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दवा कंपनियों का गंदा खेल: महामारी के दौर में भरी अपनी तिजोरियां, नहीं बचा ईमान

दुनियाभर में कोरोना महामारी की तबाही से जहां एक तरफ लोग जूझ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी दवा कंपनियां अपना फायदा निकल रही हैं।

Newstrack
Published on: 27 July 2020 1:59 PM IST
दवा कंपनियों का गंदा खेल: महामारी के दौर में भरी अपनी तिजोरियां, नहीं बचा ईमान
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नई दिल्ली : दुनियाभर में कोरोना महामारी की तबाही से जहां एक तरफ लोग जूझ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी दवा कंपनियां अपना फायदा निकल रही हैं। अमेरिकी कंपनियों के अधिकारियों ने इसे अवसर में बदल दिया है। उन्होंने कंपनी के वैक्सीन बनाने की घोषणा से ठीक पहले शेयरों में हिस्सेदारी ली और बाजार में कीमते बढ़ने पर बेच दिया। इससे कुछ ही दिनों के अंदर 1 अरब डॉलर (7.5 हजार करोड़ रुपये) का तगड़ा मुनाफा कमाया।

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ये है कंपनियों की सच्चाई

ऐसे में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी सैन फ्रांसिस्को की छोटी सी दवा कंपनी वजार्ट ने 26 जून को ऐलान किया था कि जिस कोरोना वैक्सीन पर वह काम कर रही है, उसे अमेरिकी सरकार ने अपनी फ्लैगशिप योजना वार्प स्पीड में शामिल किया है।

बता दें, इस खुलासे से ठीक पहले कंपनी के आला अधिकारियों ने इक्विटी शेयरों में हिस्सेदारी ली थी। और जब यह खबर बाजार में आई, तब से ही कंपनी के शेयर चढ़ने शुरू हो गए और शीर्ष अधिकारियों के इक्विटी शेयरों का मूल्य छह गुना बढ़कर 20 करोड़ डॉलर पहुंच गया।

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बेचकर बड़ा मुनाफा कमा

दवा कंपनी वजार्ट के एक शेयर का मूल्य जनवरी में 30 सेंट था जो अप्रैल में 10 गुना बढ़कर 3.66 डॉलर पहुंच गया। यह दांव सिर्फ वजार्ट ही नहीं, 11 कंपनियों के आला अधिकारियों ने चला था।

वजार्ट ने बताया था कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन अमेरिकी सरकार ने अपनी फ्लैगशिप योजना में शामिल की है। सच्चाई इससे कुछ अलग है। वजार्ट की वैक्सीन बंदरों पर ट्रायल के लिए थी।

इसे न तो अमेरिकी सरकार से मदद मिली और न ही फ्लैगशिप योजना में शामिल किया गया। बावजूद इसके कंपनी के मुख्य कार्यकारी एंड्रयू फ्लोरयू ने जून में खरीदे 43 लाख डॉलर के स्टॉक को 2.8 करोड़ डॉलर में बेचकर बड़ा मुनाफा कमा लिया।

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खरीदना-बेचना कानूनन सही

अमेरिका की गैर लाभकारी संस्था पेशेंट फॉर अफोर्डेबल ड्रग्स के कार्यकारी निदेशक बेन वकाना का कहना है कि वैसे तो सही समय पर स्टॉक खरीदना-बेचना कानूनन सही है।

ऐसे में कई निवेशकों और विशेषज्ञों का कहना है कि इन अधिकारियों ने मुनाफा कंपनी की आंतरिक खबरों के आधार पर कमाया है। यह कदम फार्मा उद्योग और निवेशकों के भरोसे को ठेस पहुंचाने वाला है।

कोरोना महामारी से जहां एक तरफ लोग अपने को बचाने के लिए परेशान हैं, दूसरी ओर ये कंपनियां अपना मुनाफा और पैसे कमाने में लगी हुई है।

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