×

बड़ी खुशखबरी: आ रही कोरोना की वैक्सीन, मिलेगी खौफ से निजात

कोरोना वायरस से जल्दी से जल्दी छुटकारा पाने के लिए पूरी दुनिया ने पूरी ताकत झोंक रखी है। कोरोना वायरस के खिलाफ टीका ढूँढने के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक रात-दिन एक किए हुये हैं।

Newstrack
Published on: 21 July 2020 8:22 AM GMT
बड़ी खुशखबरी: आ रही कोरोना की वैक्सीन, मिलेगी खौफ से निजात
X

लखनऊ: कोरोना वायरस से जल्दी से जल्दी छुटकारा पाने के लिए पूरी दुनिया ने पूरी ताकत झोंक रखी है। कोरोना वायरस के खिलाफ टीका ढूँढने के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक रात-दिन एक किए हुये हैं। अब काले घने बादलों के बीच रोशनी की किरणें दिखनी शुरू हुईं हैं और ये रोशनी है कोरोना के खिलाफ एक टीके की जो शायद इसी साल हमारे बीच आ जाएगा।

ये भी पढ़ें:केजरीवाल सरकार का बड़ा एलान: अब घर तक पहुंचेगा राशन, लोगों को मिलेगी राहत

टीके की दौड़ में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टिट्यूट और आस्ट्रा ज़ेनेका फार्मा कंपनी द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन सबसे आगे है। इस टीके के अभी तक के ट्रायल सफल रहे हैं और उनकी नतीजों ने काफी उत्साह जगाया है। अगले चरण के ट्रायल में पता चलेगा कि कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यून रेस्पोंस से बीमारी केप प्रति सुरक्षा बनती है या नहीं। फिलहाल ब्राजील और साउथ अफ्रीका में बड़े पैमाने पर ट्रायल जारी हैं और जल्द ही अमेरिका में भी ट्रायल शुरू हो जायेंगे। ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों का कहना है कि उनकी वैक्सीन ने वायरस के खिलाफ दोहरी सुरक्षा मिल सकती है। जिन लोगों पर परीक्षण किया गया उनके खून के नमूनों की जांच से पता चला है कि उनके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी के साथ सतह वायरस को मरने वाले टी सेल्स भी बने। इस प्रोजेक्ट में भारत का सीरम इंस्टीट्यूट भी सहयोग कर रहा है।

टीके का प्रोडक्शन भी शुरू

जो कंपनियाँ टीका विकसित करने में लगी हैं उन्होने टीके के उत्पादन के लिए भी कमर कस ली है क्योंकि ट्रायल में सफल हो जाने पर तत्काल बड़ी संख्या में टीके की डोज़ बाजार में लानी होंगी और इसके लिए सभी इंतजाम पहले से करके रखने होंगे। डिमांड को पूरा करने के लिए कुछ कंपनियों ने अभी से प्रोडक्शन भी शुरू कर दिया है। जापान, रूस और चीन की कंपनियों ने बड़ी तादाद में प्रोडक्शन शुरू भी कर दिया है।

१३० टीकों पर जारी है काम

दुनिया में अलग अलग तरह के १३० टीकों पर काम चल रहा है। और अगले 6 से 18 महीने के भीतर बाजार में एक असरदार टीका आ जाने की उम्मीद है। डब्लूएचओ के अनुसार 19 टीके क्लीनिकल ट्रायल की स्टेज में हैं और 10 टीकों के इनसानी ट्रायल की मंजूरी दी गई है।

रूस का दावा – अगले महीने आयेगी वैक्सीन

कोरोना के टीके के बारे में सबसे बड़ा दावा रूस का है। रूस के शोधकर्ताओं ने कहा है कि वे अगले महीने यानी अगस्त में कोरोना की पहली वैक्सीन लांच कर देंगे। मास्को स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी के अनुसार वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे किये जा चुके हैं। इनके तहत १८ जून को ट्रायल शुरू हुए और वालंटियर्स का पहला बैच 15 जुलाई को डिस्चार्ज कर दिया गया जबकि दूसरे बैच को २० जुलाई को डिस्चार्ज किया गया। निजी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर सितंबर से इसका उत्पादन शुरू होने की संभावना है। रूस इस वर्ष घरेलू स्तर पर प्रायोगिक कोरोना वैक्सीन की तीन करोड़ खुराक का उत्पादन करने की योजना बना रहा है, जिसमें एक करोड़ 70 लाख विदेशों में निर्माण करने की क्षमता है।

