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गोटाबाया राजपक्षे : 'लिट्टे' के खात्मे में निभाई थी भूमिका, ऐसे बने श्रीलंका के राष्ट्रपति

श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रविवार को जारी मतों की गणना में पूर्व रक्षा सचिव गोटाबाया राजपक्षे ने जीत दर्ज कर ली। यह दावा किया है गोटाबाया राजपक्षे के प्रवक्ता ने।

Aditya Mishra
Published on: 17 Nov 2019 3:03 PM IST
गोटाबाया राजपक्षे : लिट्टे के खात्मे में निभाई थी भूमिका, ऐसे बने श्रीलंका के राष्ट्रपति
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नई दिल्ली: श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रविवार को जारी मतों की गणना में पूर्व रक्षा सचिव गोटाबाया राजपक्षे ने जीत दर्ज कर ली। यह दावा किया है गोटाबाया राजपक्षे के प्रवक्ता ने। शुरुआती रुझान के बाद ही राजपक्षे के प्रवक्ता ने घोषणा कर दी कि गोटाबाया जीत गये हैं। बता दें कि राजपक्षे का झुकाव चीन की तरफ बताया जाता है।

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कौन है गोटाभाया राजपक्षे

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं। श्रीलंका के रक्षा विभाग के सचिव रह चुके है। पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे के छोटे भाई है। 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। गोटाभाया का जन्म 20 जून 1949 को हुआ था। अब यह 70 साल के है।

मदासा ने मानी हार

श्रीलंका की सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार सजीथ प्रेमदासा ने देश में राष्ट्रपति पद के चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली और अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी एवं पूर्व रक्षा सचिव गोटबाया राजपक्षे को बधाई दी।

प्रेमदासा ने कहा, ‘लोगों के निर्णय का सम्मान करना और श्रीलंका के सातवें राष्ट्रपति के तौर पर चुने जाने के लिए गोटबाया राजपक्षे को बधाई देना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।’ प्रेमदास के बयान से पूर्व राजपक्षे के प्रवक्ता ने चुनाव परिणाम की आधिकारिक घोषणा से पहले दावा किया कि 70 वर्षीय सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल ने शनिवार को हुए चुनाव में जीत दर्ज की।

जीत पर पीएम मोदी ने दी बधाई

राजपक्षे की जीत पर मोदी ने उन्हें बधाई संदेश दिया। पीएम ने लिखा, 'श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए गोटाबाया राजपक्षे को बधाई। आशा है दोनों देश शांति, समृद्धि और क्षेत्र की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे।'



राजपक्षे के जीतने के भारत के लिए मायने

इन चुनावों पर भारत की भी नजर थी। राजपक्षे का जीतना भारत के लिए झटका साबित हो सकता है। दरअसल, राजपक्षे चीन समर्थक माने जाते हैं। पहले ही कहा जा रहा था कि अगर उनकी जीत हुई तो भारत के लिए यह अच्छी बात नहीं होगी।

दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार सजीथ प्रेमदासा, जिन्हें हार मिली है उनका रुख स्पष्ट नहीं था। पहले वह चीन के आलोचक थे लेकिन अब उनके सुर में नरमी देखी जा रही थी।

गोटाबाया श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं। पहले से ही उनके जीते जाने की उम्मीद थी। राजपक्षे खेमे को तमिल टाइगर्स का खात्मा करने की वजह से लोग काफी पसंद करते हैं।

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राजपक्षे काल में बढ़ी थी चीन से नजदीकियां

महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते चीन और लंका करीब आए। उस वक्त 2014 में राजपक्षे ने दो चीनी सबमरीन को उनके वहां खड़ा करने की इजाजत तक दी थी। अब उनके भाई गोटाबाया के जीतने के बाद श्रीलंका और चीन की नजदीकियां फिर बढ़ सकती हैं। इस स्थिति में चीन हिंद महासागर पर अपनी पकड़ ज्यादा मजबूत कर सकता है। चीन लंबे वक्त से इसकी कोशिशों में लगा है।

चीन के नियंत्रण में लंका का हंबनटोटा पोर्ट

श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारी लोन लिया था। फिर लोन चुका न पाने पर उसने यह अहम पोर्ट चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया। फिलहाल इसपर चीन का ही अधिकार है।

चीन ने श्रीलंका को एक युद्धपोत भी गिफ्ट किया हुआ है। ऐसा दिखाया गया कि यह आपसी संबंध मजबूत करने के लिए हुआ, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, ऐसा करके चीन हिंद महासागर में अपनी सैन्य पहुंच बना रहा है।

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