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मचेगी तबाही ही तबाही: खिसक रही धरती, बदले चुंबकीय ध्रुव और पहाड़ों की ऊंचाईं
ये कैसी आफत के खबरे आ रही है.....क्या धरती पर स्थित पहाड़ों की ऊंचाई बढ़ रही है? क्या वास्तव में धीरे-धीरे जमीन खिसक रही है? क्या कहीं ये तो नहीं कि धरती की टेट्टोनिक्स प्लेटें खिसकने से पहाड़ों की ऊंचाई बढ़ रही है।
नई दिल्ली: ये कैसी आफत के खबरे आ रही है.....क्या धरती पर स्थित पहाड़ों की ऊंचाई बढ़ रही है? क्या वास्तव में धीरे-धीरे जमीन खिसक रही है? क्या कहीं ये तो नहीं कि धरती की टेट्टोनिक्स प्लेटें खिसकने से पहाड़ों की ऊंचाई बढ़ रही है। क्या सच में चुंबकीय ध्रुव में परिवर्तन हो रहे हैं। इन सब के पीछे के कारण को ढूंढते-खोजते वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया को खोज लिया है। जिसे जो सुनेगा हैरान चौकन्ना हो जाएगा। धरती के अंदर केंद्र में जो पार्ट है वो घूम रहा है। तो आखिरकार क्या वजह से इन परिवर्तनों की।
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भौगोलिक परिवर्तन को लेकर अध्ययन
इस बारें में अर्बाना कैंपेन में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय के वैज्ञानिकों ने इस भौगोलिक परिवर्तन को लेकर एक अध्ययन किया है। यह अध्ययन रिसर्च अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स में प्रकाशित हुई है।
साथ ही यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय के वैज्ञानिकों को गहरे अध्ययन के बाद इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि धरती का केंद्र कोर घूम रहा है। इसी कारण धरती के मैग्नेटिक फील्ड यानी चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन हो रहा है। इसी वजह से चुंबकीय उत्तरी ध्रुव कनाडा से खिसक कर साइबेरिया पहुंच गया है।
वहीं इन सभी परिवर्तनों की जानकारी देते हुए पीकिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इस स्टडी के सहलेखक जियाओडोंग सॉन्ग ने कहा कि 1996 से हम इस पर अध्ययन कर रहे हैं। 1996 में हमने धरती के कोर में एक छोटा भूकंपीय परिवर्तन देखा था। वह धीरे-धीरे घूम रहा था। फिर हमने इस पर गहन अध्ययन करना शुरू किया।
पहाड़ों की ऊंचाई पर भी असर
पीकिंग के प्रोफेसर जियाओडोंग ने कहा कि हमने दुनिया भर के अलग-अलग स्थानों पर भूकंप के आने की दरों का अध्ययन किया। एक ही जगह पर हमने अलग-अलग समय का डेटा रिकॉर्ड किया। तब जाकर पता चला कि भूकंप के आने का दर धरती के अंदर घूम रहे कोर की वजह से कम ज्यादा हो रहा है।
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आगे जियाओडोंग ने बताया कि कोर घूमने की वजह से धरती की ऊपरी सतह और प्लेटें आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं। इससे धरती के ऊपर बने पहाड़ों की ऊंचाई पर भी असर पड़ता है।
प्रोफेसर जियाओडोंग ने बताया कि भूकंप की वजह से पैदा हुई भूकंपीय तरंगे धरती के कोर यानी केंद्र तक जाती हैं। अगर कोर घूमता नहीं, रुका रहता तो ये अंदर तक जा ही नहीं पाती। फिर ये तरंगें अंदर से टकराकर वापस आती हैं।
दुनियाभर के कई भूंकप केंद्रों से मिला
जानकारी देते हुए बताया कि भूकंपीय तरंगों के आने-जाने के बीच का समय, उनकी दरों से पता चलता है कि धरती का केंद्र घूम रहा है। हमें इन तरंगों का रिकॉर्ड दुनियाभर के कई भूंकप केंद्रों से मिला है।
वहीं धरती के केंद्र में मौजूद गर्म लोहे का केंद्र अगर घूमता नहीं तो हमें ये तरंगें वापस कभी नहीं मिलती। ये वहीं रुक जाती। जो इनर कोर यानी अंदर की परत में जाकर वापस लौटती है, उनके व्यवहार में परिवर्तन होता है। इसी से धरती की प्लेटों पर प्रभाव पड़ता है।
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