रात करीब दो बजे)
चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश होगा भारत...
सात सितंबर की सुबह करीब दो बजे जैसे ही चांद की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर-रोवर कदम रखेंगे, भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने ही अपने यान चांद पर उतारे हैं। हालांकि, भारत अपने यान को चांद के उस हिस्से में उतराने वाला है; जहां आज तक कोई देश नहीं पहुंचा। चांद के हिस्से में हर वक्त अंधेरा रहता है। संभावना है कि यहां पानी, बर्फ और ऑक्सीजन मिल सकता है।
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पूरी दुनिया को है उम्मीद...
भारत ने अपने पहले मिशन चंद्रयान-1 में कई अहम खोज की थी। इस मिशन में भारत ने ही चांद पर बर्फ और पानी की मौजूदगी का खुलासा किया था। ये जानकारी पूरी दुनिया के लिए काफी अहम साबित हुई थी। अब भारत चांद के उस हिस्से में अपने यान को उतारने जा रहा है, जहां कई नए रहस्यों का खुलासा हो सकता है। इस वजह से भारत के इस मिशन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। चंद्रयान-2 की सफल लॉचिंग पर ही नासा ने इसरो को बधाई दी थी। नासा चंद्रयान-2 की पल-पल की गतिविधि पर नजर रखे हुए है।
चंद्रयान-2 पर एक नजर...
चंद्रयान-2 के बाद दूसरा चन्द्र अन्वेषण अभियान है, जिसे इसरो ने विकसित किया है।
अभियान को जीएसएलवी संस्करण 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपण करने की योजना है। इस अभियान में भारत में निर्मित एक चंद्र कक्षयान, एक रोवर और एक लैंडर शामिल है।
चंद्रयान-2 लैंडर और रोवर चंद्रमा पर लगभग 70° दक्षिण के अक्षांश पर स्थित दो क्रेटरों मज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच एक उच्च मैदान पर उतरने का प्रयास करेगा।
पहिएदार रोवर चंद्र सतह पर चलेगा और जगह का रासायनिक विश्लेषण करेगा।
पहिएदार रोवर चन्द्रमा की सतह पर चलेगा तथा वहीं पर विश्लेषण के लिए मिट्टी या चट्टान के नमूनों को एकत्र करेगा। आंकड़ों को चंद्रयान-2 कक्षयान के माध्यम से पृथ्वी पर भेजा जायेगा।
उड़ान के समय इसका वजन लगभग 3,250 किलो होगा।
ऑर्बिटर 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चन्द्रमा की परिक्रमा करेगा। इस अभियान में ऑर्बिटर को पांच पेलोड के साथ भेजे जाने का निर्णय लिया गया है।
तीन पेलोड नए हैं, जबकि दो अन्य चंद्रयान-1 ऑर्बिटर पर भेजे जाने वाले पेलोड के उन्नत संस्करण हैं। उड़ान के समय इसका वजन लगभग 1400 किलो होगा।
ऑर्बिटर उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरा (Orbiter High Resolution Camera) लैंडर के ऑर्बिटर से अलग होने पूर्व लैंडिंग साइट के उच्च रिज़ॉल्यूशन तस्वीर देगा।
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