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शिकारी पक्षी राष्ट्रपति भवन में: कर रहे तगड़ी सुरक्षा, तैनाती की वजह कर देगी हैरान

दुश्मन की साजिश पर पानी फेरने के लिए बाज जैसे पक्षियों को एक विशेष तरह की ट्रेनिंग मिल रही है। जिससे अगर कोई छोटा ड्रोन भी राष्ट्रपति भवन के आसपास दिखाई दे तो वो उससे भी निपट सकें।

Shreya
Published on: 12 March 2021 9:47 AM GMT
शिकारी पक्षी राष्ट्रपति भवन में: कर रहे तगड़ी सुरक्षा, तैनाती की वजह कर देगी हैरान
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शिकारी पक्षी राष्ट्रपति भवन में: कर रहे तगड़ी सुरक्षा, तैनाती की वजह कर देगी हैरान

मास्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के धुर विरोधी एलेक्सी नवलनी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। हालांकि रूस की जनता अभी भी सड़कों पर उनकी रिहाई की मांग को लेकर डटी हुई है। इस बीच राष्ट्रपति की सुरक्षा और बढ़ा दी गई है। आपको बता दें कि पहले से ही पुतिन के निवास यानी क्रेमलिन (Kremlin) में राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा काफी कड़ी है।

बाज और उल्लू जैसे पक्षी किए गए हैं तैनात

राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में सैनिकों, सीसीटीवी कैमरों के अलावा बाज और उल्लू जैसे पक्षी तैनात किए गए हैं, जो कि सुरक्षा का काफी अनूठा तरीका है। इन पक्षियों को सुरक्षा की लिहाज से एक खास तरह की ट्रेनिंग दी गई है। राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में कोई बाधा न आए इसलिए चुन चुन कर पक्षियों को शामिल किया गया है।

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फेडरल गार्ड सर्विस का हैं हिस्सा

बता दें कि ये पक्षी साल 1984 से फेडरल गार्ड सर्विस (FGS) का हिस्सा हैं। वहीं, इस स्क्वाड का लीडर रेप्टर नाम का शिकारी परिंदा है। इसके अलावा फिलहाल इस टीम में दस से ज्यादा ज्यादा बाज और उल्लू हैं। इसमें चुन चुन कर ऐसे पक्षी रखे जाते हैं, जिनमें अलग अलग तरह की खासियतें हों। उदाहरण के तौर पर कोई रात में शिकार करता हो तो दिन का शिकारी हो।

Eagle (सांकेतिक फोटो- सोशल मीडिया)

दी जाती है खास तरह की ट्रेनिंग

सुरक्षा में तैनात इन पक्षियों को कौओं को मारने और भगाने की अलग से ट्रेनिंग दी जाती है। दुश्मन की साजिश पर पानी फेरने के लिए बाज जैसे पक्षियों को एक विशेष तरह की ट्रेनिंग मिल रही है। जिससे अगर कोई छोटा ड्रोन भी राष्ट्रपति भवन के आसपास दिखाई दे तो वो उससे भी निपट सकें। यही नहीं इन्हें विदेशी ड्रोन को पहचानने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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क्या था तैनाती का मकसद

बता दें कि शुरुआत में शिकारी पक्षियों की तैनाती का मकसद क्रेमलिन में और वहां बनी सरकारी इमारतों को कौओं व अन्य पक्षियों के बीट, मूत्र और अन्य गंदगी से बचाना था। दरअसल, राष्ट्रपति भवन के आसपास कौओं और दूसरे पक्षियों का झुंड मंडराता रहता था। जिसे भगाने के लिए पहले गार्ड रखे गए, लेकिन ये उपाय नाकाम होने पर वहां शिकारी परिंदों की तैनाती की गई।

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