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संयुक्त राष्ट्र– लालच, घूसखोरी और भ्रष्टाचार
संयुक्त राष्ट्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक बड़ा उदहारण है आयल फॉर फ़ूड प्रोग्राम यानी तेल के बदले अनाज कार्यक्रम। इराक की जनता की मदद के लिए 6 साल तक चलाये गए प्रोग्राम में 64 बिलियन डालर का हेरफेर हुआ था। इस घोटाले के तार संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान और बौत्रोस बौत्रोस घाली तक जुड़े हुए थे।
नई दिल्ली: एक बेहतर दुनिया बनाने का बीड़ा उठाने वाली संस्था खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी हुई है। ये संस्था है यूनाइटेड नेशंस यानी संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक बड़ा उदहारण है आयल फॉर फ़ूड प्रोग्राम यानी तेल के बदले अनाज कार्यक्रम। इराक की जनता की मदद के लिए 6 साल तक चलाये गए प्रोग्राम में 64 बिलियन डालर का हेरफेर हुआ था। इस घोटाले के तार संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान और बौत्रोस बौत्रोस घाली तक जुड़े हुए थे।
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ये अकेला वाकया बताता है कि संयुक्त राष्ट्र किस हाल में चल रहा है
ये अकेला वाकया बताता है कि संयुक्त राष्ट्र किस हाल में चल रहा है, लेकिन सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि इस घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद भी आज तक संयुक्त राष्ट्र में सुधार के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र की कार्यशैली ही बहुत विवादित रही है। घनघोर ब्यूरोक्रेसी, भ्रष्टाचार, घोटाले और सुरक्षा परिषद् का अलोकतांत्रिक ढांचा- ये सब यूएन को खोखला करते चले गए हैं।
खाड़ी युद्ध
1991 के खाड़ी युद्ध के बाद इराक पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबन्ध लगाये गए थे। हालाँकि इन प्रतिबंधों की वजह से खाने-पीने की चीजों और दवाओं के आयात पर रोक नहीं थी लेकिन इराकी जनता के पास अपनी जरूरत की चीजें खरीदने के लिए पैसे ही नहीं थे। सो ऐसे में 1996 में ईराकी जनता की मदद के लिए एक प्रोग्राम शुरू किया गया। ये संयुक्त राष्ट्र का पहला ऐसा मानवीय प्रोग्राम था जिसकी फंडिंग उनके द्वारा ही की जानी थी जिनकी मदद के लिए ये प्रोग्राम चलाया जा रहा था।
यानी इराकी तेल बेच कर इराकी लोगों को भोजन देना था। ये अच्छा आईडिया था कि अन्य देशों से पैसा मांगने की बजाये इराक के तेल से ही फंडिंग की जानी थी। इस प्रोग्राम के इंचार्ज थे बेनन सेवन। सेवन ने इराकी अधिकारियों से गठजोड़ करके ख़ास कंपनियों को तेल के कॉन्ट्रैक्ट दिलवाए।
इस प्रोग्राम के हर कदम पर घूसखोरी का बोलबाला रहा
इस प्रोग्राम के हर कदम पर घूसखोरी का बोलबाला रहा। बेनन सेवन इराक से तेल के वाउचर लेकर पनामा की कंपनियों को देते थे और बदले में कमीशन लेते थे। इस मामले में संयुक्त राष्ट्र के एक अन्य शीर्ष अधिकारी जोसफ स्तेपह्निदेस का भी नाम जुडा था। संयुक्त राष्ट्र के इन शीर्ष अधिकारियों ने लाखों डालर घूस में लिये थे। इन गड़बड़ियों की शिकायतें यूएन सेक्रेटेरियट तक पहुँचीं लेकिन किसी ने कोई तवज्जो नहीं दी। इस प्रोग्राम में सीधे सद्दाम हुसैन का हस्तक्षेप था सो जिस तानाशाह पर नकेल कसने के लिए प्रतिबन्ध लगाये गए थे, अब संयुक्त राष्ट्र उसी तानाशाह को अवैध कमाई करने देने में मदद कर रहा था।
सद्दाम-यूएन का गठजोड़
आरोप लगने लगे कि सद्दाम सरकार पैसे और रसूख के लिए इस कार्यक्रम में घालमेल कर रही है। पता चला कि इराकी तेल की बिक्री पर संयुक्त राष्ट्र कमीशन ले रहा था। तब संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ने यूएस फेडरल रिजर्व के पूर्व चेयरमैन पॉल वोल्कर से इन आरोपों की जांच करने के लिए कहा। आयल फॉर फ़ूड घोटाले की जांच करने वाली वोल्कर कमेटी ने अपनी एक हजार पेज वाली रिपोर्ट में कहा कि संयुक्त राष्ट्र के भीतर अवैध, अनैतिक और भ्रष्ट व्यवहार की भरमार है।
अमेरिका के फ़ेडरल रिज़र्व के पूर्व अध्यक्ष पॉल वोल्कर ने संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महा सचिव कोफ़ी अन्नान को गड़बड़ियों के लिए दोषी ठहराया था। वोल्कर ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र संगठन में आमूलचूल सुधारों की तत्काल जरूरत है। आयल फॉर फ़ूड प्रोग्राम की आड़ में संयुक्त राष्ट्र के कमर्चारियों, सद्दाम हुसैन और ढेरों कंपनियों ने खूब अवैध पैसा कमाया।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् और संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का आयल फॉर फ़ूड प्रोग्राम पर कोई नियंत्रण ही नहीं था और हर स्तर पर कोई जवाबदेही और जिम्मेदारी नहीं थी। संयुक्त राष्ट्र में ऑडिट और मैनेजमेंट कंट्रोल की भारी कमी थी। आयल फॉर फ़ूड प्रोग्राम की जांच अमेरिकी सरकार और सीनेट कमेटी ने भी की और यही परिणाम पाया कि घोटाले में इराक सरकार, संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न देशों के नेता-अधिकारी शामिल थे। अंततः एफबीआई ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया, मुकदमा चला और सजा भी हुई लेकिन संयुक्त राष्ट्र के जो बड़े खिलाड़ी थे वो सब बच निकले।
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