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अफवाह या हकीकत, भारत का चंद्रयान उठायेगा इस झूठ से पर्दा
आप सभी जानते होंगे कि अमेरिका की नासा ने 16 जुलाई, 1969 को मिशन 'अपोलो 11’ के तहत चंद्रमा पर पहली बार नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन को भेजा गया था। जब इंसान ने चांद पर कदम रखा, तो इस कामयाबी के संदर्भ में पृथ्वी के सभी देश काफी खुश नजर आये।
नई दिल्ली: कभी चंदा मामा, कभी करवाचौथ तो कभी ईद का चांद! कभी महबूबा का चांद तो कभी इश्क का चांद, कभी एकादशी का चांद तो कभी पूर्णिमा का चांद। ऐसे ही तमाम बातें या चांद के बारे में आप सुने होंगे .....जी हां आइये हम आपको लेकर चलते हैं चांद पर
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आप सभी जानते होंगे कि अमेरिका की नासा ने 16 जुलाई, 1969 को मिशन 'अपोलो 11’ के तहत चंद्रमा पर पहली बार नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन को भेजा गया था। जब इंसान ने चांद पर कदम रखा, तो इस कामयाबी के संदर्भ में पृथ्वी के सभी देश काफी खुश नजर आये।
कहावत है कि सफलता पर सवाल जल्दी प्रकट होते हैं। अमेरिका की इस सफलता पर जल्द ही प्रश्न चिन्ह जन्म लेने लगे थे। सवाल है कि अमेरिका के इस मिशन में क्या अफवाह या क्या झूठ छिपा है, क्या भारत भारत का चंद्रयान उठायेगा इस झूठ से पर्दा?
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गौरतलब है कि पहली बार चांद पर इंसानों (नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन) को भेजा गया था। हालांकि, इस मिशन को लेकर सामने आए फोटोज को लेकर कई अफवाहें सामने आई थीं, जो निम्न है...
1. आर्मस्ट्रांग ने चांद पर 20 जुलाई, 1969 को पहला कदम रखा था, जिससे पूरी दुनिया वाकिफ हैं। दोनों अतंरिक्ष यात्रियों ने चांद पर अमेरिका का राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया था। सामने आये फोटो को आधार बनाकर हमेशा सवाल उठाते रहे हैं कि जब चांद पर हवा नहीं है तो कैसे झंडा फरहाया जा सकता है?
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2. कुछ लोगों ने यहां तक आरोप लगाया कि नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन चांद पर गए ही नहीं। नील पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस पूरे घटनाक्रम को स्टूडियो में शूट किया गया है।
3. साथ हा साथ यह भी कहा गया कि इस मिशन को अमेरिका ने रूस को स्पेस रिसर्च के मामले में हराने के लिए रचा था।
4. अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा चांद से ली गई तस्वीर में एक भी तारा दिखाई नहीं दे रहा है। ये कैसे संभव है?
5. तस्वीर में एक भी ब्लास्ट क्रैटर क्यों नहीं दिखाई दे रहा ?
6. चांद पर उतरने वाले 17 टन के मॉड्यूल बालू पर खड़े दिख रहे थे, लेकिन उनका वहां कोई निशान क्यों नहीं बना?
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नासा ने दी जानकारी...
नासा ने उठ रहे इन सभी प्रश्नों के जवाब देने के लिए जून, 1977 को एक फैक्ट शीट जारी की थी। इसमें उन्होंने ऐसे तथ्य बताए थे, जो साबित कर सकें कि “अपोलो 11’ मिशन गलत नहीं था। “अपोलो 11’ मिशन को साबित करने के लिए उन्होंने चांद से लाए ऐसे पदार्थ भी लोगों के सामने रखे, जिन्हें धरती पर पैदा नहीं किया जा सकता।
उसका कहना था कि ज्यादातर ऑपरेशन लैंडिंग के दौरान चांद से हजार फीट की ऊंचाई से किए गए थे। वहां कुछ विशेष परिस्थितियां बनाई गई थी।
ऐसे में देखना रोचक होगा कि भारत के इसरो की तरफ से 14 जुलाई 2019 को भेजा गया चन्द्रयान, इन सभी अफवाहों से बीच क्या नया लाता है, क्या झूठ है क्या सच है जल्दी ही तमाम बातों पर विराम लग जायेगा। जैसे जैसे चन्द्रयान से तस्वीरें इसरो को मिलती जायेगी, इन सभी रहस्यों से पर्दा उठता जायेगा।