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इस विलुप्त होते जानवर से फैला कोरोना, वैज्ञानिकों का दावा, सांप-चमगादड़ से नहीं

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। पहले कहा जा रहा था कि यह संक्रमण सांप और चमगादड़ का सूप पीने की वजह से फैला है, लेकिन वैज्ञानिकों ने अब कुछ और ही खुलासा किया है।

Dharmendra kumar
Published on: 27 March 2020 8:34 AM GMT
इस विलुप्त होते जानवर से फैला कोरोना, वैज्ञानिकों का दावा, सांप-चमगादड़ से नहीं
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। पहले कहा जा रहा था कि यह संक्रमण सांप और चमगादड़ का सूप पीने की वजह से फैला है, लेकिन वैज्ञानिकों ने अब कुछ और ही खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि यह जानलेवा वायरस पैंगोलिन नामक जीव में पाया गया है। अब चीनी वैज्ञानिक इस का पता लगा रहे हैं कि यह वायरस मनुष्यों में कैसे पहुंचा।

चीनी वैज्ञानिकों ने पैंगोलिन में ऐसे वायरस मिलने की पुष्टि की है जो पूरी दुनिया में तबाही फैला रहे कोरोना वायरस से मिलता-जुलता है। चीन की साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कुछ समय पहले ही कहा था कि कोरोना वायरस के लिए पैंगोलिन जिम्मेदार है।

उन्होंने दावा किया था कि इंसानों में संक्रमण फैलने की वजह पैंगोलिन है। उनका कहना था कि कोरोना वायरस चमगादड़ से पैंगोलिन और फिर पैंगोलिन से इंसान में पहुंचा। हालांकि, तब दुनियाभर के विशेषज्ञों ने रिसर्च पर सवाल उठाए थे।

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चीन में होता है पैंगोलिन का इस्‍तेमाल

एक नए शोधपत्र के मुताबिक पैंगोलिन का जेनेटिक डेटा दिखाता है कि इन जानवरों को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। इनकी बाजारों में बिक्री पर कड़ी पाबंदी लगाई जानी चाहिए। एक अंतरराष्ट्रीय टीम का कहना है कि भविष्य में ऐसे संक्रमण टालने के लिए सभी जंगली जीवों की बाजारों में बिक्री पर रोक लगाई जानी जरूरी है। पैंगोलिन ऐसा स्तनधारी जीव है, जिसकी खाने और पारंपरिक दवाइयां बनाने के लिए सबसे ज्‍यादा तस्करी होती है।

शोधकर्ताओं ने कहा है कि चीन और दक्षिणपूर्व एशिया के जंगलों में पाए जाने वाले पैंगोलिन की अतिरिक्त निगरानी से कोरोना वायरस के उभरने में उनकी भूमिका और भविष्य में इसांनों में उनके संक्रमण के खतरे के बारे में पता लग सकेगा। ये जीव चींटियां खाता है। दुनिया भर में सबसे अधिक तस्करी के कारण ये जीव विलुप्त होने की कगार पर है। चीन में पैंगोलिन की खाल से स्किन और गठिया से जुड़ी दवाइयां बनाई जाती हैं। कुछ लोग इसके मांस को स्वादिष्ट मानते हैं।

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साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसे समझने के लिए 1,000 जंगली जानवरों के सैंपल लिए। शोधकर्ता शेन योंगी और जिओ लिहुआ का दावा है कि मरीजों से लिए गए सैंपल में मौजूद कोरोना वायरस और पैंगोलिन का जीनोम सिक्वेंस 99 फीसदी मेल खाता है। पहले चीन के शोधकर्ताओं की रिसर्च पर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वेटिनरी मेडिसिन साइंस के प्रोफेसर जेम्स वुड ने कहा था कि जीनोम सिक्वेंस के आधार पर वायरस की पुष्टि करना पर्याप्त नहीं है।

उनका कहना था कि 99 फीसदी जीनोम सिक्वेंसिंग की वजह संक्रमित माहौल भी हो सकता है। इस पर और अधिक रिसर्च की जरूरत है। इसके बाद चीन के शोधकर्ताओं ने रिसर्च को आगे बढ़ाया। अब नए नतीजे से काफी हद तक साफ हो गया है कि इसी जीव के कारण कोरोना वायरस फैला है।

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चीन की 200 से ज्‍यादा कंपनियां इस जीव के शल्‍क से बनाती हैं दवा

चाइना बायोडाइवर्सिटी कंजर्वेशन एंड ग्रीन डेवलपमेंट फाउंडेशन के मुताबिक चीन में 200 से ज्यादा दवा कंपनियां और 60 पारंपरिक दवा ब्रांड पैंगोलिन के शल्क से दवाएं बनाते हैं। भारतीय पैंगोलिन का वैज्ञानिक नाम मैनिस क्रैसिकाउडाटा है। ये पैंगोलिन की एक जाति है जो भारत, श्रीलंका, नेपाल और भूटान में कई मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। पैंगोलिन की आठ जातियों में ये एक है। छत्‍तीसगढ़ के अलावा हिमाचल प्रदेश के जंगलों में भी होता है, जिसे स्थानीय भाषा में सलगर कहते हैं।

Dharmendra kumar

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