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कोरोना से हंसते-हसंते मौत: डरे इस देश के लोग, लगातार आ रहे ऐसे मामले

कोरोना का संक्रमण दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिनकी वजह से लोगों का डर और भी बढ़ता जा रहा है।

Vidushi Mishra
Published on: 12 April 2020 7:58 AM GMT
कोरोना से हंसते-हसंते मौत: डरे इस देश के लोग, लगातार आ रहे ऐसे मामले
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नई दिल्ली : कोरोना का संक्रमण दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिनकी वजह से लोगों का डर और भी बढ़ता जा रहा है। 51 साल के एनिक जेसडानन जोकि पेशे से पत्रकार और 83 मैराथन दौड़ चुके हैं। उनका कोरोना वायरस संक्रमित होने के बाद इलाज हुआ तो उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं हुई। इसके बाद वे मार्च के आखिर में होने लगे थे, फेफड़े से संक्रमण मिट रहा था। लेकिन फिर अचानक 1 अप्रैल को उनकी हालत बिगड़ी तो फौरन उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया, यहां 13 घंटे बाद उनकी मौत हो गई।

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पागलपन भरे हालात

ऐसा ही दूसरा मामला आया, 25 साल की नर्स एमिली मुजिक्या न्यूयॉर्क के बाहरी इलाके में एक अस्पताल में भर्ती 44 साल की महिला की देखभाल कर रही थीं। यह महिला ठीक हो रही थीं। अचानक उसकी सांस उखड़ने लगी और वे उसे वेंटिलेटर से सांस देना शुरू की गई। अब वह जीवन के लिए संघर्ष कर रही है।

अमेरिका से ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां मरीजों की सेहत कुछ घंटों में इतनी तेजी से बिगड़ रही है कि वे सीधे मौत के मुंह में जा रहे हैं। अनुभवी स्वास्थ्यकर्मियों के मुताबिक, उन्होंने किसी बीमारी में ऐसा नहीं देखा। वे इन्हें पागलपन भरे हालात कह रहे हैं, क्योंकि वे कुछ नहीं कर पा रहे।

सांस के लिए भी जूझते मरीज

न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई अस्पताल की नर्स डायना टोरेस के मुताबिक, मरीज स्वस्थ महसूस करता है। उसे कुछ देर छोड़कर वापस लौटते हैं तो होश खो चुका होता है। मैं मरीजों से दूर जाने में डरने लगी हूं। ऐसा युवाओं के साथ भी हो रहा है। मरीज बातचीत करते आते हैं और कुछ घंटे बाद सांस के लिए भी जूझते मिलते हैं।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इरविंग मेडिकल सेंटर के मुख्य सर्जन डॉ. क्रेग स्मिथ के मुताबिक, वेंटिलेटर पर संक्रमित मरीज औसतन 2 हफ्ते बिता रहे हैं। इस दौरान अधिकतर की मौत हो रही है। मौतों का अनुपात सामान्य से कहीं अधिक है। वहीं महामारी की वजह से गड़बड़ियों भरे हालात से भी मौतें बढ़ रही हैं।

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‘साइटोकाइन लहर’

लॉस एंजिलिस के यूसीएलए में संक्रामक रोग विज्ञानी डॉ. ओटो यंग के मुताबिक, अचानक सेहत गिरने की वजह शरीर द्वारा जीवन को बचाने के लिए लाई गई ‘साइटोकाइन लहर’ होती है। इस प्रक्रिया में शरीर तेजी से रोग प्रतिरोधक कोशिकाएं पैदा करता है। लेकिन कोरोना वायरस इससे भी नहीं रुक पाता। इस दौरान बने साइटोकाइन तत्व रक्तचाप बढ़ाते और फेफड़ों व अन्य अंगों को विफल करने लगते हैं।

बात करती हुई लुइसियाना में लेडी ऑफ द लेक अस्पताल में वरिष्ठ नर्स लॉरी डगलस ने बताया कि उनके सामने युवा संक्रमित महिला की मौत हुई। उन्होंने बताया कि आमतौर पर पैरामेडिक्स को अंदाजा हो जाता है कि कौनसा मरीज मृत्यु के निकट है और कौन ठीक हो रहा है।

अपने 34 वर्ष के करिअर में उन्होंने अचानक इस प्रकार किसी बीमार को मरते नहीं देखा। यह युवा महिला एक हफ्ते पहले अपनी शादी की तैयारियां कर रही थीं, लेकिन अब उनका परिवार उनके अंतिम संस्कार की चिंता में डूबा है। अमेरिका की ऐसी हालत पर डॉक्टरों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिये हैं।

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Vidushi Mishra

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