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प्रीमियम पासपोर्टों की चमक पड़ गई फीकी

कोविड-19 महामारी ने सब कुछ बदल कर रख दिया है और इस बदलाव की मार पासपोर्टों पर भी पड़ी है। जो पासपोर्ट पहले बहुत वजनदार और प्रीमियम माने जाते थे वो कोविड-19 के चलते कतार में काफी पीछे चले गए हैं।

Newstrack
Published on: 7 July 2020 7:13 PM IST
प्रीमियम पासपोर्टों की चमक पड़ गई फीकी
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''कोविड-19 महामारी के कारण इंटेरनेशनल यात्रा के आयाम बदल गए हैं। जो देश इस महामारी से ठीक से नहीं निपट पाये उनके नागरिकों को यात्रा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। यूरोपियन यूनियन की ट्रेवल लिस्ट से ये ट्रेंड सामने आ गया है। यही नहीं, दूसरे देशों की नागरिकता या स्थाई निवास के लिए आवेदन करने वालों की प्राथमिकतायें भी अब पूरी तरह बदल जाएंगी। महामारी से जो देश भली भांति निपटे उन देशों में अब लोग शिफ्ट करना पसंद करेंगे।''

लखनऊ: कोविड-19 महामारी ने सब कुछ बदल कर रख दिया है और इस बदलाव की मार पासपोर्टों पर भी पड़ी है। जो पासपोर्ट पहले बहुत वजनदार और प्रीमियम माने जाते थे वो कोविड-19 के चलते कतार में काफी पीछे चले गए हैं। दरअसल, कोविड-19 के माहौल में दुनिया अब धीरे धीरे खुल रही हैं। कई देशों ने विदेश से आने – जाने पर लगी बन्दिशें ढीली कीं है। अभी जो माहौल है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में ग्लोबल ट्रेवेल की क्या तस्वीर होगी।

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यूरोपीय यूनियन ने हाल ही में उन देशों की लिस्ट जारी की है जिनके नागरिकों को अब यूरोपीय यूनियन में आने की अनुमति दी जाएगी। इन लोगों को भी इजाजत कोरोना से संबन्धित स्वास्थ्य और सुरक्षा के मानक के आधार पर दी जाएगी। यूरोपीय यूनियन की लिस्ट में आस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान और साउथ कोरिया शामिल हैं। ये देश पारंपरिक रूप से पासपोर्ट की वरीयता के इंडेक्स में काफी ऊंचा स्कोर रखते आए हैं। ये स्कोर इस आधार पर बनाया जाता है कि किसी देश के पासपोर्ट के आधार पर कितने देशों में उचित वीज़ा के बगैर प्रवेश मिल सकता है।

अमेरिका लिस्ट से गायब

यूरोपीय यूनियन की लिस्ट से अमेरिका नदारद है। कोरोना महामारी से निपटने में अमेरिका की काफी हद तक असफलता का ये नतीजा है। वैसे अमेरिका ही नहीं, कोरोना से निपटने जो देश में नाकाम रहे सबके नाम इस लिस्ट से गायब हैं और इनमें ब्राज़ील, भारत और रूस भी हैं।

इस सूची से पता चलता है कि कभी काफी प्रतिष्ठित माने जाने वाले पासपोर्ट के धारकों के लिए यात्रा की स्वतन्त्रता अब किस तरह की रहेगी। मिसाल के तौर पर कोविड-19 से पहले अमेरिकी पासपोर्ट टॉप 10 में रहता था। अमेरिकी पासपोर्ट धारक एडवांस में वीज़ा लिए बगैर 185 देशों की यात्रा कर सकते थे। लेकिन अब यूरोपियन यूनियन के यात्रा प्रतिबंधों के चलते इंटेरनेशनल ट्रेवेल की तस्वीर बहुत बदली नजर आती है। अब अमेरिकी नागरिकों को यात्रा की अमूमन उतनी ही स्वतन्त्रता है जितनी उरुग्वे के नागरिकों को है। उरुग्वे पासपोर्ट इंडेक्स में 28वें नंबर पर है और उसे 153 देशों में जाने के लिए या तो वीज़ा की जरूरत नहीं है या वीज़ा ऑन अराइवल की सुविधा मिली हुई है। बता दें कि उरुग्वे का नाम यूरोपीना यूनियन की ताजा लिस्ट में शामिल है। तुलना के लिए ये भी बता दें कि अब अमेरिकी नागरिकों को यात्रा की स्वतन्त्रता मेक्सिको के नागरिकों के समान है। मेक्सिको पासपोर्ट इंडेक्स में 25वें स्थान पर है और उसका स्कोर 159 है। वैसे अभी अमेरिका और मेक्सिको, दोनों ही बैन लिस्ट में हैं।

