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पाकिस्तान के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार की हत्या, 2 मार्च से थे लापता
पाकिस्तान के निर्वासित पत्रकार साजिद हुसैन का शव स्वीडन के उपासला शहर की फाइरिस नदी में मिला है। स्वीडन पुलिस के अनुसार 2 मार्च से गायब साजिद का शव 23 अप्रैल को मिला। वह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के मूल निवासी थे और अपनी पत्रिका के जरिए वहां सरकार की ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाते थे।
नई दिल्ली: पाकिस्तान से निकाले गए पत्रकार साजिद हुसैन का शव स्वीडन के उपासला शहर की फाइरिस नदी में मिला है। स्वीडन पुलिस के अनुसार 2 मार्च से गायब साजिद का शव 23 अप्रैल को मिला। वह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के मूल निवासी थे और अपनी पत्रिका के जरिए वहां सरकार की ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाते थे। समाचार एजेंसी के मुताबिक पत्रकार साजिद हुसैन की हत्या में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के शामिल होने का शक है।
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2017 में स्वीडन आए,जांच शुरू
बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार की तरफ से होने वाली ज्यादतियों को लेकर साजिद मुखर रहते थे। उन्होंने यहां पर लोगों के 'जबरन लापता' होने और ड्रग्स माफियाओं पर लेख लिखा था। इसके बाद उन्होंने 2012 में ही पाकिस्तान छोड़ दिया था। इसके बाद वह ओमान, यूएई, युगांडा जैसे देशों से होते हुए स्वीडन में 2017 से रह रहे थे। वह 2017 में स्वीडन आए थे और उसके दो साल बाद उन्हें वहां राजनीतिक शरण मिली थी। इस दौरान उन्होंने अपनी वेबसाइट पर बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर लिखना जारी रखा। साजिद को आखिरी बार स्टॉकहोम से उपासला के लिए ट्रेन से जाते हुए देखा गया था। स्वीडन की पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
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पाकिस्तान में मानवाधिकार को लेकर बुरा बर्ताव
बता दें कि पाकिस्तान में मानवाधिकार को लेकर आवाज उठाने वालों के साथ बेहद बुरा बर्ताव किया जाता है। यहां आयोग ने देश में मानवाधिकारों के हनन के मामलों में चिंताजनक करार दिया है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि बीते साल जिस तरह की घटनाएं हुईं उनमें राजनीतिक असहमति को दबाने के लिए मानवाधिकारों के खिलाफ जाकर कार्रवाई की गईं। गुरुवार को सार्वजनिक की गई पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि साल 2019 राजनीतिक असहमति को सोची-समझी रणनीति के तहत कुचलने के लिए याद किया जाएगा। इस दौरान मुख्यधारा के मीडिया पर प्रहार किया गया।