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पाक में कुलभूषण से गुप्त स्थान पर मिले डिप्टी हाई कमिश्नर, ढाई घंटे चली मुलाकात

जब एक देश का नागरिक किसी दूसरे देश में बंद होता है, तब उसे कॉन्सुलेर एक्सेस की सुविधा दी जाती है। जाधव के मामले में डिप्टी हाई कमिश्नर गौरव अहलूवालिया ही कॉन्सुलेर एक्सेस हैं।

Manali Rastogi
Published on: 2 Sep 2019 5:50 AM GMT
पाक में कुलभूषण से गुप्त स्थान पर मिले डिप्टी हाई कमिश्नर, ढाई घंटे चली मुलाकात
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इस्लामाबाद: भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के लिए आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल, पाकिस्तान की जेल में बंद जाधव से आज डिप्टी हाई कमिश्नर गौरव अहलूवालिया ने मुलाकात की। यह मुलाकात ढाई घंटे चली। जाधव को आज विएना संधि के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा कॉन्सुलर एक्सेस दिया गया है। इसके तहत ही अहलूवालिया जाधव से मुलाकात करने पहुंचे।

यह मुलाकात कहां हुई, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन पहले कहा गया था कि मुलाकात पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय (इस्लामाबाद) में होगी।

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हालांकि, पाकिस्तान ने पहले भी कॉन्सुलर एक्सेस का ऑफर कुछ शर्तों के साथ दिया था। तब भारत ने इन शर्तों का कड़ा विरोध किया था। फिलहाल, इस बार भी पाकिस्तान ने रविवार को इसकी जानकारी दी कि कुलभूषण जाधव दो घंटों के लिए कॉन्सुलर एक्सेस दिया जाएगा।

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बता दें, पाकिस्तान की एक अदालत ने जाधव को 2017 में मौत की सज़ा सुनाई थी, जिसके बाद इंटरनेशनल कोर्ट में भारत ने इसके खिलाफ अपील की थी। इंटरनेशनल कोर्ट में भारत ये मामला जीत भी गया। यही कारण है कि पाकिस्तान लंबी लड़ाई के बाद अब जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस दे रहा है।

पाकिस्तान ने क्या रखी थी शर्त?

पाकिस्तान ने सबसे पहले ये शर्त रखी थी कि जाधव से जब भी कोई भारतीय राजनयिक मुलाक़ात करेगा तब उनके साथ कोई न कोई पाकिस्तान अधिकारी मौजूद रहेगा। भारत को इसपर आपत्ति थी, जिसका विरोध भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट में किया था। यहां भारत जीत गया, जिसके बाद पाकिस्तान जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस देने पर मजबूर गया।

कुलभूषण जाधव पर पाक ने क्या लगाए आरोप

पाकिस्तान ने जाधव को 2016 में गिरफ्तार किया था। तब पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि जाधव इंडियन जासूस हैं। पाकिस्तान के इस आरोप का खंडन भारत कई बार कर चुका है। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ही कोशिशें थीं कि जाधव की मां और पत्नी उनसे पाकिस्तान की जेल में मुलाक़ात कर पाई थीं।

कॉन्सुलेर एक्सेस क्या होता है?

जब एक देश का नागरिक किसी दूसरे देश में बंद होता है, तब उसे कॉन्सुलेर एक्सेस की सुविधा दी जाती है। जाधव के मामले में डिप्टी हाई कमिश्नर गौरव अहलूवालिया ही कॉन्सुलेर एक्सेस हैं। जाधव मामले कॉन्सुलेर एक्सेस का मतलब हुआ कि जब भारत और पाकिस्तान की सहमति से कोई भारतीय राजदूत उनसे मुलाक़ात कर पाये। कॉन्सुलेर एक्सेस को अधिकार है कि वह कैदी से ये पूछताछ कर सकता है कि उसके साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है।

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