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ब्रिटेन पहुंचा किसान आंदोलनः संसद में उठी आवाज, तो सरकार ने दिया ये जवाब
किसानों के आंदोलन के मसले पर बीते दिन ब्रिटेन की संसद में भी चर्चा हुई। एक पेटिशन पर लाखों साइन होने के बाद ब्रिटिश संसद में इस मसले को उठाया गया, जिसके बाद विस्तार से बहस हुई।
नई दिल्ली: भारत में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान और किसान नेता 100 दिन से अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। इस बीच किसानों के आंदोलन के मसले पर बीते दिन ब्रिटेन की संसद में भी चर्चा हुई। एक पेटिशन पर लाखों साइन होने के बाद ब्रिटिश संसद में इस मसले को उठाया गया, जिसके बाद कल विस्तार से बहस हुई।
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भारत ने जताई आपत्ति
वहीं भारत की ओर से इस तरह की बहस पर कड़ी आपत्ति जताई गई है। लंदन में मौजूद भारतीय हाईकमीशन ने बयान दिया है कि ये सिर्फ एक गलत तथ्यों पर आधारित और एकतरफा बहस ही थी। भारतीय हाईकमीशन द्वारा बयान में कहा गया कि ब्रिटिश संसद में बिना तथ्यों के गलत आरोपों के साथ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के विषय में चर्चा की गई, जो निंदनीय है।
ब्रिटिश सरकार बोली- यह भारत का 'घरेलू मामला'
हालांकि लंदन के पोर्टकुलिस हाउस में 90 मिनट तक चली चर्चा के दौरान कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स ने साफ कहा कि कृषि भारत का आंतरिक मामला है और उसे लेकर किसी विदेशी संसद में चर्चा नहीं की जा सकती। इसके अलावा इस चर्चा पर जवाब देने के लिए प्रतिनियुक्त किए गए मंत्री निगेल एडम्स ने कहा कि कृषि सुधार कानून भारत का 'घरेलू मामला' है, इसे लेकर ब्रिटेन के मंत्री और अधिकारी भारतीय समकक्षों से लगातार बातचीत कर रहे हैं। साथ ही एडम्स ने कहा कि जल्द ही भारत सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत के माध्यम से कोई पॉजिटिव रिजल्ट निकलेगा।
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सरकार का रुख भारत के साथ
बता दें कि इससे पहले भी ब्रिटिश सरकार से किसान आंदोलन को लेकर सवाल किए जा चुके हैं, लेकिन, हर बार उन्होंने इसे भारत का अंदरूनी मामला बताते हुए खुद को अलग करने की कोशिश की। माना जाता है कि ब्रिटिश सरकार, भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने को तवज्जो दे रही है।