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पोल खोलने पर भड़का चीन, राष्ट्रपति जिनपिंग की आलोचना पर उठाया ये कदम

चीन में एक पूर्व प्रोफेसर को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पोल खोलना महंगा पड़ गया है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने इस पूर्व प्रोफेसर के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

Newstrack
Published on: 19 Aug 2020 4:55 AM GMT
पोल खोलने पर भड़का चीन, राष्ट्रपति जिनपिंग की आलोचना पर उठाया ये कदम
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पोल खोलने पर भड़का चीन, राष्ट्रपति जिनपिंग की आलोचना पर उठाया ये कदम

बीजिंग: चीन में एक पूर्व प्रोफेसर को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पोल खोलना महंगा पड़ गया है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने इस पूर्व प्रोफेसर के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है। दरअसल प्रोफेसर काई शिया ने चीनी राष्ट्रपति की नीतियों पर सवाल उठाते हुए उन्हें कटघरे में खड़ा किया था। ‌ उनका कहना था कि चीन के लोग आर्थिक और सामाजिक दिक्कतों का सामना कर रहे हैं और उनका ध्यान भटकाने के लिए ही भारत के साथ सैन्य विवाद के मुद्दे को भड़काया गया है।

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पोल खोलने पर भड़का चीन, राष्ट्रपति जिनपिंग की आलोचना पर उठाया ये कदम

पूर्व प्रोफेसर को पार्टी से किया निष्कासित

सेंट्रल पार्टी स्कूल की पूर्व प्रोफेसर काई शिया चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीतियों की मुखर आलोचक रही हैं। हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने शिया को चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से निष्कासित किए जाने की खबर दी है। अखबार के मुताबिक शिया को अपने भाषणों से देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के आरोप में पार्टी से निष्कासित किया गया है।

भड़काऊ भाषण देने का आरोप

इस बाबत की स्कूल की वेबसाइट पर एक नोटिस भी लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि 68 वर्षीय काई को इसलिए दंडित किया गया है क्योंकि उन्होंने देश में राजनीतिक समस्या पैदा करने वाले भाषण दिए हैं। काई पर भड़काऊ भाषण देने और पार्टी के अनुशासन का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। काई ने अखबार को खुद के सुरक्षित और अमेरिका में होने की बात बताई है। उन्होंने इस संबंध में कुछ ज्यादा कहने से इनकार कर दिया।

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भारत के साथ जानबूझकर टकराव बढ़ाया

काई ने गत जून महीने में ब्रिटेन के गार्डियन अखबार को एक साक्षात्कार दिया था। इस साक्षात्कार में उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को घेरते हुए कहा था कि वे जानबूझकर चीन और भारत के बीच टकराव को बढ़ाने में जुटे हुए हैं। सही बात तो यह है कि वह देश की आर्थिक और सामाजिक समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने भारत के साथ सैन्य विवाद के मुद्दे को भड़काया है। काई के मुताबिक अपने फायदे के लिए जिनपिंग अमेरिका विरोधी भावनाओं को भी भड़काने में जुटे हुए हैं।

पहले भी हो चुकी है कार्रवाई

इससे पहले चीन में सरकार के स्वामित्व वाली रियल स्टेट कंपनी के पूर्व अध्यक्ष रेन झिकियांग को भी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से बाहर कर दिया गया था। झिक़ियांग ने भी कोरोना को लेकर राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर विफलता का आरोप लगाया था और सार्वजनिक रूप से उनकी आलोचना की थी।

उन्होंने मार्च महीने में एक आर्टिकल में अपनी भावना व्यक्त की थी और उसके बाद वे लापता हो गए थे। इस आर्टिकल में उन्होंने महामारी को लेकर जिनपिंग की विफलताओं का उल्लेख किया था। इसके बाद झिक़ियांग पर कार्रवाई की गई और उन पर भ्रष्टाचार, गबन और रिश्वत लेने के आरोप तक लगाए गए।

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सरकार विरोधी टिप्पणी बर्दाश्त नहीं

चीन में सरकार विरोधी बयानों और राष्ट्रपति के खिलाफ टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं किया जाता है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ आवाज उठाने वाले कई लोगों पर पूर्व में भी कार्रवाई की जा चुकी है। राष्ट्रपति के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को दंडित करने के लिए यहां पर सजा के कड़े प्रावधान किए गए हैं।

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