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हैकर्स की नजर अब भारत के इस प्लांट पर, लगातार कर रहे साइबर अटैक

एक गैर लाभकारी खुफिया संगठन ने ऑनलाइन दावा किया है कि अभी जल्द ही में तमिलनाडु के कुडकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट पर मालवेयर अटैक नॉर्थ कोरिया ने किया था। संगठन द्वारा किए गए इस दावे में जुड़े कुछ दस्तावेज भी जारी किए हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 5 Nov 2019 12:36 PM IST
हैकर्स की नजर अब भारत के इस प्लांट पर, लगातार कर रहे साइबर अटैक
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हैकर्स की नजर अब भारत के इस प्लांट पर, लगातार कर रहे साइबर अटैक

नई दिल्ली : एक गैर लाभकारी खुफिया संगठन ने ऑनलाइन दावा किया है कि अभी जल्द ही में तमिलनाडु के कुडकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट पर मालवेयर अटैक नॉर्थ कोरिया ने किया था। संगठन द्वारा किए गए इस दावे में जुड़े कुछ दस्तावेज भी जारी किए हैं। बता दें कि इशू मेकर्स लैब (आईएमएल) नाम के इस संगठन ने ये दावा किया है कि नॉर्थ कोरिया के इन हैकर्स ने इसके अलावा भारत के कुछ दिग्गज न्यूक्लियर साइंटिस्ट को भी निशाने पर लिया है।

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इस हैकिंग के लिए एक स्वदेशी कम्प्यूटर का इस्तेमाल

दावों में अटॉमिक एनर्जी कमिशन के पूर्व चेयरमैन और भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर के पूर्व डायरेक्टर अनिल काकोदकर और अटॉमिक एनर्जी रेग्युलेटरी बोर्ड के पूर्व चेयरमैन एस.ए. भारद्वाज भी शामिल हैं।

इस संगठन ने दावा किया, 'मालवेयर भरे मेल्स के जरिए ये हैकर्स भारत के न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में किसी से भी संपर्क कर सकते हैं।' संगठन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि नॉर्थ कोरियन हैकर्स ने इस हैकिंग के लिए एक स्वदेशी कम्प्यूटर का इस्तेमाल किया था, जिसे सिर्फ नॉर्थ कोरिया में ही इस्तेमाल किया जाता है। हैकर्स के आईपी अड्रेस से पता चला कि वे इसे राजधानी प्योंगयांग से संचालित कर रहे थे।

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हैकर्स का ये होता है इरादा

आईएमएल के अनुसार, इस मालवेयर अटैक का मुख्य मकसद जासूसी था। आईएमएल ने ट्वीट किया, 'दरअसल नॉर्थ कोरिया थोरियम आधारित न्यूक्लियर पावर में रुचि ले रहा है जो यूरेनियम आधारित न्यूक्लियर पावर को रिप्लेस कर सकता है।

भारत थोरियम आधारित न्यूक्लियर पावर तकनीक में वर्ल्ड लीडर है। पिछले एक साल से नॉर्थ कोरियन हैकर्स लगातार साइबर अटैक कर इस तकनीक से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जुटा रहे हैं।'

इसके साथ ही अटॉमिक एनर्जी डिपार्टमेंट के प्रवक्ता रविशंकर ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए हम पहले इन ट्वीट्स की प्रामाणिकता को जांचेंगे उसके बाद कुछ कह पाएंगे।'



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