चीन का टीका तीसरे चरण में

चीन की सिनोवाक बायोटेक कम्पनी वैक्सीन के तीसरे चरण में पहुँच गयी है। ये पहली वैक्सीन है जो तीसरे चरण में पहुँची है। टीके की पहली डोज़ 15 हजार वालंटियर्स को अबू धाबी में दी गयी। इनको २८ दिन के भीतर दो मर्तबा वैक्सीन दी गयी और शोधकर्ताओं ने इनके भीतर एंटी बॉडी का निर्माण देखा। वैसे चीन में चार वैक्सीन पर काम चल रहा है।

अमेरिका में फाइनल ट्रायल २७ से

अमेरिका में दिग्गज फार्मा कंपनी मोडेरना फाइनल स्टेज के ह्यूमन ट्रायल २७ जुलाई से शुरू करेगा। ये ट्रायल अमेरिका में ही ८७ जगहों पर किया जाएगा। इस टीके के निर्माण को अमेरिकी सरकार फंडिंग कर रही है।

अमेरिकी सरकार ने ऑपरेशन वार्प स्पीड के तहत तीन टीकों के लिए फंडिंग की है यानी ये तीन टीके रेस में सबसे आगे हैं। इनमें सबसे आगे ‘मोडेरना बायोटेक’ का टीका है जिसका अगले चरण का परीक्षान इसी महीने होना है। इसके बाद हैं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी व आस्ट्रा ज़ेनेका का टीका जो अगस्त में ट्रायल में जाएगा और फ़ाइज़र व बायोटेक कंपनी का टीका, जो सितंबर में परीक्षण में जाना है। अमेरिका के औषधि नियंत्रक यूएसएफडीए की गाइडलाइन के अनुसार इन टीकों को परीक्षण में कोविड-19 के खिलाफ न्यूनतम 50 फीसदी प्रभावी उतरना होगा इसके बाद ही इनके इस्तेमाल की अनुमति दी जाएगी।

भारत भी रेस में आगे

कोविड-19 का टीका विकसित करने की दौड़ में भारत भी आगे है। भारत बायोटेक और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलोजी का ‘कोवैक्सिन’ परीक्षण की स्टेज में है। प्री क्लीनिकल ट्रायल में ‘कोवैक्सिन’ के नतीजे बेहद उत्साहजनक रहे हैं। एक्स्पर्ट्स का कहना है कि सब कुछ ठीक रहा तब भी ये टीका बाजार में आने में साल भर का समय लग जाएगा।

आईसीएमआर यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और भारत बायोटेक ने मिलकर कोरोना की वैक्सीन विकसित करने की दिशा में काफी प्रगति कर ली है। इस वैक्सीन का इंसानी परीक्षण शुरू हो चुका है। अगर सारे परीक्षण सही रहते हैं तो कोरोना वायरस के खिलाफ असर दिखाने वाली यह भारत की पहली कोरोना वैक्सीन होगी। भारतीय दवा कंपनी जायडस कैडिला ने कहा है कि कोविड-19 के वैक्सीन बनाने के लिए मानव परीक्षण शुरू कर दिया गया है। वॉलिंटियर्स को पहले और दूसरे चरण के लिए कोरोना वायरस से बचाव का संभावित टीका विभिन्न स्थानों पर दिया जा रहा है।

एम्स में ह्यूमन ट्रायल

दिल्ली एम्स में कोरोना वायरस वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल शुरू होने को हैं। मानवता के प्रति इस पुनीत काम के लिए 1800 लोग तैयार हैं जबकि ह्यूमन ट्रायल के लिए एम्स को सिर्फ 100 लोग चाहिए थे। एम्स अब सभी को सैंपल देने के लिए बुलायेगा। दो से तीन दिन में इस ट्रायल को शुरू कर दिया जाएगा।

