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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: पूरी दुनिया की नजर टिकी इस पर, पढ़ें पूरी खबर
राष्ट्रपति चुनाव के मतदान में इस बार रिकॉर्ड वोटिंग हो रही है। अनुमान है कि अब तक कोई 9 करोड़ 20 लाख लोग वोट डाल चुके हैं। मतदान का आखिरी दिन 3 नवंबर है और इसी रात आने वाले परिणाम वहां के नए राष्ट्रपति का खुलासा भी कर देंगे।
लखनऊ: कल यानी 3 नवम्बर को जब अमेरिकी मतदाता अपना राष्ट्रपति चुनने के लिए घर से निकलेंगे, तो वे अपने वोट से दुनिया की बहुत सारी नीतियां भी तय कर देंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव दुनिया के हर देश की राजनीती और कूटनीति को प्रभावित करता है। अमेरिका का यह राष्ट्रपति चुनाव उस समय हो रहा है, जब कोरोना वायरस ने इस सुपर पावर को बुरी तरह झकझोर के रख दिया है। इसके अलावा चुनाव ऐसे समय हो रहे हैं, जब अमेरिकी समाज काफी उथल-पुथल से गुजर रहा है। ब्लैक लाइव्स मैटर्स और अन्तिफा जैसे आंदोलनों ने सामाजिक तानेबाने को छिन्न भिन्न कर दिया है।
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रिकार्ड वोटिंग
राष्ट्रपति चुनाव के मतदान में इस बार रिकॉर्ड वोटिंग हो रही है। अनुमान है कि अब तक कोई 9 करोड़ 20 लाख लोग वोट डाल चुके हैं। मतदान का आखिरी दिन 3 नवंबर है और इसी रात आने वाले परिणाम वहां के नए राष्ट्रपति का खुलासा भी कर देंगे। लेकिन फिलहाल यही सवाल सबसे अहम है कि कौन इसमें जीत दर्ज करेगा, ट्रंप या बिडेन। अमेरिका के संविधान में चुनाव की तारीखों को लेकर कहीं कुछ नहीं कहा गया है लेकिन इसमें राष्ट्रपति के शपथ और पद के ग्रहण करने के बारे में जरूर निश्चित समय दे रखा है। अमेरिका में चुनाव के बाद जो भी राष्ट्रपति बनेगा वो जनवरी में शपथ लेगा।
पोपुलर वोट और इलेक्टोरल वोट
अमेरिका में परंपरागत रूप से राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में पहले सोमवार को ही होता है। इसमें अमेरिकी नागरिक ‘इलेक्टर’ यानी संसद सदस्य का चुनाव करते हैं जो राष्ट्रपति के प्रत्याशी का समर्थन करते हैं। इस सिस्टम को इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है। जिस राज्य में जितने ज्यादा इलेक्टर्स चुने जाते हैं वही राज्य आखिर में राष्ट्रपति को चुनने में अहम भूमिका भी निभाते हैं। अमेरिका में मौजूदा समय में 538 इलेक्टर्स हैं। इनमें 435 रिप्रजेंटेटिव और 100 सीनेटर हैं। इसके अलावा तीन अतिरिक्त सदस्य हैं जिन्हें कोलंबिया से चुना जाता है। जो भी इलेक्टर्स जीत हासिल करता है उसको इलेक्टोरल कॉलेज भी सभी वोट हासिल होते हैं।
निर्धारित है संख्या
अमेरिका में इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम यहां के पॉपुलर वोट पर कोई फर्क नहीं डालते हैं। 2016 में डोनाल्ड ट्रंप को जहां इलेक्टोरल कॉलेज के वोट अधिक मिले थे वहीं उनकी प्रतिद्वंदी हिलेरी क्लिंटन को अधिक पॉपुलर वोट मिले थे। इसके बाद ट्रंप राष्ट्रपति बने थे।
