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कोरोना वैक्सीन पर मिली थी खुशखबरी, अब WHO ने दिया झटका

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वरिष्ठ अधिकारी माइक रयान ने वैक्सीन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे लोगों को झटका देते हुए कहा कि वैक्सीन का पहला उपयोग साल 2021 की शुरुआती महीनों में हीं सम्भव है

Shivani
Published on: 23 July 2020 11:45 PM IST
कोरोना वैक्सीन पर मिली थी खुशखबरी, अब WHO ने दिया झटका
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नई दिल्ली: दुनिया के तमाम देश कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। इसमें कई देशों ने वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल भी शुरू कर दिया है। रूस, चीन तो ह्यूमन ट्रायल के तीसरे चरण तक पहुंच गया, वहीं ब्रिटेन का ऑक्सफोर्ड ह्यूमन ट्रायल का दूसरा स्टेज शुरू करने जा रहा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी कोविड वैक्सीन को क्रिसमस तक बाजार में लाने का दावा कर रही है। हालाँकि अब WHO ने इन दावों पर पानी फेर दिया।

WHO का दावा- इस साल नहीं आएगी कोरोना की वैक्सीन

दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वरिष्ठ अधिकारी माइक रयान ने वैक्सीन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे लोगों को झटका देते हुए कहा कि वैक्सीन का पहला उपयोग साल 2021 की शुरुआती महीनों में हीं सम्भव है। यानी इस साल वैक्सीन नहीं मिल सकेगी।

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अगले साल की शुरुआत तक मिल सकती है कोविड वैक्सीन

WHO ने साफ कह दिया कि इस साल के अंत तक कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन नहीं मिलेगी। माइक ने कहा कि WHO ये प्रयास करेगा कि सबको सही समय और सही मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध हो।वैक्सीन मिलने में किसी भी देश को दिक्कत न आए। ताकि पूरी दुनिया का भला हो सके।

ऑक्सफोर्स की वैक्सीन का इंतज़ार

वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू होने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें इस साल के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन मिल जाएगी।

वैक्सीन को लेकर इन देशों से उम्मीदें:

बता दें कि ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अलावा अमेरिका, मेक्सिको और रूस कोरोना वैक्सीन बनाने के करीब आ गया है। इन देशों से लोगों को वैक्सीन मिलने की उम्मीद है।

जल्द से जल्द वैक्सीन को बाजार में उतारने की तैयारी

करीब 400 से ज्यादा वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन पर शोध कर रहे हैं। जल्द से जल्द बाजारों में वैक्सीन उतारने की तैयारी है।

1000 करोड़ कोरोना वैक्सीन डोसेज का प्रोजेक्ट:

ऑक्सफ़ोर्ड और भारत की कम्पनी के बीच करार हुआ है। हर किसी तक कोविड वैक्सीन पहुंच सके, इसके लिए करीब एक हजार करोड़ वैक्सीन के डोज तैयार करने की तैयारी है। जिसमे से 50 फीसदी भारत को और बाकी 50 फीसदी कम और मध्यम आय वाले देशों को मुहैया कराई जाएगी।

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हालांकि WHO के दावे के बाद ऐसा अगले साल तकहि सम्भव हो सकेगा। वहीं हाल में कोरोना से कई देशों के हालात काफी खराब हो चुके हैं।

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