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कुत्तों को दी जा रही कोरोना वायरस को सूंघने की ट्रेनिंग
नई दिल्ली: इंसान की तुलना में कुत्तों की नाक दस हजार गुना ज्यादा संवेदनशील होती है। यही वजह है कि ड्रग्स और विस्फोटक का पता लगाने के अलावा अपराधियों को गंध के जरिये ढूँढने में कुत्तों की मदद ली जाती है।
कोरोना से लड़ने में कुत्ते देंगे साथ
कुत्तों की इसी खूबी का फायदा कोरोना वायरस को ढूँढने में उठाया जाएगा। दरअसल, बीमारियों का पता लगाने में कुत्तों की सूंघने की क्षमता पर पहले भी शोध हो चुका है। वैज्ञानिक यह मानते आए हैं कि हर एक बीमारी की अपनी अलग-अलग दुर्गंध होती है। ऐसे तमाम वाकये हैं जब पालतू कुत्तों ने अपने मालिक-मालकिन में कैंसर जैसी बीमारी के संकेत सूंघ कर दिये हैं। ऐसे कुत्तों में लेब्राडोर नस्ल काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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ब्रिटन में की गई पहल
कोरोना बीमारी का पता कुत्तों से लगवाने की पहल ब्रिटेन की एक संस्था ‘मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स’ ने लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के साथ मिलकर की है। इस संस्था के पास ऐसे कुत्ते हैं जो कैंसर और पार्किंसंस जैसी बीमारी के शुरुआती लक्षण पहचनाने के लिए प्रशिक्षित हैं।
कुत्तों को छह हफ्ते में प्रशिक्षित करने की तैयारी शुरू
संस्था का कहना है उसने कुत्तों को छह हफ्ते में प्रशिक्षित करने की तैयारी शुरू कर दी है। संस्था के मुताबिक, " महामारी के अंत से पहले बीमारी का तेजी से पता लगाने के लिए प्रशिक्षण देने की कोशिश की गई है." संस्था इससे पहले कैंसर, पार्किंसन और बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी का पता लगाने के लिए कुत्तों को ट्रेनिंग दे चुकी है। यह कुत्ते इंसानी त्वचा के तापमान में तनिक से बदलाव का भी पता लगा सकते हैं। संस्था का कहना है कि उनका उद्देश्य है कि कुत्ते किसी को भी जांचने में सक्षम हों। इसमें वे लोग भी शामिल होंगे जिनमें कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं।
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लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में रोग नियंत्रण प्रमुख कहते हैं कि कुत्ते मलेरिया और अन्य ऐसी बीमारी की भी पहचान कर पाने में सक्षम हैं जो सांसों से जुड़ी होती हैं। उनके मुताबिक कुत्ते कोविड-19 में भी कारगार साबित होंगे। बीमारी को फिर से उभरने से रोकने में मदद करने के लिए डिटेक्शन कुत्तों की तैनाती एयरपोर्ट पर की जा सकती है ताकि ऐसे लोगों की पहचान हो सके जिनके शरीर में वायरस हो।
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