अमेरिका के सभी 50 राज्य और वाशिंगटन डीसी में राज्य के हिसाब से इलेर्क्स की संख्या निर्धारित है। हर राज्य में कम से कम तीन इलेक्टोरल वोट आते हैं जो सीनेटर की कुल संख्या के बराबर होते हैं। वाशिंगटन डीसी में तीन इलेक्टोरल कॉलेज हैं। केलीफॉर्निया अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है जहां पर 55 इलेक्टोरल वोट हैं। टेक्सास दूसरे नंबर पर आता हैं जहां पर 38 इलेक्टोरल कॉलेज हैं। इसके बाद न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा में 29-29 इलेक्टोरल कॉलेज हैं। अमेरिकी चुनाव में खड़ा कोई भी प्रत्याशी यदि किसी राज्य में ज्यादा वोट हासिल करता है तो उसको सभी इलेक्टोरल कॉलेज के वोट भी हासिल होते हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी प्रत्याशी को 270 वोटों की दरकार होती है। इलेक्टोरल कालेज के हिसाब से ट्रम्प इस बार भी मजबूत स्थिति में हैं।
ओपिनियन पोल्स तो बताते रहे हैं कि डेमोक्रेटिक प्रत्याशी जो बिडेन का पलड़ा बहुत भारी है। इसके पीछे मुख्य कारण मिशिगन, पेन्सिलवेनिया और विस्कॉन्सिन राज्यों से मिला रहा समर्थन है। 2016 में इन तीनों राज्यों में डोनाल्ड ट्रम्प जीते थे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन हालातों के बावजूद ट्रम्प की जीत को नकारा नहीं जा सकता। लोग आम तौर पर ओपिनियन पोल में सही बात नहीं बताते और 2016 में इसका उदहारण सामने आ चुका है। जो लोग अनिर्णय की स्थिति में हैं वो नतीजों पर सबसे ज्यादा असर डालते हैं और ऐसे वोटरों का झुकाव इस बार डोनाल्ड ट्रम्प की तरफ दिख रहा है।
अमेरिका के मिडवेस्ट में भारतीय समुदाय के काफी लोग हैं
मिशिगन, पेन्सिलवेनिया और विस्कॉन्सिन में ट्रम्प के समर्थक वर्ग का का वोटर रजिस्ट्रेशन बहुत तेजी से बढ़ा है सो ये लोग पांसा पलट सकते हैं। फ्लोरिडा और नार्थ कैरोलिना के नतीजे निर्णायक साबित होंगे और यहाँ ट्रम्प का पलड़ा भारी है। अमेरिका के मिडवेस्ट में भारतीय समुदाय के काफी लोग हैं और विस्कॉन्सिन में सिखों की अच्छी खासी तादाद है। ये वर्ग ट्रम्प के साथ खड़ा है।
चुनावी एक्सपर्ट्स का कहना है
चुनावी एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रम्प को पक्के रिपब्लिकन राज्यों से 163 इलेक्टोरल वोट मिलना तय है जबकि बिडेन 260 इलेक्टोरल वोट पा सकते हैं, जिसमें मिशिगन और विस्कॉन्सिन राज्य शामिल हैं। लेकिन अगर ट्रम्प पिछली बार के सभी राज्यों के साथ साथ पेन्सिलवानिया, नार्थ कैरोलिना. एरिज़ोना और फ्लोरिडा जीत जाते हैं तो ट्रम्प 270 इलेक्टोरल वोट पा लेंगे और उनकी फतह हो जायेगी। ये समीकरण बहुत संभव है।
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3 नवंबर को होने वाले मतदान में तकनीकी तौर पर इलेक्टर्स का ही चुनाव किया जाएगा। ये इलेक्टर्स स्टेट के अधिकारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता होते हैं। लेकिन इनका नाम मतदान पत्र पर आमतौर पर नहीं होता है। हर इलेक्टर्स दो वोट डालता है जिसमें वह अपनी पसंद के राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति को चुनता है। जनवरी में यही सत्ता संभालते हैं।
आखिरी मौक़ा
जिन लोगों ने अब तक अपना वोट नहीं दिया है वो 3 नवंबर को अपना वोट डालेंगे। इसके बाद इनकी गिनती होने और परिणाम सामने आने में कुछ दिन का समय और लगेगा। मतदान का समय यहां के राज्यों के हिसाब से एक समान नहीं है। कुछ जगहों पर लाइन में लगे मतदाताओं को अंत तक मतदान का अवसर दिया जाएगा। 14 दिसंबर को इलेक्टर्स अपना वोट डालेंगे। इसके बाद नए प्रेसिडेंट का नाम घोषित किया जायेगा।
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