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मास्क, दस्तानों से नया खतरा
कोविड-19 से जंग में सिंगल-यूज मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर की बोतलें - ये इंसानों को तो संक्रमण से बचा रही हैं लेकिन यही आइटम पर्यावरण के लिए मुसीबत बन रहे हैं। विश्व के तमाम देशों की तरह ग्रीस में भी लोग लॉकडाउन में जी रहे हैं
नई दिल्ली : कोविड-19 से जंग में सिंगल-यूज मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर की बोतलें - ये इंसानों को तो संक्रमण से बचा रही हैं लेकिन यही आइटम पर्यावरण के लिए मुसीबत बन रहे हैं। विश्व के तमाम देशों की तरह ग्रीस में भी लोग लॉकडाउन में जी रहे हैं यहां के छोटे से शहर कालामांता की सड़कें देखें या फिर न्यूयॉर्क और लंदन की, प्लास्टिक के कचरे की समस्या हर जगह दिखेगी। हांगकांग के पास सोको द्वीप जैसी जगहों पर भी कचरा पहुंच गया है, जहां कोई इंसान नहीं रहता। सोको द्वीप पर सैकड़ों मास्क समुद्र के तट पर फैले मिले हैं।
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वन्य जीवों पर असर
सिंगल-यूज प्लास्टिक वाले मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर की बोतलें और पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के अलावा आम लोगों द्वारा भी बड़े स्तर पर इस्तेमाल की जा रही हैं। चूंकि इस्तेमाल के बाद इनका निपटारा सही तरीके से नहीं हो रहा है, इसलिए पर्यावरण का ख्याल करने वालों की चिंता बढ़ गई है। अगर उन्हें सड़क पर ही फेंक दिया जाए तो बारिश के पानी के साथ दस्ताने और मास्क बहकर समुद्र में ही पहुंचेगे। बहुत से देशों में कचरे के
निपटारे की व्यवस्था पहले से ही बहुत अच्छी नहीं है।
लेकिन जहां कचरा निपटान की अच्छी व्यवस्था है वहाँ भी तमाम दूसरे तरीकों से मास्क समुद्र में पहुंच रहा है। कभी लोगों की जेब से गलती से गिर कर तो कभी कचरे के डिब्बे से उड़ कर भी मास्क पानी तक पहुंच जाते हैं। पीपीई आइटमों को अगर पानी या जीवों तक पहुंचने से बचा भी लिया जाए, तो भी इनका सही तरीके से निपटारा आसान नहीं होता। यूरोप की रीसाइक्लिंग योजना में रीटेलर्स और निर्माताओं को प्लास्टिक पैकेजिंग के इकट्ठा करने और ट्रीट किए जाने का खर्च उठाना होता है। चूंकि दस्ताने पैकेजिंग की श्रेणी में नहीं आते, इसलिए उन्हें घरेलू कचरे वाले कूड़ेदान में नहीं डाल सकते। यहां तक कि लेटेक्स रबर से बने दस्ताने बहुत इको फ्रेंडली नहीं होते। कइयों को बनाने में ऐसे केमिकल इस्तेमाल होते हैं, जो गलने पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
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क्या हैं साफ सुथरे स्थाई उपाय?
विश्व स्वास्थ्य संगठन बताता है कि नियमित तौर पर हाथ धोते रहने से दस्ताने पहनने के मुकाबले ज्यादा सुरक्षा मिलती है। इसी तरह अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी बता चुकी है कि आम लोगों को बार बार इस्तेमाल हो सकने वाले कपड़े के मास्क कोविड-19 के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। वहीं हेल्थ प्रोफेशनल्स के काम आने वाले पीपीई के विकल्प लाने पर काम चल रहा है। अमेरिकी कार निर्माता फोर्ड बार बार इस्तेमाल किए जाने वाले गाउन बना रही है, जिसे 50 बार तक इस्तेमाल किया जा सकेगा। नेब्रास्का यूनिवर्सिटी टेस्ट कर रही है कि क्या अल्ट्रावायलेट किरणों से ट्रीट करने पर मेडिकल मास्क को पूरी तरह साफ कर फिर से काम में लाया जा सकता है।