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अमेरिका के कड़े रुख से बौखलाया चीन, चार अमेरिकी सीनेटरों के प्रवेश पर लगाया बैन

मगर जानकारों का कहना है कि चीन की ओर से यह कदम अमेरिका द्वारा चीनी अधिकारियों और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों पर लगाए गए बैन के जवाब में उठाया गया है।

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Published on: 13 July 2020 9:38 PM IST
अमेरिका के कड़े रुख से बौखलाया चीन, चार अमेरिकी सीनेटरों के प्रवेश पर लगाया बैन
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अंशुमान तिवारी

बीजिंग: चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के साथ ज्यादती के मुद्दे पर अमेरिका के कड़े रुख से चीन बौखला गया है। चीन ने चार अमेरिकी सीनेटरों के प्रवेश पर बैन लगाने का एलान किया है। चीन का कहना है कि अमेरिका लगातार चीन में अल्पसंख्यक समूह पर अत्याचार को लेकर गलतफहमी फैला रहा है और सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों की बेवजह आलोचना कर रहा है। अमेरिका के चीन विरोधी कदम के खिलाफ यह कदम उठाया गया है।

चीन ने इसलिए लगाया बैन

दरअसल चीन उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर अमेरिका की कड़ी आलोचना से काफी नाराज है। चीन की ओर से अमेरिकी सीनेटरों मार्को रूबिओ, टेड क्रूज, क्रिस स्मिथ और धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी राजदूत सैम ब्राउनबैंक के प्रवेश पर बैन लगाने का एलान किया गया है। हालांकि चीन की ओर से इसका कारण उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर अमेरिका के दुष्प्रचार को बताया जा रहा है। मगर जानकारों का कहना है कि चीन की ओर से यह कदम अमेरिका द्वारा चीनी अधिकारियों और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों पर लगाए गए बैन के जवाब में उठाया गया है। पिछले दिनों अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने चीन के अधिकारियों के वीजा पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।

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हाल ही में अमेरिका की ओर से शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकार हनन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया है। अमेरिका ने इसे लेकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि हाल में अमेरिका द्वारा उठाए गए कदमों से चीन और अमेरिका के संबंधों को काफी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका लगातार चीन विरोधी कार्रवाई में जुटा हुआ है। हमारी नजर में यह चीन के आंतरिक मामलों में दखल के सिवा कुछ नहीं है। चीनी प्रवक्ता ने कहा कि हम अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता बनाए रखने को लेकर पूरी तरह सख्त नीति का पालन करते हैं। हम अपने आंतरिक मामलों में किसी विदेशी ताकत को दखल की अनुमति नहीं दे सकते।

उइगर मुस्लिमों का मुद्दा गरमाया

चीन में उइगर मुसलमानों पर किए जा रहे अत्याचार का मुद्दा इन दिनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी गरमाया हुआ है। एक जर्मन शोधकर्ता ने भी खुलासा किया है कि चीन में उइगर मुसलमानों की जन्म दर को घटाने के लिए किस तरह सख्त नीति का पालन किया जा रहा है। मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक शिनजियांग में मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के 10 लाख से ज्यादा लोगों को कैद करके रखा गया है। वैसे चीन समय-समय पर इस मुद्दे पर अपनी सफाई पेश करता रहा है। चीन का कहना है कि इन लोगों को कट्टरपंथ से मुक्त कराने वाले शिविरों में रखा गया है न कि हिरासत में।

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पिछले दिनों अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के साथ दुर्व्यवहार का मुद्दा जोरशोर से उठाते हुए कहा था कि अमेरिका इस मामले में कड़ी कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने दुनिया के अन्य देशों से भी अपील की थी कि वे मानवाधिकारों के हनन के इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ आएं और चीन को इस तरह का व्यवहार करने से रोकें। अमेरिकी विदेश मंत्री ने तिब्बत की स्वायत्तता का भी समर्थन करते हुए चीन को घेरारा था। उनका कहना था कि तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों और उनकी धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को बचाए रखने के लिए अमेरिका पूरी तरह दृढ़ संकल्पित है। अमेरिकी विदेश मंत्री द्वारा उठाए गए ये दोनों मुद्दे चीन की कमजोर नस रहे हैं और अमेरिका द्वारा इसे उठाए जाने से चीन बौखला गया है।



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