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Pervez Musharraf Death: परवेज़ मुशर्रफ और दिल्ली की नहर वाली हवेली, जिसके लिए लड़ा युद्ध

Pervez Musharraf Death: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त 1943 को दिल्ली में हुआ था। उनका जन्म स्थान दरियागंज के कच्चा साद उल्लाह मोहल्ला में स्थित नहर वाली हवेली थी। वह सिविल सेवकों के परिवार से ताल्लुक रखते थे।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 5 Feb 2023 8:58 AM GMT
Pervez Musharraf Death
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पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का दिल्ली नहर वाला घर (फोटों: सोशल मीडिया)

Pervez Musharraf Death: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ की जिन्दगी तमाम पाकिस्तानी लोगों की तरह भारत से जुड़ी हुई थी। मुशर्रफ भारत में जन्मे थे, ये अलग बात है कि कई दशकों बाद उन्होंने अपनी जन्म भूमि के खिलाफ कारगिल युद्ध भी लड़ा था। परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त 1943 को दिल्ली में हुआ था।

उनका जन्म स्थान दरियागंज के कच्चा साद उल्लाह मोहल्ला में स्थित नहर वाली हवेली थी। वह सिविल सेवकों के परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके दादा, काज़ी मोहतशिमुद्दीन, अविभाजित पंजाब के आयुक्त के रूप में रिटायर हुए थे। उनके पिता सैयद मुशर्रफ उद्दीन भी सरकारी मुलाजिम थे।

दरियागंज की संकरी गलियां

मुशर्रफ का पुश्तैनी मकान दरियागंज में दरियागंज में गोलचा सिनेमा के पीछे संकरी सी गली 'प्रताप स्ट्रीट' में है। मुशर्रफ के दादा काजी मोहतशिमुद्दीन ने सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद हवेली खरीदी थी। जब परिवार पाकिस्तान में नए सिरे से जीवन शुरू करने के लिए दिल्ली से चला गया, तो घर कपड़ा व्यापारी मदन लाल जैन को 62 हजार रुपये में बेच दिया गया। बताते हैं कि इसे नहरवाली हवेली का नाम इसलिए दिया गया।

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नहरवाली हवेली में रहे मुशर्रफ

क्योंकि यमुना की एक धारा इस जगह के पास से गुजरती थी और यह महान उस धारा के चारों ओर सबसे प्रमुख निर्माण था। इसी वजह से क्षेत्र का नाम भी दरियागंज है। नहर वाली हवेली दो मंजिला थी जिसमें 14 कमरे हुआ करते थे। 2001 में अपनी भारत यात्रा के दौरान मुशर्रफ इस हवेली को भी देखने आये थे और यहाँ कुछ समय गुजारा था। नहरवाली हवेली के एक हिस्से को 2012 में ध्वस्त कर दिया गया। इस जर्जर इमारत में कुछ लोग रहा करते थे जिनके चलाए जाने के बाद इस मकान का एक हिस्सा गिरा दिया गया था।

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शानदार थी मूल हवेली

मूल हवेली का निर्माण मुगल स्थापत्य शैली के अनुसार किया गया था। हवेली के प्रांगण में शानदार मेहराब और जटिल जाली या जालीदार काम था। मुगल युग के दौरान महिलाओं के लिए जाली का इस्तेमाल ज़नान खाना के रूप में किया जाता था। हवेली के आठ हिस्से थे। इसी हवेली की जमीन पर गोलचा सिनेमा बना था।

Prashant Dixit

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