कोविड वैक्सीन प्रोजेक्ट के ट्रायल का परिणाम आने में समय लगेगा क्योंकि आई सी एम आर और बायोटेक कंपनी द्वारा तैयार की गई कोविड-19 की यह वैक्सीनकी दो डोज शेड्यूल हैं। जिनको ये डोज़ दी जाएगी उनके ब्लड सैम्पल समय समय पर लिए जाएंगे और उनकी सेहत पर नजर रखी जायेगी। इस ट्रायल से टीके की सेफ्टी व साइड इफेक्ट का पता चलेगा।

भारत के अन्य डेवलपमेंट

जायडस कैडिला की वैक्सीन परीक्षण के दौरान प्रभावी साबित हुई तो टीका आने में सात माह लगेंगे। पैनेशिया बायोटेक कम्पनी ने टीका विकसित करने के लिए अमेरिका की रेफैना के साथ करार किया है। कंपनी की आयरलैंड में एक संयुक्त उद्यम स्थापित करने की योजना है। 4 करोड़ से अधिक खुराक अलगे साल तक आपूर्ति की जा सकेंगी। प्री क्लिनिकल ट्रायल जारी है।

इंडियन इम्यूनोलॉजिकस फार्मा कम्पनी का कोरोना टीका विकसित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ करार है। कंपनी ऑस्ट्रेलिया की ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के साथ मिल कर रिसर्च करेगी। अभी प्री क्लिनिकल ट्रायल जारी है।

भारत की मायनवैक्स फार्मा की 18 माह में टीका विकसित करने की योजना है। कंपनी की दो दर्जन टीम टीका विकसित करने की दिशा में काम कर रही है। फिलहाल प्री क्लिनिकल ट्रायल जारी है।

कौन सा टीका किस स्टेज में

1. यूनिवेर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड - परीक्षण का तीसरा चरण।

2. सिनोवैक - परीक्षण का तीसरा चरण।

3. मोडेरना बायोटेक - परीक्षण का दूसरा चरण।

4. फ़ाइज़र, बायो एन टेक - परीक्षण का पहला व दूसरा चरण।

5. यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबोर्न, मर्डोक चिल्ड्रेन रिसर्च इंस्टीट्यूट - दूसरा चरण।

6. वुहान इंस्टीट्यूट, चाइना नेशनल फार्मा ग्रुप - परीक्षण का पहला व दूसरा चरण।

7. बीजिंग इंस्टीट्यूट, चाइना नेशनल फार्मा ग्रुप - परीक्षण का पहला व दूसरा चरण।

8. जीनेक्सीन - परीक्षण का पहला व दूसरा चरण।

9. गामलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट, रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय - परीक्षण का पहला व दूसरा चरण।

10. कैनसिनो बायोलोजी, चीन – दूसरा चरण

11. इनोविओ फर्मास्यूटिकल्स, अमेरिका – दूसरा चरण

12. क्योरवैक, जर्मनी – पहला चरण।

13. ग्लेक्सो स्मिथ क्लाइन, सनोफी – पहला चरण

14. भारत बायोटेक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलोजी – पहला चरण।

ये भी पढ़ें:बीजेपी ने शिवप्रताप शुक्ला को किया राज्यसभा में पार्टी का चीफ व्हिप नियुक्त

ऐतिहासिक काम

टीका विकसित करना एक लंबी प्रक्रिया होती थी। जो कांसेप्ट, डिजाइन, परीक्षण, मंजूरी जैसी स्टेजों से गुजरने के बाद निर्माण की अवस्था में पहुँचती थी। इसमें एक दशक या उससे ज्यादा समय लग जाता था। लेकिन कोविड-19 की तात्कालिक जरूरत ने सभी सिस्टम बदल डाले हैं। अब पूरा प्रोसेस एक साल या उससे से भी कम समय में पूरा हो जाने की उम्मीद है।

मेडिसिन के इतिहास में अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ है कि कोई टीका पाँच साल से कम समय में विकसित कर लिया गया हो। अभी तक ‘मम्प्स’ यानी गलसुआ बीमारी का टीका ही सबसे कम समय में बनाने में सफलता मिली है। मम्प्स के टीके के इनसानी ट्रायल अगले दो साल तक चले और दिसंबर 1967 में ‘मर्क’ कंपनी को इस टीके का लाइसेन्स मिला।

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story