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मुसलमानों के लिए खतरे की घंटी: चीन तोड़ रहा मस्जिद और कब्रिस्तान को, पढ़ें पूरा मामला

चीन के शिनजियांग प्रान्त में रहने वाले मुसलमानों के लिए खतरे की घंटी बज गई है। खासकर उइगर मुसलमानों के लिए। ऐसा हम नहीं बल्कि वहां के हालात ये बात कह रहे हैं।

Aditya Mishra
Published on: 9 Aug 2023 8:18 PM IST
मुसलमानों के लिए खतरे की घंटी: चीन तोड़ रहा मस्जिद और कब्रिस्तान को, पढ़ें पूरा मामला
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नई दिल्ली: चीन के शिनजियांग प्रान्त में रहने वाले मुसलमानों के लिए खतरे की घंटी बज गई है। खासकर उइगर मुसलमानों के लिए। ऐसा हम नहीं बल्कि वहां के हालात ये बात कह रहे हैं।

उइगर मुसलमानों पर चीन की अमानवीयता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि मुसलमानों को यहां के डिटेंशन सेंटरों में बंदी बनाकर रखा जा रहा है। इतना ही नहीं उइगुरों को दाढ़ी रखने और धार्मिक कार्यक्रम करने पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है।

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मुसलमानों के पूर्वजों की पहचान मिटाने में जुटा चीन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुसलमानों के पूर्वजों की कब्रों को नष्ट करने का काम तेजी के साथ किया जा रहा है। उइगुरों की पहचान खत्म करने के लिए हर उस जगह पर पार्किंग और खेल का मैदान बनाया जा रहा है। जहां से उनका पुराना नाता है।

सैटेलाइट के माध्यम से अमानवीयता की तस्वीरें आई सामने

चीन में मुसलमानों के ऊपर की जा रही अमानवीयता की तस्वीरें भी सैटेलाइट के माध्यम से सामने आ रही हैं। जिसमें साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि कैसे बर्बरता के साथ मस्जिदों और कब्रिस्तानों को तोडकर वहां पर नये खेल के मैदान बनाये जा रहे हैं। यहां की खबरें बाहर लीक न हो इसके लिए चीन ने मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है।

चीन ने आरोपों को किया खारिज

मानवाधिकार समूहों ने जब इस बात की जानकारी लोगों के सामने रखनी चाही तो इन आरोपों को चीन ने सिरे से खारिज कर दिया। इस दौरान इस बात की भी जानकारी दी गई थी कि शिंजियांग में रहने वाले लोगों पर चीन द्वारा कड़ी नजर रखी जाती है।

यहां किसी भी मीडिया संस्थान के आने की मनाही है। एक रिपोर्ट में कहा गया कि वहां बड़े तौर पर नये डिटेंशन कैंप बनाये जा रहे हैं और उस इलाके में बड़ी मात्रा में पुलिस तैनात की गई है।

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यहां जानें कौन हैं उइगुर मुसलमान

उइगुर 10वीं शताब्दी में इस्लाम के करीब आना शुरू हुए और 16वीं शताब्दी तक बड़े पैमाने पर मुस्लिम बन गए, और जिसके बाद से ही इस्लाम ने उइगुर संस्कृति और पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उइगुर पूर्वी और मध्य एशिया में बसने वाले तुर्की जाति की एक जनजाति है। इस्लाम को मानने वाले उइगुर समुदाय के लोग चीन के सबसे बड़े और पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग प्रांत में रहते हैं।

उइगुर लोग उइगुर भाषा बोलते हैं जो तुर्की भाषा से आने वाली एक बोली है। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत इस क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम में स्थित तारिम घाटी में रहते हैं।

चीन में उइगुरों की आबादी एक करोड़ से अधिक

चीन में उइगुरों की आबादी एक करोड़ से अधिक है। उइगुरों को केवल एक क्षेत्र के मूल निवासियों के रूप में मान्यता दी जाती है, जोकि चीन का शिंजियांग क्षेत्र है।

उइगुरों को चीन द्वारा केवल एक बहुसांस्कृतिक राष्ट्र के भीतर एक क्षेत्रीय अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता प्राप्त है और चीन उनके स्वदेशी समूह होने के विचार को खारिज करता रहा है।

उइगुर एक अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह है जो मध्य और पूर्वी एशिया के सामान्य क्षेत्र से सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुए हैं। उन्हें चीन के 55 आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त जातीय अल्पसंख्यकों में से एक माना जाता है।

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Aditya Mishra

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