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अब होगा युद्ध! चीन-पाकिस्तान ने रची नई साजिश, इस सीमा पर भेजे युद्धक विमान
चीनी सेना ने ऐलान करते हुए कहा कि ये विमान द्विपक्षीय युद्धाभ्यास (के लिए भेजे हैं। चीन सेना ने कहा कि इस युद्धाभ्यास का लक्ष्य दोनों देशों की वायु सेनाओं को वास्तविक युद्ध के लिए प्रशिक्षण देना है।
नई दिल्ली: चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। अब चीन ने साजिश के तहत गुजरात सीमा के नजदीक लड़ाकू विमान भेजे हैं। यहां पाकिस्तानी युद्धाभ्यास होने जा रहा है जिसके लिए उसने अपने फाइटर प्लेन भेजे हैं। यह भी चीन एक साजिश ही है।
चीनी सेना ने ऐलान करते हुए कहा कि ये विमान द्विपक्षीय युद्धाभ्यास (के लिए भेजे हैं। चीन सेना ने कहा कि इस युद्धाभ्यास का लक्ष्य दोनों देशों की वायु सेनाओं को वास्तविक युद्ध के लिए प्रशिक्षण देना है। पाकिस्तान और चीनी वायुसेना मिलकर यह युद्धाभ्यास करने जा रहे हैं। इस युद्धाभ्यास का नाम शाहीन-9 है।
कई सालों से हो रहा युद्धाभ्यास
चीनी सेना ने इसको लेकर बयान जारी किया है। बयान के मुताबिक, चीनी सेना का एयर फोर्स दस्ता सोमवार को युद्धाभ्यास में शामिल होने के लिए सिंध के भोलारी एयरबेस पर पहुंच चुका है। आगे बयान में बताया गया है कि इस युद्धाभ्यास का लक्ष्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी सहयोग को और ज्यादा मजबूत करना है। पिछले साल युद्धाभ्यास शाहीन चीन में हुई थी। यह अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास था और उसमें करीब 50 युद्धक विमान शामिल हुए थे।
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भारत के साथ सीमा विवाद जारी
बता दें कि चीन और पाकिस्तान इससे पहले भी युद्धाभ्यास करते आ रहे हैं, लेकिन इस बार भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है जिसके कारण इस बार के युद्धाभ्यास को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत और चीन के बीच अप्रैल के बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बरकरार है। जून महीने में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के भारत ने चीन के खिलाफ बेहद सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। भारत ने साफ कर दिया है कि सीमा पर अशांति के साथ दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं।
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इन देशों ने चीन को दिया सख्त संदेश
इससे पहले भारत ने ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका की नौसेनाओं के साथ युद्धाभ्यास किया था और चीन को साफ संदेश दिया था। 17 नवंबर से 20 नवंबर तक इस युद्धाभ्यास के दूसरे चरण का आयोजन किया गया था। पहले चरण का आयोजन 3 से 6 नवंबर तक बंगाल की खाड़ी में हुआ था। पहली बार ऑस्ट्रेलिया इस युद्धाभ्यास में शामिल हुआ था।
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