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दुनिया को रूस द्वारा बनाई गई कोरोना की वैक्सीन पर क्यों नहीं है भरोसा, यहां जानें
डब्ल्यूएचओ भी बीते दिनों चेतावनी दे चुका है कि रूस को टेस्टिंग के परंपरागत तरीकों को छोड़कर वैक्सीन तैयार नहीं करना चाहिए। ऐसा करना ठीक नहीं है। आगे चलकर इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
नई दिल्ली: जब अमेरिका और भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना से त्राहिमाम कर रही है। ऐसे में रूस का कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा करना एक उम्मीद की किरण लेकर आया है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की है कि उनके देश ने कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार कर ली है। इसका परीक्षण भी सफल रहा है।
लेकिन दुनिया रूस के वैक्सीन को शक की नजरों से देख रही है। जिसके बाद से कोरोना की वैक्सीन पर अनगिनत सवाल उठ रहे हैं। आइए जानते हैं किन वजहों से रूसी वैक्सीन को संदेह भरी नजरों से देखा जा हैं।
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कोरोना की वैक्सीन की फ़ाइल फोटो
ये हैं वो 6 प्रमुख कारण
1.मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे विश्व को यह चिंता है कि रूस राजनीति या प्रोपेगैंडा के तहत हडबडाहट में वैक्सीन के सफल होने की घोषणा कर रहा है।
डब्ल्यूएचओ भी बीते दिनों चेतावनी दे चुका है कि रूस को टेस्टिंग के परंपरागत तरीकों को छोड़कर वैक्सीन तैयार नहीं करना चाहिए। ऐसा करना ठीक नहीं है। आगे चलकर इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
2. किसी भी वैक्सीन के लिए तीसरे फेज का ट्रायल (फाइनल टेस्टिंग) काफी अहम होता है जब हजारों लोगों पर लंबे वक्त तक वैक्सीन के प्रभाव की जांच की जाती है। लेकिन रूस की कोरोना वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल अभी पूरा नहीं हुआ है।
एक्सपर्ट्स की मानें तो इस वैक्सीन के बारे में उतनी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है जितनी ब्रिटेन या अमेरिका की वैक्सीन की जानकारी पब्लिक डोमेन में अवेलेबल है।
कहने का मतलब ये कि कब ट्रायल शुरू हुए और कितने वक्त तक किए गए? कितने लोगों को शामिल किया गया? वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट रहे? वैक्सीन लगाने के बाद कितने लोग कोरोना से संक्रमित हुए और बीमार होने से बच गए।
3. शक की एक और खास वजह है वो ये कि रूसी वैक्सीन का शुरुआती परीक्षण बंदर और फिर मनुष्यों पर हुए थे। रूस को इन ट्रायल में कथित तौर से सफलता मिली।
लेकिन वैक्सीन तैयार करने वाली संस्था Gamaleya Institute ने बड़े पैमाने पर वैक्सीन का नियंत्रित ट्रायल नहीं किया है जिससे वैक्सीन से सुरक्षा और खतरे की जांच हो सके।
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कोरोना टेस्ट करते डॉक्टर की फाइल फोटो
डब्ल्यूएचओ ने सूची में अभी तक नहीं किया शामिल
4.डब्ल्यूएचओ ने दुनियाभर की तमाम वैक्सीन की सूची बनाई है जिनके ट्रायल चल रहे हैं। लेकिन अभी तक इस लिस्ट में रूस की वैक्सीन को शामिल नहीं किया गया है।
रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय को वैक्सीन के इंसानी ट्रायल और किसी संभावित साइड इफेक्ट और रिसर्च वगैरह को लेकर विस्तृत सवाल भेजे गए थे, लेकिन मंत्रालय ने जवाब नहीं दिया।
5. रूसी सरकार से जुड़े हैकर वैक्सीन रिसर्च की जानकारी चोरी करने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी वजह से भी रूसी वैक्सीन पर दुनिया का शक बढ़ गया।
हालांकि, रूस के अधिकारियों ने वैक्सीन रिसर्च की जानकारी हैक करने के आरोपों को खारिज कर दिया। जबकि इससे पहले अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन की सरकार आरोप लगा चुकी हैं।
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