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कोरोना ने साइकिलों में फूंकी जान

कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने से भी परहेज कर रहे हैं। ऐसे में पूरी दुनिया में साइकिल की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है।

Roshni Khan
Published on: 19 Jun 2020 11:22 AM GMT
कोरोना ने साइकिलों में फूंकी जान
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने से भी परहेज कर रहे हैं। ऐसे में पूरी दुनिया में साइकिल की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है। साइकिल उद्योग के अनुसार साइकिल की मांग बीते कई दशकों में इतनी नहीं देखी गई। कार या बाइक के मुक़ाबले साइकिल सस्ती है इसलिए भी लोग इसे खरीद रहे हैं। अमेरिका में तो वालमार्ट और टारगेट जैसे बड़े विक्रेताओं के पास साइकिलों का स्टॉक समाप्त हो चुका है। छोटी दुकानों में भी इसकी अच्छी बिक्री हो रही है।

इन दुकानों में सस्ती फॅमिली बाइक बिक रही हैं। अमेरिका में पिछले दो माह के दौरान साइकिलों की बिक्री में 1970 के तेल संकट के बाद से सबसे बड़ा उछाल दर्ज किया गया है। ऐसी ही स्थिति यूरोप, अमेरिका, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, और डेनमार्क जैसे कई देशों में हैं। लॉकडाउन में पूरी तरह खाली सड़कों ने ऐसे लोगों को भी साइकिल का शौकीन बना दिया, जो इसे पसंद नहीं करते थे।

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टायलेट पेपर की तरह अब साइकिल खरीद

जिस प्रकार कोरोना महामारी की शुरुआत में लोग टायलेट पेपर और हैंड सेनिटाइजर खरीदने के लिये स्टोरों में उमड़ पड़े थे उसी प्रकार अब साइकिल की खरीदारी हो रही है। यह नजारा पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। जिन शहरों की सड़कों पर कारों का जमावड़ा रहता था उन शहरों में अब साइकिलों के लिये अलग लेन बनाई जा रही है। सड़कों पर साइकिल बढ़ने से उनके लिये अलग व्यवस्था की जा रही है जबकि सार्वजनिक परिवहन में कटौती की गई है।

कोलकाता में तीन गुना बढ़ी बिक्री

कोलकाता में साइकिल चलाने वालों के संगठन ने बताया कि साइकिल की बिक्री तीन गुनी बढ़ी है क्योंकि परिवहन साधनों की कमी की वजह से लोग काम पर जाने में परेशानी का सामना कर रहे हैं। कई लोग 8,000 से 15,000 रुपये कीमत की आधुनिक खूबियों वाली साइकिलें खरीद रहे हैं। प्रमुख बाइक ब्रांड के अधिकारियों का कहना है कि सभी डीलर बिक्री दोगुनी होने की जानकारी दे रहे हैं और इस चलन में तेजी आ रही है।

मध्य कोलकाता के बेंटिंक स्ट्रीट और वाटरलू स्ट्रीट के साइकिल विक्रेताओं ने भी पुष्टि की कि साइकिल की बिक्री में तेजी आई है क्योंकि अब काम पर साइकिल से जाना फैशन हो गया है। रोजाना खरीदने के लिए पूछताछ करने वालों की संख्या बढ़ रही है। कोविड-19 संकट से पहले 6,000 से 20,000 रुपये मूल्य की सात से दस साइकिलें बिकती थीं लेकिन एक जून से दुकान खुलने के बाद हम रोजना दोगुनी संख्या में साइकिलें बेच रहे हैं और खरीदारों में युवा और अधेड़ दोनों शामिल हैं।

उधर पंजाब में लुधियाना में साइकिल कारोबारियों ने कहा कि लॉकडाउन के बाद साइकिल की मांग में बढ़ोतरी हुई है। अनलाक होने के बाद साइकिलों की मांग में 20 फीसदी बढ़ोतरी आई है। मगर सप्लाई कम आ रही है। इसका कारण लेबर की कमी हो सकती है। लोग कोविड-19 के कारण निजी साधन से शहर के काम करने में रूचि दिखा रहे हैं।

कार चलाने वाले घटे

साइकिल की मांग के बीच कार चलाने वाले घट रहे हैं। न्यूयॉर्क में बाइक शेयरिंग सिस्टम 67% बढ़ा है। स्विट्जरलैंड में साइकिल बिक्री 171%, जबकि फिलाडेल्फिया में 151% बढ़ी है। टू-व्हीलर की वैश्विक राजधानी डेनमार्क में साइकिल बिक्री दो से तीन गुना बढ़ी है। फिलिपींस की राजधानी में साइकिल की बिक्री करने वाले दुकानदारों का कहना है कि क्रिसमस त्यौहार के मुकाबले मांग अच्छी है। इटली में साइकिल बिक्री के लिये सरकार की तरफ से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। लॉकडाउन के बाद के प्रोत्साहन पैकेज में साइकिल के 60 प्रतिशत मूल्य पर 500 यूरो तक की बोनस छूट दी जा रही है।

साइकिल कंपनियों के शेयर 15% बढ़े

दुनिया भर में साइकिलों की बिक्री बढ़ने और सरकारी नीतियों से साइकिल उद्योग को नई जिंदगी मिल गई है। एफटीएसई पर इन कंपनियों के शेयर दो महीने में 15% से ज्यादा चढ़े हैं। तीन महीने पहले तक संघर्ष कर रही साइकिल इंडस्ट्री को अब शायद सरकार से आर्थिक पैकेज की जरूरत भी नहीं होगी।

नई ट्रांसपोर्ट नीति

कई देश नई ट्रांसपोर्ट नीति बना रहे हैं। इटली में 40 हजार रुपए तक की साइकिल खरीदने पर 60% खर्च सरकार दे रही है। फ्रांस पार्किंग पर 188 करोड़ खर्च करेगा, पेरिस में 650 किमी का ट्रैक बनेगा। ब्रिटेन साइकिल इंफ्रा पर 18,000 करोड़ खर्च करेगा। अमेरिका के सिएटल में 32 किमी ट्रैक बना है। इटली के बोलोग्ना में 495 किमी साइकिल लेन बनेगी।

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साइकिल रखे फिट

साइकिल चलाने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है, हार्ट को ब्लड की पूरी सप्लाई होती है। स्ट्रेस दूर होता है। फर्टिलिटी बढ़ाने में मदद मिलती है। मसल्स मजबूत होती हैं। उम्र का असर कम होता है।मोटापा कम होता है। फेफड़ों की ताकत बढ़ती है।

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