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कोरोना वायरस: ट्रंप ने कहा- चीनी वायरस, चीन ने की अमेरिका पर कड़ी कार्रवाई
कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही जुबानी जंग चल रही है। अब इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को 'चीनी वायरस' कह दिया है। यह बात चीन को इतना चुभा कि उसने तीन अमेरिकी अखबारों के पत्रकारों को देश से बाहर कर दिया।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही जुबानी जंग चल रही है। अब इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को 'चीनी वायरस' कह दिया है। यह बात चीन को इतना चुभा कि उसने तीन अमेरिकी अखबारों के पत्रकारों को देश से बाहर कर दिया। बुधवार को द न्यूयॉर्क टाइम्स, द वॉशिंगटन पोस्ट और द वॉल स्ट्रीट जनर्ल से जुड़े पत्रकारों को देश से निकाला दिया। यह बीते कुछ वर्षों में विदेशी मीडिया पर चीन की ओर से की गई सबसे कठोर कार्रवाई है।
चीन और अमेरिका के बीच ताजा विवाद तब पैदा हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को 'चीनी वायरस' का नाम दे दिया फिर चीन सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कोरोना संकट के पीछे अमेरिका की साजिश होने का दावा किया। अब चीन ने कहा कि उसने अमेरिकी पत्रकारों को इसलिए बाहर का रास्ता दिखाया है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने चीन के सरकारी मीडिया से जुड़े चुनिंदा चीनी पत्रकारों को ही अपने यहां रहने देने का फैसला किया।
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एक बयान में कहा गया है कि उन्हें हॉन्ग कॉन्ग और मकाओ समेत चीन के किसी हिस्से में बतौर पत्रकार रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पेइचिंग ने वॉइस ऑफ अमेरिका, द न्यूयॉर्क टाइम्स, द वॉल स्ट्रीट जर्नल, द वॉशिंगटन पोस्ट और टाइम मैगजीन को कहा है कि वह चीन में अपने स्टाफ, संपत्तियों, कामकाज और रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज के बारे में लिखित जानकारी दें। वॉशिंगटन ने हाल ही में चीन की सरकारी मीडिया के लिए यही नियम लागू किए हैं।
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चीनी विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी मीडिया संस्थानों पर की गई कार्रवाई को पूरी तरह जवाबी बताते हुए कहा कि उसे अपने मीडिया संस्थानों के खिलाफ अमेरिका की कार्रवाई के बदले में कदम उठाने को मजबूर किया गया है। तो वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने चीन से इस कदम पर विचार करने को कहा।
पॉम्पियो ने कहा कि चीन अपने सरकारी मीडिया संस्थान की बराबरी अमेरिका के स्वतंत्र मीडिया संस्थानों से करके गलती कर रहा है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मुझे चीन के फैसले पर दुख है। इससे दुनिया में स्वतंत्र पत्रकारिता के मकसद को धक्का लगेगा। वैश्विक संकट के दौर में चीन के लोगों को अधिक सूचनाएं और ज्यादा पारदर्शिता का जरूरत है ताकि उनकी जान बच सके। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उम्मीद है कि वो पुनर्विचार करेंगे।
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द न्यूयॉर्क टाइम्स के कार्यकारी संपादक डीन बकेट ने चीन की कार्रवाई की आलोचना करते हुए उम्मीद जताई कि दोनों देशों की सरकारें जल्द ही इस विवाद का समाधान कर लेगी। उन्होंने कहा कि द न्यूयॉर्क टाइम्स चीन में 1850 से ही रिपोर्टिंग कर रहा है। वहां उसके दुनिया के किसी भी दूसरे देश से ज्यादा पत्रकार हैं।