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विचित्र बीमारी से मचा हाहाकार, देखते ही देखते लोग तोड़ रहे दम, अस्पतालों में बेड फुल
कावासाकी बीमारी को ठीक करने के लिए इंट्रावीनस इम्यूनोग्लोबुलिन एंटीबॉ़डी और एस्पिरिन ही दो दवाएं हैं। बच्चों को देखकर डॉक्टर बोल रहे थे कि बच्चों के बुखार को देख कर ऐसा लगता है कि उनकी नसों में खून नहीं आग बह रही हो।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका और यूरोपीय देशों में बच्चों में एक और दुर्लभ बीमारी फैल रही है। इसमें बच्चों के शरीर में खून पहुंचाने वाली रक्त धमनियों में सूजन आ जाती है।
ज्यादातर डॉक्टर संक्रमण को इसकी वजह मान रहे हैं। कम से कम छह देशों में ऐसी दुर्लभ बीमारी के 100 मामले देखे गए हैं। इसे कावासाकी बीमारी माना जा रहा है।
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ब्रिटेन में पहला मामला
इस बीमारी का पहला मामला लंदन में पिछले सामने आया था। यहां के स्वास्थ्य विभाग ने सभी बाल रोग विशेषज्ञों को चेतावनी भेजते हुए कहा था कि कई ऐसे बच्चे अस्पतालों के आईसीयू में हैं, जिनमें कावासाकी नामक बीमारी देखी गई है।
इसमें रक्त वाहिकाओं, हृदय और अन्य अंगों में सूजन आ जाती है। यूके में अब तक 19 बच्चों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं लेकिन किसी बच्चे की मौत नहीं हुई है।
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क्या है कावासाकी बीमारी
कावासाकी बीमारी पांच साल से कम उम्र के बच्चों को होती है। इसे म्यूकोक्यूटेनियस लिंफ नोड सिंड्रोम भी कहते हैं।
इस बीमारी में बच्चों लगातार बुखार रहता है। आंखें लाल हो जाती हैं। गले और जबड़े के आसपास सूजन, दिल की मांसपेशियां ठीक से काम नहीं करतीं, फंटे हुए होंठ, त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते या सूखे के निशान, जोड़ों में दर्द, हाथ-पैर की उंगलियों में सूजन और डायरिया।
कावासाकी बीमारी में खून की नसें सूज जाती हैं। उनमें जलन होने लगती है। इसकी वजह से शरीर में कई प्रकार के खतरनाक लक्षण दिखाई देते हैं।
कावासाकी बीमारी को ठीक करने के लिए इंट्रावीनस इम्यूनोग्लोबुलिन एंटीबॉ़डी और एस्पिरिन ही दो दवाएं हैं। बच्चों को देखकर डॉक्टर बोल रहे थे कि बच्चों के बुखार को देख कर ऐसा लगता है कि उनकी नसों में खून नहीं आग बह रही हो।
पहली रिपोर्ट यूके से आई। जहां 12 मामले हैं। इसके बाद फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलिविर वेरान ने बताया कि उनके देश में भी 15 बच्चे ऐसी ही बीमारी से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं, स्पेन, इटली, स्विट्जरलैंड और अमेरिका से भी ऐसे मामलों की जानकारी मिली है।
कावासाकी बीमारी की वजह से बच्चे गंभीर डायरिया से पीड़ित हो सकते हैं। यूरोप के नेशनल हेल्थ मिशन ने कहा है कि जिस बच्चे में ऐसे लक्षण दिखाई दें, उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाएं। जांच कराएं और इलाज कराएं।
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