TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

पत्तों वाला ड्रोन: अनानास का ऐसा इस्तेमाल, आसमान में उड़ने की रखेगा क्षमता

, मलेशिया के पुतरा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर मोहम्मद तारीक हमीद सुल्तान की टीम ने मिल कर एक ऐसा ड्रोन बनाया है, जो अनानास के पत्तों से निर्मित हैं।

Shivani Awasthi
Published on: 6 Jan 2021 7:03 PM IST
पत्तों वाला ड्रोन: अनानास का ऐसा इस्तेमाल, आसमान में उड़ने की रखेगा क्षमता
X

लखनऊ: टेक्नोलॉजी कितनी प्रगति पर है इस बात का पता तो एक ऐसे ड्रोन से चलता है, जिसे अनानास (pine apple) के पत्तो से बनाया गया है। मलेशिया के एक प्रोफेसर ने किसी फल के पत्तों से ड्रोन बनाने का कारनामा कर दिखाया है। ऐसा इन्वेंशन जान कर कोई भी अचरज में पड़ सकता है लेकिन जब पत्तों से बना ये ड्रोन आसमान में आसानी से उड़ा तो लोगों को विश्वास हो पाया।

मलेशिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने बनाया गजब का ड्रोन

दरअसल, मलेशिया के पुतरा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर मोहम्मद तारीक हमीद सुल्तान की टीम ने मिल कर एक ऐसा ड्रोन बनाया है, जो अनानास के पत्तों से निर्मित हैं। मोहम्मद तारीक हमीद सुल्तान ने अनानास के पत्तों को फाइबर में बदलकर ये कारनामा कर दिखाया है।

ये भी पढ़ें- इस खूबसूरत बिल्डिंग में खाड़ी देश सुलझाएंगे मुद्दे, केवल ढाई महीने में हुई थी तैयार

नानास के पत्तों को फाइबर में बदलकर तैयार किया ड्रोन

बताया जा रहा है कि कुआलालंपुर से लगभग 65 किमी की दूर हुलु क्षेत्र में किसानों द्वारा उपजाए जाने वाले अनानास के कचरों को निपटाने का स्थायी उपाय खोज रहे रिसर्जर्स ने एक ऐसा आईडिया निकाला, जिसकी वजह से न केवल अनानस की खेती के दौरान निकलने वाले कचरे का इस्तेमाल हुआ बल्कि विज्ञान को एक नई खोज मिल गयी।

उच्च शक्ति और भार ले जाने की क्षमता

रिपोट्स के मुताबिक, प्रोफेसर ने बताया कि "हम अनानास के पत्तों को एक फाइबर में बदल रहे हैं जो एयरोस्पेस एप्लिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी से एक ड्रोन का आविष्कार किया गया है।"

ये भी पढ़ेंः खतरनाक गर्भ निरोधक गोलियां, लेती हैं तो पहले ये जान लीजिए

इस बारे में जानकारी देते हुए प्रोफेसर मोहम्मद तारीक ने बताया कि बायो-कम्पोजिट सामग्री से बने ड्रोनों में सिंथेटिक फाइबर से बने वजन की तुलना में उच्च शक्ति और भार ले जाने की क्षमता है। यह सस्ता, हल्का और सरल भी है।

क्षतिग्रस्त होने पर जमीन में खराब होकर खत्म, नहीं आएगा हाथ

उन्होंने कहा कि अगर ये ड्रोन क्षतिग्रस्त हो जाता है तो उसका फ्रेम जमीन में दफन हो सकता है क्योंकि दो सप्ताह के भीतर वह खराब होकर मिट्टी में मिल जाएगा।

Drone

वहीं ये प्रोटोटाइप ड्रोन लगभग 1,000 मीटर (3,280 फीट) की ऊंचाई तक उड़ान भरने और लगभग 20 मिनट तक हवा में रहने में सक्षम है।

कहा जा रहा है कि अब रिसर्च टीम कृषि उद्देश्यों और हवाई निरीक्षणों के लिए इमेजरी सेंसर सहित बड़े पेलोड को ले जाने में सक्षम बड़े ड्रोन को बनाने की कोशिश कर रही है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story