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पाकिस्तान की 'नेकी की टोकरी', इसके पीछे की कहानी आपके होश उड़ा देगी

नेकी की टोकरी के बारे में उन्होंने बताया कि 'मैंने तुर्की का एक ऐतिहासिक वीडियो देखा था। इसमें नेकी की टोकरी थी। मैंने इस पर काम करना शुरू कर दिया।

Aradhya Tripathi
Published on: 17 May 2020 9:45 AM GMT
पाकिस्तान की नेकी की टोकरी, इसके पीछे की कहानी आपके होश उड़ा देगी
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आमतौर पर पाकिस्तान अपनी आतंकी साजिशों के लिए जाना जाता है। और चर्चा में बना रहता है। लेकिन पाकिस्तान में भी कुछ ऐसे लोग रहते हैं जिन्हें लोगों की मदद करना अच्छा लगता है। ऐसे ही हैं पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के बनी गाला इलाके में रहने वाले डॉ. मुहम्मद अखलाक कशफी। डॉ कशफी ने एक नेक पहल की शुरू की है। इन्होंने भूखों और जरूरतमंदों की मदद के लिए इलाके के विभिन्न होटलों में एक 'नेकी की टोकरी' रख रखी है। जिसमें लोग अपनी हैसियत के अनुसार रोटियां रख जाते हैं।

गरीब भूखों के लिए शुरू की 'नेकी की टोकरी'

डॉ कशफी ने एक नेक पहल की है। जिसके जरिये वो ग़रीबों और भूखों के लिए रोटियों का इन्तेजाम करते हैं। डॉ अखलाक कशफी ने बताया कि वह 20 साल से बनी गाला में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि मैंने एक चैरिटी सेंटर स्थापित किया था। वो 7 साल से अपनी हैसियत के अनुसार लोगों की मदद तथा और नेक काम कर रहे हैं। नेकी की टोकरी के बारे में उन्होंने बताया कि 'मैंने तुर्की का एक ऐतिहासिक वीडियो देखा था। इसमें नेकी की टोकरी थी। मुझे यह विचार पसंद आया और मैंने इस पर काम करना शुरू कर दिया।

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डॉ अख़लाक़ ने नेकी की टोकरी के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने होटल के लोगों से कहा कि वे सामान लाएंगे और पैसे भी देंगे, बस अल्लाह के नाम पर शुरू करें और जब कोई गरीब व्यक्ति रोटी लेने के लिए आए, तो मना न करें। टोकरी में जितनी भी रोटियां हों उस जरूरतमंद को दे दें। डॉ अख़लाक़ ने बताया कि मैंने ये कह रखा है कि अगर टोकरी में रोटियां न बचें तो आप मुझे ख़त लिख कर इसकी जानकारी दे दें। डॉ अखलाक ने बताया कि अल्लाह का शुक्र है कि अभी तक हमारे पास बिल नहीं आया। क्योंकि दूसरे लोग भी इस नेक काम के लिए पैसा दे रहे हैं और टोकरी में रोटियां लगातार रह रहीं हैं।

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डॉ अख़लाक़ ने बताया कि मैंने अपने सभी दोस्तों को इस अच्छे काम में भाग लेने के लिए कहा, जिस पर कई दोस्तों ने यह जिम्मेदारी ली है। अखलाक कशफी ने बताया कि पहले हम लोग सिर्फ रोटियां ही देते थे लेकिन जब हमें लगा कि और लोग भी इस नेक काम के लिए आआगे आ रहे हैं और तो हमने ऐसे लोगों की और मदद करने की सोची और अब हम लोग रोटियों के साथ करी भी दे रहे हैं। डॉ ने बताया कि न केवल गणमान्य व्यक्ति, बल्कि होटल के मालिक भी नेकी की टोकरी में योगदान दे रहे हैं।

तुर्की की सबसे पुरानी परम्परा 'नेकी की टोकरी'

नेकी की टोकरी में रोटियां सदैव बनी रहती हैं। अगर रोटियाँ किसी दिन ज्यादा हैं बाख रहीं हैं तो उन्हें होटल की तरफ से बेच दिया जाता है। और उससे जो पैसा आता है उससे अगले दिन के लिए रोटियां ले ली जाती हैं। इस नेक पहल की शुरुआत करने वाले डॉ अख़लाक़ कहते हैं कि इस ने काम में कोई ख़ास लागत भी नहीं लगती है। लेकिन नेकी खूब है।

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डॉ अख़लाक़ ने अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए कहा अल्हम्दुलिल्लाह, काम बहुत अच्छा चल रहा है। गौरतलब है कि तुर्की की सबसे पुरानी परंपराओं में से एक 'नेकी की टोकरी' है, जिसके तहत प्रत्येक होटल पर यह टोकरी रखी जाती थी और अपनी हैसियत के मुताबिक लोग उनमें रोटी और अन्य खाद्य सामग्री डालते थे. इस अच्छी परंपरा के कारण बहुत से जरूरतमंद लोग भोजन करते थे।

Aradhya Tripathi

Aradhya Tripathi

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