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Israel News: इजरायल में न्यायिक बदलाव बिल पास, कोर्ट के अधिकार घटे

Israel News: छह महीने के विरोध प्रदर्शन और अमेरिकी दबाव के बावजूद, इज़राइल की संसद "नेसेट" विवादास्पद "तर्कसंगतता" विधेयक पारित कर दिया है। इसे न्यायपालिका को कमजोर करने की सरकार की योजना का पहला बड़ा कानून बताया गया है। विधेयक 64-0 के मत से पारित हुआ, सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया।

Neel Mani Lal
Published on: 25 July 2023 5:09 AM GMT
Israel News: इजरायल में न्यायिक बदलाव बिल पास, कोर्ट के अधिकार घटे
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Judicial Change Bill Passed in Israel (Photo: Social Media)

Israel News: इजरायल में अदालत के अधिकार में कटौती कर दी गई है। इस देश की स्थापना के बाद से अदालत प्रणाली में ये सबसे महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। अभी और बड़े बदलाव किए जाने बाकी हैं जिनके लिए अलग अलग विधेयक पेश किए जाएंगे और वोटिंग होगी।

बहरहाल, छह महीने के विरोध प्रदर्शन और अमेरिकी दबाव के बावजूद, इज़राइल की संसद "नेसेट" विवादास्पद "तर्कसंगतता" विधेयक पारित कर दिया है। इसे न्यायपालिका को कमजोर करने की सरकार की योजना का पहला बड़ा कानून बताया गया है।
विधेयक 64-0 के मत से पारित हुआ, सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया। जबकि वोट के दौरान विपक्ष के सभी सदस्य सदन से बाहर चले गये।

नेतन्याहू की तेजी

पिछले हफ्ते अफवाहें थीं कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू प्रस्तावित बदलाव पर वोटिंग वोट से पीछे हट सकते हैं या इसके कुछ पहलुओं को नरम भी कर सकते हैं लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। नेतन्याहू अस्पताल से रिहाई के तुरंत बाद संसद नेसेट पहुंचे और फटाफट कानून पास करवा दिया।

न्यायिक ओवरहाल योजना

तथाकथित "तर्कसंगतता विधेयक" के तहत अब सर्वोच्च न्यायालय को सरकारी निर्णयों को पलटने या उन्हें अनुचित घोषित करने की शक्ति नहीं रहेगी। यह नेसेट द्वारा पारित होने वाली न्यायिक ओवरहाल योजना का पहला प्रमुख हिस्सा है।
बता दें कि इस बड़े बदलाव ने देश को विभाजित कर दिया है और हजारों लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं।

क्या हैं बदलाव?

"न्यायिक ओवरहाल" के बारे में नेतन्याहू और उनके समर्थकों का कहना है कि इसका मतलब सरकार की शाखाओं के बीच शक्तियों का पुनर्संतुलन करना है, आलोचकों का कहना है कि यह इजरायली लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा है।
"तर्कसंगतता सिद्धांत" इज़राइल की न्यायपालिका के लिए कोई अनोखा नहीं है। इस सिद्धांत का उपयोग यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में किया जाता है। तर्कसंगता मानक का उपयोग आमतौर पर वहां की अदालतों द्वारा किसी भी कानून की संवैधानिकता या वैधता निर्धारित करने के लिए किया जाता है। इसमें न्यायाधीशों को यह अधिकार मिलता है कि वह ये तय कर सकते हैं कि सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णय "उचित" या तर्कसंगत हैं या नहीं।

इस मानक का उपयोग इस वर्ष किया गया था जब नेतन्याहू ने इजरायली उच्च न्यायालय के फैसले के अनुपालन में अपने प्रमुख सहयोगी आरये डेरी को सभी मंत्री पदों से बर्खास्त कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि आरये को सरकार में पदों पर नियुक्त करना अनुचित था और उन्होंने पिछले साल अदालत में कहा था कि वह सार्वजनिक जीवन से सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
न्यायिक ओवरहाल के तहत सरकार को न्यायाधीशों की नियुक्ति पर अधिक नियंत्रण मिल जाएगा तथा मंत्रालयों से स्वतंत्र कानूनी सलाहकारों को हटा दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट पर हमला

प्रधानमंत्री और उनके समर्थकों का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट एक अभिजात्य समूह बन गया है जो इजरायली लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। उनका कहना है कि सुप्रीमकोर्ट अपनी भूमिका से आगे बढ़कर उन मुद्दों में पड़ गया है जिन पर इसे नहीं पड़ना चाहिए।

अपनी योजनाओं का बचाव करते हुए, प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अमेरिका जैसे देशों की ओर इशारा किया है, जहां राजनेताओं द्वारा संघीय न्यायाधीशों की नियुक्ति और अनुमोदन किया जाता है। दूसरी ओर आलोचकों का यह भी कहना है कि नेतन्याहू खुद को अपने भ्रष्टाचार के मुकदमे से बचाने के लिए ओवरहाल को आगे बढ़ा रहे हैं।

Neel Mani Lal

Neel Mani Lal

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