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दुनिया कोरोना से तंग: बरप रहा संक्रमण, आखिर चीन में सबकुछ नॉर्मल कैसे...
ग्रेट वाल घूमने के लिए टिकट फुल हो चुके हैं, टैक्सी मिल पाना मुश्किल हो रहा है, पिछले साल की तुलना में इस बार फ्लाइट बुकिंग 11 फीसदी ज्यादा हुई है।
नीलमणि लाल
लखनऊ भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और तमाम अन्य देश कोरोना महामारी और इससे जुड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं लेकिन चीन, जहाँ से ये महामारी पैदा हुई है वहां सब नार्मल हो चुका है और आर्थिक कामकाज बढ़िया ढंग से चल रहा है। चीन में इन दिनों छुट्टियाँ चल रही हैं और करीब 50 करोड़ लोग छुट्टियों की मौज मस्ती कर रहे हैं। होटलों में जगह मिल पाना मुश्किल है, ग्रेट वाल घूमने के लिए टिकट फुल हो चुके हैं, टैक्सी मिल पाना मुश्किल हो रहा है, पिछले साल की तुलना में इस बार फ्लाइट बुकिंग 11 फीसदी ज्यादा हुई है।
कोरोना नदारद
दरअसल चीन में कोरोना महामारी पर लगभग पूरी तरह कंट्रोल किया जा चुका है। छुट्टियों के इस मौसम में चीन को अपनी आर्थिक सेहत को दिखाने का बढ़िया मौक़ा भी मिला हुआ है। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, इस दौरान करीब साढ़े बयालीस करोड़ लोग देश के भीतर पर्यटन कर चुके हैं और ये संख्या पिछले साल के 80 फीसदी के बराबर है। लेकिन बाकी विश्व में पर्यटन इंडस्ट्री की बुरी हालत है। 2020 में विश्व पर्यटन को करीब 1.2 ट्रिलियन डालर का नुकसान होने का अनुमान है।
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टेस्ट न क्वारंटाइन
चीन में बड़ी संख्या में लोग इधर से उधर आ जा रहे हैं लेकिन न कोई कोरोना टेस्ट किया जा रहा है और न किसी को क्वारंटाइन करने की जरूरत है। पिछले महीने चीन ने विदेशी नागरिकों के लिए अपनी सीमायें भी खोल दी हैं। लेकिन सिर्फ उन्हीं को आने की इजाजत है जिनके पास वैध रेसिडेंस परमिट है। चीन के सेंटर ऑफ़ डिजीज कण्ट्रोल के मुख्य महामारी विशेषज्ञ वू ज़ुनयू का कहना है कि छह हफ़्तों से स्थानीय संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है जिससे पता चलता है कि अब वातावरण वायरस मुक्त है। किसी बिना लक्षण वाले मरीज से आपका सामना होने की संभावना बेहद कम है।
फाइल फोटो
अब कोई संक्रमण नहीं
चीन में 15 अगस्त के बाद से लोकल कोरोना संक्रमण का कोई केस नहीं आया है। सितम्बर में बिना लक्षण वाले दो केस मिले थे। चीनी सरकार ने कोरोना की वजह से आवागमन पर लगाये गए सभी प्रतिबन्ध हटा दिए हैं। ग्रुप टूर पर प्रतिबन्ध जुलाई के मध्य में हटा लिए गए थे, हर शहर को अब ‘लो रिस्क’ केटेगरी में रख दिया गया है और अंतर राज्य आवागमन के लिए अब कोरोना टेस्ट की जरूरत नहीं है।
अब कोई डर नहीं
चीन की जनता में अब कोई डर नजर नहीं आता है। अपने मर्जी से लोग मास्क अवश्य लगा रहे हैं लेकिन कहीं आने जाने में कोई हिचक अब नहीं रह गयी है। चूँकि बहुत से देशों ने अपनी सीमायें अभी नहीं खोलीं हैं और तमाम तरह के प्रतिबन्ध भी हैं सो देश के भीतर पर्यटन बहुत बढ़ा हुआ है। आंकड़ों के अनुसार तिब्बत, शिन्जियांग और निन्ग्शिया क्षेत्रों में पर्यटकों की काफी भीड़ रही है तिब्बत में तो पिछले साल की तुलना में होटल इंडस्ट्री को दोगुनी कमाई हुई है। आर्थिक गतिविधिओं को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय सरकारें डिस्काउंट और अन्य ऑफर दे रहीं हैं। पूरा जोर इस बात पर है कि पर्यटक खुल कर खर्चा करें। स्थानीय सरकारों ने पर्यटकों के लिए हेल्थ ऐप की अनिवार्यता भी ख़त कर दी है।
वैक्सीन की राह में चीन की चाल
चीन अपनी कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को पूरा किए बिना ही टीकाकरण अभियान को विस्तार देने जा रहा है। अब देश में बड़े पैमाने पर लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि बिना पुख्ता रिजल्ट और हड़बड़ी में बड़ी आबादी को वैक्सीन देने का फैसला खतरनाक हो सकता है।
चीन यह कोशिश सिर्फ इसलिए कर रहा है जिससे कि उसकी कोरोना वैक्सीन की दुनिया भर में मांग बढ़ सके। इसके अलावा उसकी पूरी कोशिश है कि वह अमेरिका को नीचा दिखा सके।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की वैक्सीन उत्पादक कंपनियां खतरनाक रस्ते पर चल रही हैं। चीन की कंपनियां दुनिया के वैक्सीन बाजार पर कब्जा करना चाहती हैं। पिछले महीने ही चीनी कंपनी सिनोफार्म ने ऐलान किया था कि लाखों चीनी लोगों को पहले ही कोरोना वैक्सीन दी जा चुकी है।
फाइल फोटो
वैक्सीन के सीमित उपयोग की इजाजत
जुलाई में चीन की सरकार ने दो कोरोना वायरस वैक्सीन के सीमित उपयोग की इजाजत दी थी जिनके तीसरे चरण के ट्रायल अभी पूरे नहीं हुए हैं। ऐसा समझा जाता है कि चीन में स्वास्थ्य कर्मी, सरकारी स्टाफ और अत्यधिक कोखिम वाले इलाके में ट्रैवल करने वाले लोगों को शुरुआत में कोरोना की इस वैक्सीन की खुराक दी गई है।
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चीन अपने वैक्सीन प्रोग्राम को तेजी से विस्तार दे रहा है और बड़ी आबादी को जल्द वैक्सीन लगाने जा रहा है। कोरोना वैक्सीन के वैश्विक बाजार में पहुंचने की जल्दी की वजह से चीन बड़े पैमाने पर वैक्सीन लगाने का यह फैसला कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के हर राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों से ऐसी तमाम कंपनियों और सरकारी विभाग के स्टाफ की जानकारी मांगी गई है जो कोरोना वैक्सीन लगवाने के इच्छुक हैं।
इन लोगों को सर्दी से पहले वैक्सीन दी जा सकती है। इसके पीछे ये तर्क है कि सर्दियों में कोरोना का प्रकोप बढ़ने की आशंका है सो उसकी तैयारी पहले से ही कर लेना बेहतर है। चीन का मानना यह है कि देश में बड़े पैमाने पर वैक्सीन लगाने से उसके टीके की विश्वसनीयता बढ़ेगी और दुनिया भर में उसके टीके की मांग बढ़ेगी।