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पाकिस्तान कोर्ट ने कहा, सजा से पहले मुशर्रफ की मौत तो शव को घसीटकर...
कोर्ट ने कहा कि यदि मुशर्रफ को फांसी दिए जाने से पहले उनकी मौत हो जाती है तो उनके शव को इस्लामाबाद के सेंट्रल स्क्वायर पर घसीटकर लाया जाए और तीन दिन तक लटकाकर रखा जाए।
नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह परवेज मुशर्रफ को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। अब कोर्ट ने अपने एक विस्तृत फैसले में बेहद अजीबोगरीब बयान दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि मुशर्रफ को फांसी दिए जाने से पहले उनकी मौत हो जाती है तो उनके शव को इस्लामाबाद के सेंट्रल स्क्वायर पर घसीटकर लाया जाए और तीन दिन तक लटकाकर रखा जाए।
मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाली पीठ के प्रमुख और पेशावर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ ने 167 पन्नों का विस्तृत फैसला लिखा है। उन्होंने लिखा कि फांसी दिए जाने से पहले मुशर्रफ की मौत होने पर भी पूर्व राष्ट्रपति को फांसी पर लटकाया जाना चाहिए।
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सैन्य शासक रहे परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा से पाकिस्तान की इमरान सरकार और सेना दोनों ही नाराज हैं। सेना ने कहा था कि एक ऐसा शख्स जो पाकिस्तान का राष्ट्रपति था और जिसने देश के लिए कई लड़ाइयां लडीं, उसे फांसी की सजा देना लोकतांत्रिक नहीं है। पाकिस्तान सरकार ने कहा कि वह न्यायाधिकरण के 'मानसिक रूप से अस्वस्थ' प्रमुख को हटाने के लिए उच्चतम न्यायिक परिषद का रुख करेगी।
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फैसले के मुताबिक हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश देते हैं कि भगोड़े/दोषी को गिरफ्तार करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी जाए और सुनिश्चित करें कि कानून के हिसाब से सजा दी जाए। अगर वह मृत मिलते हैं तो उनकी लाश को इस्लामाबाद के डी चौक तक खींचकर लाया जाए तथा तीन दिन तक लटकाकर रखा जाए।
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जज के मुताबिक 3 नवंबर 2007 में पाकिस्तान में जब आपातकाल लगाया गया तो उसके पीछ राजनीतिक फायदे की मंशा थी। जज ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा चुनी गई सरकार और सेना के सभी अधिकार हथिया लिए। जज ने कहा कि देश के चीफ एग्जिक्यूटिव होने की वजह अन्य स्तंभ भी उनके समर्थन में थे इसलिए उनके द्वारा पेश किए गए सबूत और गवाह भी विश्वास योग्य नहीं हैं।