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चीन तैयार कर रहा एक ऐसा सीक्रेट स्कूल जो दुनिया से है काफी अलग
बीजिंग: चीन में चलने वाला एक सीक्रेट स्कूल दुनिया भर के स्कूलों से काफी अलग है। आम स्कूल जहां बच्चों को दुनिया से रूबरू होना सिखाते हैं तो वहीं चीन का गुप्त स्कूल अपने छात्रों को प्रेस से बात न करने की हिदायत देता है। राजधानी बीजिंग के गुप्त स्कूल में एक बड़ा प्रोजेक्टर लगा है जहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भाषणों को दिखाया जाता है। छात्र उन भाषणों को ध्यान से सुनते हैं, नोट्स बनाते हैं और राष्ट्रपति के सिंद्धातों पर ध्यान देते हैं।
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स्कूल में लाल कुर्सियां रखी हुई हैं जहां अधिकतर पुरुष छात्रों को कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य बनने के लिए तैयार किया जाता है। छात्रों को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विचारों की पेचीदगियों को समझाया जाता है। जिनपिंग स्वयं भी इस सेंट्रल पार्टी स्कूल के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं। हालांकि अब जिनपिंग के सिंद्धात पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। यह गुप्त स्कूल आमतौर पर किसी भी विदेशी मीडिया को अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं देता है।
स्कूल के अंदर चीन के कम्युनिस्ट नेता माओ त्से तुंग और चीन के सुधारवादी नेता तांग शियाओपिंग की विशाल मूर्तियां भी हैं। पार्टी स्कूल के उप-प्रमुख वांग गेंग बताते हैं, 'सैंद्धातिक शिक्षा के साथ-साथ पार्टी की संस्कृति से रूबरू करा कर हम पार्टी में भाईचारे की भावना को मजबूत करते हैं। हम यहां पार्टी और देश के प्रशासन को अपनी सेवाएं दे रहे हैं।' एक क्लास में चल रहे वीडियो संदेश में राष्ट्रपति शी जिनपिंग दावा कर रहे थे, 'साफ पानी और हरे-भरे पहाड़, सोने और चांदी के पहाड़ों जितने कीमती हैं।' क्लास का नाम था, 'शी जिनपिंग थॉट एंड इकोलॉजिकल सिविलाइजेशन।'
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इस पार्टी स्कूल की स्थापना साल 1933 में की गई थी। स्कूल के हर सेमेस्टर में करीब 1600 छात्र शामिल होते हैं। यहां आने वाले छात्रों की औसतन उम्र 40 साल के करीब रहती है। राजनीतिक सिंद्धातों के अलावा स्कूल में आर्थिक, सैन्य और अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भी जोर दिया जाता है।
चीनी मीडिया के मुताबिक इस स्कूल के छात्र बिना किसी ठोस कारण के क्लास से गायब नहीं रह सकते, साथ ही कैंपस में अनुशासन के नियम बेहद ही सख्त हैं। वांग ने बताया, 'हम ऐसी किसी भी चर्चा या विषय को नहीं उठाते जो नेताओं द्वारा लिए निर्णय की खिलाफत करता हो।' वांग ने यह भी बताया कि स्कूल में तियानमेन चौक की घटनाओं पर भी चर्चा की जाती है ताकि उनमें इतिहास की समझ विकसित हो और वे भविष्य में बेहतर निर्णय ले पाएं।
चीनी मीडिया के मुताबिक पहले स्कूल दुनिया से अलग-थलग रहता था लेकिन अब यह अपने शिक्षकों को विदेश भेजने लगा है। इसके साथ ही स्कूल ने विदेशी मेहमानों मसलन जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, यूएन के पूर्व महासचिव बान कि मून का भी स्वागत किया है।