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इस ब्लड ग्रुप के लोगों को कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा, शोध में खुलासा
कोरोना वायरस को लेकर समय-समय तमाम तरह के नये शोध और उनसे जुड़ी हैरान कर देने वाली बातें सामने आती रही हैं। अब एक नया शोध सामने आया है। जिसमें दावा जा रहा है कि ब्लड ग्रुप ए वाले लोगों को कोरोना वायरस का अटैक होने का सबसे ज्यादा खतरा है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर समय-समय तमाम तरह के नये शोध और उनसे जुड़ी हैरान कर देने वाली बातें सामने आती रही हैं। अब एक नया शोध सामने आया है।
जिसमें दावा जा रहा है कि ब्लड ग्रुप ए वाले लोगों को कोरोना वायरस का अटैक होने का सबसे ज्यादा खतरा है। ये बात सबसे पहले चीन के वैज्ञानिकों ने कही थी लेकिन अब जर्मनी के शोधकर्ताओं ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। इस दावे को सही माना है।
दरअसल शोध के दौरान कोरोना के गंभीर मरीजों में ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों का अनुपात अधिक पाया गया। शोध में ये बात भी निकलकर सामने आई कि ग्रुप ए ब्लड वाले लोगों के संक्रमित होने के चांसेज 50 फीसदी अधिक है और वे इतने बीमार पड़ सकते हैं कि उन्हें ऑक्सीजन और वेंटिलेटर तक की आवश्यकता पड़ सकती है। जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ कील के रिसर्चर्स ने कहा है कि इसके लिए खास तरह की जीन जिम्मेदार हो सकते हैं।
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यूनिवर्सिटी ऑफ कील के शोधकर्ताओं ने टाइप ए ब्लड ग्रुप के लोगों पर किया शोध
अगर हम डेली मेल में छपी रिपोर्ट को गौर से पढ़ें तो उसमें ये साफ –साफ़ दावा किया गया है कि इसी वजह से कई स्वस्थ और फिट युवा कोरोना वायरस की वजह से तीव्र गति से बीमार पड़ रहे हों।
अमेरिका, स्पेन सहित कई देशों में स्वस्थ और फिट युवाओं कोरोना से मौत हो चुकी है। अपनी बात को और अधिक मजबूती से रखने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ कील के शोध कर्ताओं ने टाइप ए ब्लड वाले लोगों पर शोध किया।
उनमें होने वाले खतरे का पता लगाने के लिए इटली और स्पेन के 1610 मरीजों की केस स्टडी की। मरीजों के जीनोम की सीक्वेंसिंग की गई। खास पैटर्न खोजने पर भी काम किया गया। इसकी क्म्प्रेटिव स्टडी अन्य 2205 लोगों के डेटा से की गई जो कोरोना से ज्यादा सीरियस नहीं हुए थे।
तब दो जीन एरिया मिले। उनमें से एक जीन एरिया ऐसा था जो लोगों के ब्लड टाइप पर डिपेंड करता है। जबकि एक तरफ A ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कोरोना से ज्यादा खतरा बताया जा रहा है, O ग्रुप के ब्लड वाले लोगों को तुलनात्मक रूप से कोरोना से गंभीर बीमार पड़ने का खतरा कम समझा जा रहा है। इस स्टडी पर दुनिया में अब नई चर्चा शुरू हो गई है।
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