कुछ देश तो और पीछे गए

महामारी के कारण लगे अस्थाई ट्रेवेल बैन के चलते पासपोर्ट की ताकत की स्थिति का एक उदाहरण ब्राज़ील का भी है। ब्राजीली पासपोर्ट के ताकत तो अब काफी कम हो गई है। पासपोर्ट इंडेक्स में ब्राज़ील 19वें स्थान पर था और उसे 170 देशों में बिना वीज़ा या वीज़ा ऑन अराइवल की सुविधा मिली हुई थी लेकिन अब महामारी से निपटने में नाकामी के चलते ब्राजीली पासपोर्ट 36वें नंबर वाले पराग्वे के बराबर आ गया है जिसका स्कोर 142 है।

जापान सबसे आगे

विभिन्न ट्रेवेल प्रतिबंधों को अगर न देखें तो जापान पासपोर्ट इंडेक्स में टॉप पर है। जापानी पासपोर्ट धारक 191 देशों में बिना वीज़ा या वीज़ा ऑन अराइवल की सुविधा के पात्र हैं। सिंगापुर दूसरे स्थान पर है और इसका स्कोर 190 है। तीसरे स्थान पर जर्मनी और साउथ कोरिया संयुक्त रूप से हैं। इन दोनों देशों का स्कोर 189 है। जापान और साउथ कोरिया को ईयू की सेफ देसधोन की लिस्ट में शामिल किया गया है। जबकि सिंगापुर इस लिस्ट से नदारद है।

भारत की पोजीशन

ग्लोबल पासपोर्ट इंडेक्स में भारत 85वें स्थान पर है और भारतीय पासपोर्ट धारकों को 58 देशों में बिना वीज़ा या वीज़ा ऑन अराइवल की सुविधा मिली हुई है। 85वें स्थान पर ही ताजिकिस्तान है। भारत के नीचे सेनेगल, टोगो, मैडागास्कर, वियतनाम, कंबोडिया, माली, भूटान, जॉर्डन, अल्जीरिया, मिस्र, म्यांमार आदि देश हैं। सबसे कमजोर पासपोर्ट वाले देश ईरान, नेपाल, लीबिया, पाकिस्तान, सोमालिया आदि देश है, लिस्ट में सबसे नीचे अफगानिस्तान है जिसकी रैंक 109 है और स्कोर 26 है।

बदलती प्राथमिकताएं

जिस तरह पोस्ट कोविड विश्व में प्रीमियम पासपोर्ट अपनी चमक खो बैठे हैं उससे संकेत मिलता है कि ये संकट आने वाले समय में इंटेरनेशनल ट्रेवेल को और भी सीमित और अप्रत्याशित बना देगा। तेल अवीव यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर डॉ योसी हार्पज़ कहते हैं कि देश भले ही अपनी सीमाएं खोल देंगे लेकिन ऐसा काफी संभावित है कि अनेक सरकारें महामारी की चिंताओं के आधार पर नए इमिग्रेशन प्रतिबंध लगा देंगी। इसके अलावा राष्ट्रीयता के आधार पर ट्रेवल बैन भी लगाया जाएगा। ये आमतौर पर विकासशील देशों को निशाने पर रख कर होगा। अनिशिचितत अभरे इस दौर में दोहरी नागरिकता और निवेशक वीज़ा की ग्लोबल डिमांड के बढ़ने के आसार हैं।

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बेहतर जगह शिफ्ट होंगे लोग

ऑक्सफोर्ड बिजनेस ग्रुप के सलहकार चार्ल्स फिलिप्स के अनुसार महामारी से ग्लोबल माइग्रेशन ट्रेंड भी बदल जाएगा। अब लोगों के लिए पर्यावरणीय स्वास्थ्य चिंताएँ अपना घर बार छोड़ कर अन्यत्र बसने को मजबूर कर देंगी। जो जगहें महामारी से निपटने में बेहतर साबित हुईं हैं, जहां बेहतर प्रशासन है और जो भविष्य की किसी महामारी से निपटने के लिए बेहतर तरीके से सुसज्जित हैं अब वहाँ लोग शिफ्ट करना चाहेंगे। ये ट्रेंड अब सामने आयेगा। लोगों के लिए वैकल्पिक निवास या नागरिकता लेने के निर्णय का आधार उस देश की हेल्थ संबंधी नीतियों पर निर्भर करेगा। जो देश महामारी से निपटने में काफी हद तक सफल रहे हैं वो देश लोकप्रिय डेस्टिनेशन होंगे।

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