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पटरी दुकानदारों की चमकी किस्मतः बन गए उम्मीद की किरण

चीनी शहरों की स्थानीय सरकारों या प्रशासन ने अस्थाई नीतियां जारी की हैं। जिसके तहत स्ट्रीट वेंडर्स को अधिक से अधिक इलाकों में ऑपरेट करने की छूट दी जा रही है।

Aradhya Tripathi
Published on: 8 Jun 2020 5:02 PM IST
पटरी दुकानदारों की चमकी किस्मतः बन गए उम्मीद की किरण
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नीलमणि लाल

नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए तरह तरह के उपाय किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक उपाय है पटरी दूकानदारों का। सड़क के किनारे और फुटपाथों पर सजी दुकानों को अभी तक शहरों के लिए बड़ा सिरदर्द माना जाता था। लेकिन कोरोना काल में बिगड़ी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए इन्हीं पटरी दुकानदारों की तरफ देखा जा रहा है।

पटरी दुकानदारों से सुधरेगी इकनॉमी

चीन ने मान लिया है कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए पटरी दूकानदारों की बहुत बड़ी भूमिका है। शंघाई और गुयांग्झू जैसे बड़े महानगरों समेत कम से कम 27 शहरों ने माइक्रो इकॉनमी को सहारा देने के लिए न सिर्फ कमर कसी है बल्कि इस पर बहुत तेजी से काम शुरू कर दिया है। ये ऐसे शहर हैं जहां पटरी दूकानदारों को सख्त नियमों में बांध कर रखा जाता था। अब उपभोग बढ़ाने और बेरोजगारी को थामने के लिए माइक्रो इकॉनमी को मजबूती देने की कवायद शुरू की गई है।

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चीनी शहरों की स्थानीय सरकारों या प्रशासन ने अस्थाई नीतियां जारी की हैं। जिसके तहत स्ट्रीट वेंडर्स को अधिक से अधिक इलाकों में ऑपरेट करने की छूट दी जा रही है। ऐसे दूकानदारों को बैंक लोन दिये जा रहे हैं। जहां अधिकारी पहले पटरी दूकानदारों को भगाते थे और उन पर जुर्माना लगाते थे वही अधिकारी अब उनको अपना धंधा चालू करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

अलीबाबा भी आगे आया

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पटरी दूकानदारों की सहायता करने के लिए अलीबाबा और जेडी डॉट कॉम जैसी दिग्गज ई कॉमर्स कंपनियां भी आगे आईं हैं। ये कंपनियां दूकानदारों को ब्याज मुक्त लोन दे रही हैं। इन उपायों का नतीजा ये है कि ठेले, गुमटियों, किओस्क, और मोबाइल बूथ का निर्माण व उत्पादन करने वाली कंपनियों का बाजार खूब गरम हो गया है। ऐसी कंपनियों के शेयर छलांग लगा रहे हैं। चीन के ऑनलाइन सर्च इंजिन बाइदू में स्ट्रीट वेंडर टिप्स की क्वेरी दस साल के सर्वूच स्तर पर पहनुच गई है। लोग जाना छह रहे हैं कि फुटपाथ पर बिक्री कैसे की जाये।



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