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भीषण प्रदर्शन से हंगामा: कारें-दुकानें आग के हवाले, प्रदर्शनकारियों से कांपी राजधानी

राजधानी पेरिस में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसे में एक मसौदा सुरक्षा कानून के खिलाफ प्रदर्शन के बीच पुलिस और प्रदर्शनकारियों की आपस में भीषण भिडंत हो गई। इस बीच दर्जनों हिंसक प्रदर्शनकारियों ने आस-पास की दुकानों की खिड़कियां चकना-चूर कर दी, कई कारों को आग के हवाले कर दिया

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Published on: 6 Dec 2020 11:07 AM IST
भीषण प्रदर्शन से हंगामा: कारें-दुकानें आग के हवाले, प्रदर्शनकारियों से कांपी राजधानी
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फ्रांस की राजधानी पेरिस में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसे में एक मसौदा सुरक्षा कानून के खिलाफ प्रदर्शन के बीच पुलिस और प्रदर्शनकारियों की आपस में भीषण भिडंत हो गई।

नई दिल्ली। फ्रांस की राजधानी पेरिस में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसे में एक मसौदा सुरक्षा कानून के खिलाफ प्रदर्शन के बीच पुलिस और प्रदर्शनकारियों की आपस में भीषण भिडंत हो गई। इस बीच दर्जनों हिंसक प्रदर्शनकारियों ने आस-पास की दुकानों की खिड़कियां चकना-चूर कर दी, कई कारों को आग के हवाले कर दिया और बैरिेकेडों को जला के खाक कर दिया। हालातों को काबू में लाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए, जिनसे मामला कुछ धीमा हुआ।

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पुलिस ने उन्हें रोकने की भरपूर कोशिशे की

राजधानी पेरिस में सड़कों पर प्रदर्शनकारी शांतिपूर्वक मार्च निकाल रहे थे। जहां उन्होंने सुरक्षा कानून को वापस लेने और पुलिस के खिलाफ पोस्टर भी फहराए। जिसके चलते पुलिस ने उन्हें रोकने की भरपूर कोशिशे की, तो प्रदर्शनकारी और उग्र हो गए और दुकानों-कारों को आग के हवाले कर दिया।

हालाकिं पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, जिसके बाद प्रदर्शनकारी पहले से ज्यादा भड़क गए और एक समूह ने एक बैंक के शाखा कार्यालय में तोड़फोड़ की, कागजों के ढेर को बाहर आग पर फेंक दिया।

PROTEST फोटो-सोशल मीडिया

ऐसे में सरकार द्वारा संसद में एक सुरक्षा विधेयक पेश करने, मीडिया में और ऑनलाइन पुलिस अधिकारियों की छवियों को प्रसारित करने पर फ्रांस विरोध प्रदर्शन की चपेट में आ गया है।

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मैक्रों की लोकप्रियता का स्तर 38 प्रतिशत ही

जल्द ही एक सर्वे से सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, मैक्रों की लोकप्रियता का स्तर 38 प्रतिशत ही रह गया है। मतलब कि लगभग दो तिहाई लोगों की उनसे उम्मीद अब न के बराबर यानी टूट चुकी है।

अब ऐसे में ये आशंका और पक्की होती जा रही है कि जिस धुर दक्षिणपंथ को रोकने के लिए देश की मुख्यधारा की तमाम सियासी ताकतों के समर्थन से तीन साल पहले मैक्रों ने भारी जीत हासिल की थी, उनकी नाकामियों के कारण 2022 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उन्हीं दक्षिणपंथी ताकतों के सत्ता में आने का रास्ता खुल सकता है। हालाकिं प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन काफी आक्रामक था।

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