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पश्चिमी देश अपने कचरे के लिए ढूंढ रहा नया डंपिंग ग्राउंड

seema
Published on: 12 July 2019 7:56 AM GMT
पश्चिमी देश अपने कचरे के लिए ढूंढ रहा नया डंपिंग ग्राउंड
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पश्चिमी देश अपने कचरे के लिए ढूंढ रहा नया डंपिंग ग्राउंड

वाशिंगटन: चीन, फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम के बाद अब इंडोनेशिया ने भी पश्चिमी देशों का कचरा लेने से मना कर दिया है। ऐसे में अब पश्चिमी देश अपने कचरे के लिए नए डंपिंग ग्राउंड ढूंढ रहे हैं। बढ़ते हुए प्लास्टिक के इस्तेमाल से पश्चिमी देशों के सामने कचरे के निपटान की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।

इंडोनेशिया ने अमेरिका और जर्मनी जैसे विकसित पश्चिमी देशों से आने वाले प्लास्टिक के कचरे को वापस लौटा दिया है। इंडोनेशिया द्वारा कचरे के अवैध व्यापार पर शिकंजा कसने के बाद नया संकट खड़ा हो गया है। इंडोनेशिया के कस्टम विभाग ने बताया कि कचरे के 49 कंटेनरों को सील कर दिया गया है जिनको जल्दी ही वापस भेज दिया जाएगा। ये कंटेनर अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग से आए थे। इन्हें वहीं वापस भेजा जाएगा।

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पिछले महीने भी इंडोनेशियाई सरकार ने कचरे के पांच कंटेनरों को अमेरिका वापस भेज दिया था क्योंकि इनमें प्रतिबंधित सामान पाए गए थे। पिछले साल चीन द्वारा पश्चिमी देशों के कचरे के आयात पर लगी रोक की वजह से पश्चिमी देशों ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का रुख किया था जिससे इंडोनेशिया में पश्चिमी देशों से आने वाले कचरे का वाल्यूम दोगुना हो गया। अब इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस ने भी इस कचरे को लेने से मना कर दिया है। व्यापार मंत्रालय के मुताबिक 2018 में इंडोनेशिया ने 32.04 करोड़ किलो कचरे का आयात किया। 2017 में यह मात्रा 12.88 करोड़ किलो थी। इंडोनेशिया के एक पर्यावरण समर्थक समूह इकोलॉजिकल ऑब्सर्वेशन एंड वेटलैंड कंजर्वेशन ने बताया कि विकसित देशों से आ रहे कचरे के कारण पूर्वी जावा राज्य में ब्रांतास नदी प्रदूषित हो चुकी है। इस नदी में पाई जाने वाली 80 प्रतिशत मछलियों में माइक्रोप्लास्टिक के नमूने मिले हैं।

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पश्चिमी देशों में इस्तेमाल के बाद प्लास्टिक का निस्तारण करने के लिए उसे एशियाई देशों को भेजना शुरू किया था। इसका सबसे बड़ा आयातक था चीन जहां इसे रिसाइकिल कर उपयोग में लाया जाता था। लेकिन चीन ने 2018 में इस कचरे को लेने से मना कर दिया। असल में कचरे से चीन का पर्यावरण प्रदूषित होने लगा था और वहां की हवा साफ नहीं रही। दूसरा, इस कचरे में आने वाले माल का बड़ा हिस्सा घटिया गुणवत्ता का होता था जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता था। ऐसे में इसका निस्तारण करने के तरीके चीन के पास भी नहीं थे। चीन के इंकार के बाद पश्चिमी देशों ने दूसरे एशियाई देशों का रुख किया। पहले तो इन देशों ने कचरा लेकर इसका उपयोग किया लेकिन चीन वाली समस्या यहां भी पैदा होने लगी। इस कारण मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, वियतनाम और अब इंडोनेशिया ने इस कचरे को लेने से मना कर दिया है। फिलीपींस और कनाडा के बीच तो इस कचरे को लेकर आपसी संबंधों में कड़वाहट आ गई थी। फिलीपींस ने कनाडा के कचरे से भरे 100 कंटेनर वापस कर दिए थे।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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