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कोरोना पर पहली बार बदले चीन के सुर, वायरस की जांच के लिए तैयार मगर रखी ये शर्त
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि हमें इस तरह की जांच पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जांच में किसी प्रकार की राजनीतिक दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए।
अंशुमान तिवारी
बीजिंग। कोरोना वायरस को लेकर चीन पूरी दुनिया के निशाने पर है। अमेरिका सहित दुनिया के तमाम देश इस मामले में चीन को दोषी बताते हुए जांच करने पर जोर देते रहे हैं। अभी तक इस मामले में अड़ियल रुख अपनाने वाला चीन पहली बार झुकता नजर आ रहा है। अब इस मामले को लेकर चीन के सुर बदल गए हैं और वह इस महामारी की उत्पत्ति की जांच के लिए तैयार हो गया है। लेकिन चीन ने इस मामले की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त भी रख दी है। चीन का कहना है कि उसके दरवाजे कोरोना वायरस के पैदा होने संबंधी किसी भी अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए खुले हैं मगर ऐसी जांच राजनीतिक हस्तक्षेप से पूरी तरह मुक्त होनी चाहिए।
राजनीतिक हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि हमें इस तरह की जांच पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जांच में किसी प्रकार की राजनीतिक दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के हमलों का जवाब देते हुए कहा की कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन को बदनाम करने का उनका प्रयास पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के आरोपों में कोई दम नहीं है। वे चीन को लेकर केवल अफवाह फैलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
मुकदमों का कानूनी आधार नहीं
वांग ने कहा कि इस मामले में चीन के खिलाफ मुकदमों का कोई भी कानूनी आधार नहीं है। कानून की नजर में चीन को गुनहगार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि हमें नाहक ही दोषी ठहराया जा रहा है, जबकि चीन भी इस महामारी का बड़ा भुक्तभोगी रहा है। इस तरह के मामलों में चलाए गए मुकदमों का अंतरराष्ट्रीय कानून की नजर में कोई आधार नहीं होता। इसलिए इस प्रकार की कोई भी कवायद न्यायसंगत नहीं है और कानूनी नजरिए से उसका कोई महत्व भी नहीं है। जो लोग इस तरह की कोशिश में जुटे हुए हैं, आखिरकार उन्हें ही अपमान झेलना पड़ेगा।
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जांच पूरी तरह निष्पक्ष होनी चाहिए
देश के वार्षिक संसद सत्र के मौके पर मीडिया से बातचीत में चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए तैयार है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह जांच निष्पक्ष, पेशेवर और रचनात्मक होनी चाहिए। निष्पक्षता की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी जांच में किसी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय दबाव से बदले सुर
चीन के रुख में इस बदलाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले वह कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए किसी भी प्रकार की जांच से कतराता रहा है। जानकारों का कहना है कि इस मामले में बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण ही चीन के सुर अब बदल रहे हैं। अमेरिका ने इस मुद्दे को लेकर चीन के खिलाफ जबर्दस्त मोर्चा खोल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो इसे चीनी वायरस तक की संज्ञा चुके हैं।
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डब्ल्यूएचओ की भूमिका की भी जांच होगी
इस महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की भी घेरेबंदी की जा रही है। डब्ल्यूएचओ के सदस्य देश इस महामारी से निपटने में इस वैश्विक एजेंसी की भूमिका की जांच के लिए तैयार हो गए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी डब्ल्यूएचओ की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है की डब्ल्यूएचओ ने इस मामले में जिम्मेदारी से भूमिका नहीं निभाई जिस कारण पूरी दुनिया इस बड़े संकट में घिर गई।
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