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यहां कभी नहीं बंद होता इंटरनेट, भारत को लेनी चाहिए इनसे सीख 

एक तरफ भारत हैं जहां किसी भी तरह की हिंसक गतिविधि को बढ़ने से रोकने के लिए राज्य सरकारें हो या केंद्र सरकार सबसे पहले इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का काम करती है, वहीं दुनिया के कई ऐसे देश भी हैं जहां के नागरिकों के लिए इन्टरनेट मूल अधिकार है।

Shivani Awasthi
Published on: 11 Jan 2020 4:23 PM IST
यहां कभी नहीं बंद होता इंटरनेट, भारत को लेनी चाहिए इनसे सीख 
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Internet is Basic Human Rights in These Countries

दिल्ली: एक तरफ भारत हैं जहां किसी भी तरह की हिंसक गतिविधि को बढ़ने से रोकने के लिए राज्य सरकारें हो या केंद्र सरकार सबसे पहले इंटरनेट (Internet) सेवाओं को बंद करने का काम करती है, वहीं दुनिया के कई ऐसे देश भी हैं जहां के नागरिकों के लिए इन्टरनेट मूल अधिकार है। दरअसल,कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद से इंटरनेट सेवायें बंद हैं। जिन्हें दोबारा शुरू करवाने के लिए लोगों को कोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी, लेकिन अन्य कई देशों ने अपने नागरिकों को इंटरनेट सेवा मूल अधिकार (Human Rights) के तौर पर दे रखी है।

जाने वो देश, जहां इंटरनेट है ह्यूमन राईट:

जिन देशों ने अपनी नागरिकों को इंटरनेट की सेवा मूल अधिकार के तौर पर दे रखी है, उनमें से एक है फ्रांस। फ्रांस की सर्वोच्च अदालत ने इटंरनेट एक्सेस को मूलभूत अधिकार माना। वहां सरकार किसी हाल में अपने लोगों को इंटरनेट सेवाओं से वंचित नहीं कर सकती।

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वहीं स्पेन में भी इंटरनेट नागरिकों का मूल अधिकार है। दरअसल, स्पेन में ये तय किया गया है कि राष्ट्रीय एजेंसी टेलेफोनिया हर किसी को उचित मूल्य पर ब्राडबैंड सेवा लेने की गारंटी दे। इसके तहत कम से कम देश के हर व्यक्ति को प्रति सेकेंड एक मेगाबाइट की स्पीड वाली इंटरनेट सेवा मिले।

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इसके अलावा फिनलैंड में भी हर नागरिक को एक मेगाबाइट प्रति सेकेंट का ब्राडबैंड कनेक्शन अनिवार्य तौर पर दिया जाता है। फिनलैंड में ये नियम साल 2010 से लागू है। वहीं साल 2015 ब्राडबैंड क्षमता को और बढ़ा दिया गया।

कनाडा में भी सरकार के आदेश पर कनाडा रेडियो टेलीविजन और टेलीकम्युनिकेशन भी हर नागरिक को इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराता है। ऐसा नागरिकों के मूल अधिकार के तहत होता है।

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वहीं कोस्टारिटा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये व्यवस्था बन गई कि इंफार्मेशन तकनीक और कम्युनिकेशन हर नागरिक का मानवाधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये नई तकनीक और इसके आधार चलने वाली प्रक्रियाएं किसी भी नागरिक का मूलभूत अधिकार हैं, इससे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट के आदेश के साथ ही सरकार हर हाल में सभी को इंटरनेट इस्तेमाल का अधिकार देती है।

kashmir internet

इसके अलावा एस्तोनिया ने पूरे देश में हर किसी के लिए मूल मानवाधिकार मानते हुए इंटरनेट उपलब्ध कराया। यह व्यवस्था साल 2000 से लागू की गयी है।

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गौरतलब है कि भारत में महीनों से जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद है। ऐसा आर्टिकल 370 लागू होने के बाद से है। जिसको लेकर कांग्रेस नेता समेत कई अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं हाल में नागरिकता कानून लागू होने के विरोध में भी यूपी समेत तमाम क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया था। इस वजह से नागरिकों, ख़ास कर के प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों को काफी परेशानी हुई थी।



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Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

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