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Israel-Gaza Conflict: काफी ताकतवर हो चुका है हमास, मिल रही हिजबुल्लाह से सैन्य मदद

Israel-Gaza Conflict: यह 2006 के दूसरे लेबनान युद्ध के बाद सबसे भारी रॉकेट हमला था। एक्सपर्ट्स ने कहा था कि ये राकेट रूस या चीन द्वारा डेवलप किये गए थे जिन्हें ईरान ने रीमॉडल किया था।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 7 Oct 2023 3:09 PM IST (Updated on: 7 Oct 2023 3:11 PM IST)
israel-palestine conflict
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israel-palestine conflict   (photo: social media )

Israel-Gaza Conflict: इस साल अप्रैल में हमास ने अपनी सैन्य क्षमता की झलक दी दी थी जब उसने लेबनान से इजरायल पर कम से कम 36 रॉकेट हमले किये थे। विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तरी इज़राइल पर दागे गए रॉकेट मूल रूप से ईरानी थे या लेबनान स्थित ग्रुप हिजबुल्लाह द्वारा आपूर्ति किए गए थे। यह 2006 के दूसरे लेबनान युद्ध के बाद सबसे भारी रॉकेट हमला था। एक्सपर्ट्स ने कहा था कि ये राकेट रूस या चीन द्वारा डेवलप किये गए थे जिन्हें ईरान ने रीमॉडल किया था। इज़राइल ने 2018 में चेतावनी दी थी: हमास लेबनान में अपना बेस बना रहा है। एक्सपर्ट्स ने पहले ही कहा था कि इज़राइल के खिलाफ अतिरिक्त मोर्चा खोलने के लिए हमास ने हाल के वर्षों में चुपचाप एक लेबनानी शाखा की स्थापना की हुई है। माना जाता है कि पूरे देश में इसकी अन्य चौकियाँ भी हैं।

हिजबुल्लाह के पास भी हैं उपकरण

दक्षिणी लेबनान पर कड़ा नियंत्रण रखने वाले शक्तिशाली हिजबुल्लाह आतंकवादी समूह के शस्त्रागार में इसी तरह के शक्तिशाली उपकरण हैं, जिससे यह आशंका पैदा हो रही है कि उसने अपनी कुछ सटीक मिसाइलें भी हमास को सौंप दी हैं। हो सकता है कि इजरायल के खिलाफ ताजा हमले में इन्हीं का इस्तेमाल किया गया। एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया था कि हिजबुल्लाह ने लेबनान में हमास के सदस्यों को इजरायल के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए लंबी दूरी के रॉकेट की आपूर्ति की थी।


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वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक, फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के उपाध्यक्ष जोनाथन शेंजर ने कहा था कि लेबनान में हमास के सैन्य बुनियादी ढांचे को पहली बार 2018 में संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के तत्कालीन राजदूत डैनी डैनन के एक पत्र में सार्वजनिक किया गया था। उन्होंने कहा था कि पत्र में स्पष्ट रूप से विवरण दिया गया है कि इज़राइल का मानना है कि हमास क्या कर रहा है। और अनुमानतः, संयुक्त राष्ट्र ने कुछ नहीं किया। और पांच साल बाद, हम मध्य पूर्व युद्ध की कगार पर हैं।


दिनांक 11 मई, 2018 के डैनन के पत्र, में कहा गया है : मैं आपका ध्यान दो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त आतंकवादी संगठनों, हमास और ईरानी प्रॉक्सी हिजबुल्लाह के बीच संबंधों की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। हमास गाजा, यहूदिया और सामरिया से परे लेबनान के क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों का विस्तार करने के लिए तेहरान में हिजबुल्लाह और उसके प्रायोजक के साथ मिलीभगत कर रहा है। उन्होंने कहा कि - हमास, हिजबुल्लाह और ईरान के बीच बढ़ता सहयोग न केवल इज़राइल के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है... इसका नेतृत्व हमास के पोलित ब्यूरो के लेबनान स्थित उप प्रमुख सालेह अल-अरौरी कर रहे हैं। हमास लेबनान में गुप्त रूप से अपना सैन्य बल बना रहा है। हमास ने सैकड़ों लड़ाकों की भर्ती की है और उन्हें प्रशिक्षित किया है, जिनमें ज्यादातर फिलिस्तीनी मूल के लोग हैं, और हजारों और लोगों को भर्ती करने की योजना है, जो एक बल में शामिल होंगे जो लेबनान में हमास की ओर से काम करेंगे।

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लेबनान में फलस्तीनी शरणार्थी

लेबनान हजारों फिलिस्तीनी शरणार्थियों और उनके वंशजों का घर है। कई लोग 12 शरणार्थी शिविरों में रहते हैं जो छोटे भूमध्यसागरीय देश में फैले हुए हैं। लंबे समय से चली आ रही सहमति के अनुसार, लेबनानी सेना शिविरों में प्रवेश नहीं करती है, जिससे अंदर की सुरक्षा हमास सहित फिलिस्तीनी गुटों को सौंप दी जाती है। ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने लंबे समय से इज़राइल की सीमाओं पर सबसे महत्वपूर्ण सैन्य खतरे का प्रतिनिधित्व किया है, उसके पास लगभग 150,000 रॉकेटों का शस्त्रागार है और उनमें सैकड़ों सटीक-निर्देशित मिसाइलें शामिल हैं।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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