कोरोना की शुरुआत छिपाने में जुटा चीन, रिसर्च के प्रकाशन पर लगाई पाबंदी

कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर पूरी दुनिया के निशाने पर आए चीन ने इस वायरस की उत्पत्ति के ऊपर किए जा रहे अध्ययन व शोध पर तमाम तरीके के प्रतिबंध लाद दिए हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 13 April 2020 3:53 PM GMT
कोरोना की शुरुआत छिपाने में जुटा चीन, रिसर्च के प्रकाशन पर लगाई पाबंदी
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर पूरी दुनिया के निशाने पर आए चीन ने इस वायरस की उत्पत्ति के ऊपर किए जा रहे अध्ययन व शोध पर तमाम तरीके के प्रतिबंध लाद दिए हैं। सरकार ने इस बाबत किए जा रहे अध्ययन के प्रकाशन के संबंध में नई नीति बना दी है। चीन सरकार की नई नीति के अंतर्गत आदेश जारी किया गया है कि सभी शैक्षणिक पेपर प्रकाशित करने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी।

रिसर्च से चीन को हो रहा नुकसान

दरअसल कोरोना वायरस के संबंध में वुहान व चीन के अन्य विश्वविद्यालयों में तमाम तरीके के अध्ययन किए जा रहे हैं। कई अध्ययनों के नतीजे ऐसे हैं जो चीन के हितों को ही नुकसान पहुंचाने वाले हैं। इन अध्ययनों के प्रकाशन से चीन सरकार ही दुनिया के अन्य देशों के निशाने पर आ जा रही है। इस कारण चीन ने अब इसे लेकर सख्त नीति अपनाने का फैसला किया है।

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अब होगी काफी कड़ाई

चीन की नई नीति के अंतर्गत कोरोना वायरस की उत्पत्ति पर किए गए किसी भी अध्ययन की पहले पुलिस से जांच करानी होगी। सरकारी अधिकारियों द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद ही इन अध्ययनों का प्रकाशन किया जा सकेगा।

दुनियाभर के निशाने पर चीन

चीन सरकार के इस कदम के बाद माना जा रहा है कि चीन सरकार कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में किए जा रहे शोध को लेकर काफी सतर्क हो गई है। वैसे ही इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन दुनियाभर के निशाने पर है। अमेरिका और आस्ट्रेलिया सहित कई देशों ने इसे लेकर चीन पर हमला बोला है। कई देशों का कहना है कि चीन ने इस वायरस को लेकर पूरी दुनिया को अंधेरे में रखा और यही कारण है कि स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो गईं।

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अपने ही रिसर्च से फंसा चीन

कोरोना वायरस को लेकर चीन के तमाम शोधकर्ता जनवरी से ही जुटे हुए हैं और इन शोधकर्ताओं का शोध तमाम अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुका है। कई शोधों में निकाले गए नतीजों से खुद चीन ही कटघरे में खड़ा हो गया है। जैसे चीन के ही शोध से यह खुलासा हुआ कि वहां से इस वायरस का संक्रमण मानव से मानव में हुआ और बाद में पूरी दुनिया इस वायरस के चपेट में आ गई।

सवालों के घेरे में चीन

कई शोधों में ऐसी बातें उजागर हुईं जिसके आधार पर चीन के आंकड़ों पर पूरी दुनिया में सवाल खड़े किए जा रहे हैं। चीन के सोशल मीडिया में भी इसे लेकर काफी विवाद हुआ है। चीन में कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों पर भी हमेशा सवालिया निशान लगते रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इसी कारण चीन ने आधिकारिक तौर पर कोरोना से जुड़े अध्ययनों पर अब सख्त रुख अपनाने का फैसला किया है।

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रिसर्च के रास्ते में बड़ी बाधा

चीन के एक शोधकर्ता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि चीन सरकार का यह कदम काफी चिंताजनक है। कोरोना वायरस के बारे में शोध किया जाना बहुत जरूरी है मगर यह कदम रिसर्च के रास्ते में बड़ी बाधा खड़ी कर सकता है। शोधकर्ता ने कहा कि सच्चाई यह है कि चीन की सरकार और अधिकारी इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा परिदृश्य पैदा हो सके जिससे पता लगे कि इस महामारी की उत्पत्ति चीन से नहीं हुई। शोधकर्ता के मुताबिक चीन की सरकार अब यह नहीं चाहती कि बीमारी की उत्पत्ति के बारे में कोई भी स्टडी पूरी की जाए।

कई स्तरों पर होगी जांच

चीन के शैक्षणिक विज्ञान और तकनीकी विभाग का भी कहना है कि वायरस की उत्पत्ति के बारे में किए जा रहे किसी भी रिसर्च पेपर को अब कड़े तरीके से देखा जाएगा। कोई भी पेपर तीन स्तरों से गुजर कर प्रकाशन के स्तर तक पहुंचेगा। चीन सरकार की नई नीति के तहत कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाना अब आसान नहीं होगा। पहले यूनिवर्सिटी की एकेडमिक कमेटी और उसके बाद शिक्षा मंत्रालय के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के पास यह पेपर भेजा जाएगा। उसके परीक्षण पूरा करने के बाद इसे स्टेट काउंसिल के पास भेजा जाएगा। फिर टास्क फोर्स की मंजूरी के बाद ही इसे किसी जर्नल में प्रकाशित किया जा सकेगा। इतनी लंबी चौड़ी प्रक्रिया के बाद किसी भी रिसर्च पेपर का प्रकाशित होना संभव नहीं लगता।

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वायरस की उत्पत्ति को लेकर विवाद

दरअसल कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर शुरू से ही विवाद रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार इसे चीनी वायरस बताया है। पश्चिमी देशों में ही नहीं बल्कि चीन के भी कई वैज्ञानिकों का मानना है कि यह चमगादड़ के जरिए इंसानों में फैला। दूसरी ओर चीनी सरकार सरकार अमेरिकी खुफिया एजेंसियों पर इस वायरस को चीन में फैलाने का आरोप लगाती रही है। अब चीनी सरकार के कड़े रुख के बाद ऐसा नहीं लगता कि इस वायरस की उत्पत्ति के बारे में पूरी दुनिया को कुछ भी पता लग पाएगा।

Dharmendra kumar

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