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दुनिया पर कब्जे की साजिश में चीन, समुद्र में तैनात किए ड्रोन्स
चीन के नापाक उद्देश्यों को लेकर रक्षा मामलों के विश्लेषक एचआई सटन (HI Sutton) द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने हिंद महासागर में सी विंग(हेयी) ग्लाइडर्स नाम से प्रसिद्ध अंडरवाटर(जल के अंदर) ड्रोन्स का एक बड़ा बेड़ा तैनात किया है।
नई दिल्ली: चीन को लेकर खुफिया जानकारी सामने आई है। ऐसे में रक्षा मामलों के विश्लेषक एचआई सटन (HI Sutton) द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने हिंद महासागर में सी विंग(हेयी) ग्लाइडर्स नाम से प्रसिद्ध अंडरवाटर(जल के अंदर) ड्रोन्स का एक बड़ा बेड़ा तैनात किया है। साथ ही ये भी बताया कि ये न सिर्फ महीनों तक काम कर सकते हैं। बल्कि नौसेना के खुफिया उद्देश्य के जरिए निगरानी भी रखी जा सकती है। अब चीन नई रणनीति तैयार कर रहा है जिसकों लेकर ये खुलासा हुआ है।
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आर्कटिक में भी सी विंग तैनात
एचआई सटन (HI Sutton) की सामने आई रिपोर्ट के साफ-साफ कहा गया है कि चीन इन ग्लाइडर्स को बड़े स्तर पर तैनात कर रहा है। ये ग्लाइडर्स भूमिगत जल वाहन बेड़े (यूयूवी) का ही एक प्रकार हैं। इन्हें 2019, दिसंबर के मध्य में लॉन्च किया गया था और फिर फरवरी में वापस ले लिया गया था। इस अवधि में इन्होंने 3,400 से ज्यादा विश्लेषण किए।
साथ ही एचआई सटन ने लिखा, अगर इस बात पर भरोसा करें तो यह बहुत हैरानी की बात है कि चीन अब हिंद महासागर में बड़े स्तर पर ऐसे ड्रोन्स तैनात कर रहा है। चीन ने आर्कटिक में भी सी विंग तैनात किया है।
सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया
ऐसे में सरकारी सूत्रों से सामने आई जानकारी के हिसाब से सटन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन के ये ग्लाइडर्स वैसे ही हैं, जैसे अमेरिकी नौसेना ने तैनात किए थे और चीन ने 2016 में इनमें से एक को रास्ते से गुजरने वाले जहाजों के लिए सुरक्षित नेविगेशन सुनिश्चित करने का हवाला देकर जब्त कर लिया था।
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चीन के खतरनाक संकेत
आगे रक्षा विशेषज्ञ एचआई सटन ने बताया है कि पिछले साल दिसंबर में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक यह कहा जा रहा था कि चीन ऐसे 14 ग्लाइडर्स हिंद महासागर में छोड़ेगा, लेकिन इनमें से सिर्फ 12 ही इस्तेमाल किए गए।
उन्होंने बताया कि इसमें प्रॉपेलिंग के लिए कोई ईंधन प्रणाली नहीं है। ये बड़े विंग्स के सहारे समुद्र में नीचे ग्लाइड करते रहते हैं। ये बहुत तेज या फुर्तीले नहीं होते हैं, लेकिन ये लंबे मिशन पर काम कर सकते हैं।
साथ ही इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंद महासागर में ये चीनी ग्लाइडर्स कथित रूप से समुद्र विज्ञान से जुड़ी जानकारी एकत्रित कर रहे हैं, जो अपने आप में कोई नुकसानदायी बात नहीं लगती। लेकिन समुद्र विज्ञान डाटा का इस्तेमाल नौसेना के खुफिया उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है और यह चीन के खतरनाक संकेत हैं।
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