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जानवरों का महाविनाश: इतने सालों में आती है तबाही, सामने आई डराने वाली रिपोर्ट
जमीन पर रहने वाले जानवरों को 270 लाख साल के चक्र का सामना करना पड़ता है। जो जानवर इस चक्र का सामना करते हैं, उनमें उभयचर, सरीसृप, स्तनपायी और पक्षियों जैसे जीव भी शामिल हैं।
नई दिल्ली: धरती पर रहने वाले जानवरों को एक निश्चित समय के बाद महाविनाश का सामना करना ही पड़ता है। इस बात की जानकारी एक हालिया शोध में सामने आई है। इस स्टडी में सामने आया है कि जमीन पर रहने वाले जानवरों को 270 लाख साल के चक्र का सामना करना पड़ता है, जिसका पिछली बार महासागरों में हुए महाविनाश के साथ मेल है। बताया गया है कि जो जानवर इस चक्र का सामना करते हैं, उनमें उभयचर, सरीसृप, स्तनपायी और पक्षियों जैसे जीव भी शामिल हैं। यह शोध हिस्टॉरिकल बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
एक लय की तरह आ रहे सामने
अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ये महाविनाश (मास एक्टिंक्शन) विशाल क्षुद्रग्रह टकराव और विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोटों से फैले लावा की वजह से मेल खाता है जो कि इस तरह के विनाश का कारण बने थे। इस शोध के प्रमुख लेखक माइकल रैम्पिनो का कहना है कि ऐसा लगता है कि बड़े पिंडों के टकराव और पृथ्वी की आंतरिक गतिविधियों की दर, जिसने फ्लड-बेसाल्ट वोल्केनिज्म (Flood-Basalt Volcanism) बनाया था। बार बार किसी लय की तरह महाविनाश के रूप में आ रहे हैं। यह हर 270 लाख सालों में आ रहे हैं।
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अचानक होने वाली घटनाएं नहीं
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह हमारी गैलेक्सी की कक्षा द्वारा गतिमान होते हैं। करीब 660 लाख साल पहले धरती और महासागरों की सभी प्रजातियों की 70 प्रतिशत आबादी विलुप्त हो गई थी। इसमें डायनासोर (Dinosaurs) भी शामिल थे। इसका प्रमुख कारण एक विशाल क्षुद्रग्रह या धूमकेतु का पृथ्वी से टकराना था। जीवाश्मविज्ञानियों ने पाया कि महासागरों में हुए महाविनाश, जिसमें 90 फीसदी प्रजातियां विलुप्त हो गईं, यह कोई अचानक होने वाली घटनाएं नहीं थीं। ऐसा लगतात है कि जानवरों को हर 270 लाख सालों में इस महाविनाश के चक्र का सामना करना पड़ता है।
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(फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया)
275 लाख सालों में होता है चक्र का समाना
इस शोध में जमीन पर रहने वाले जानवरों के महाविनाश के रिकॉर्ड की पड़ताल की गई और यह निष्कर्ष निकला कि वे महासागरीय जीवन के महाविनाशों के साथ हुए थे। इस ऐतिहासिक जीवविज्ञानी अध्ययन में शोधकर्ताओं ने धरती की प्रजातियों के विलुप्त होने का नया सांख्यकीय विश्लेषण किया और यह दर्शाया कि इन घटनाओं ने एक समान चक्र का समाना किया है जो हर 275 लाख सालों में आता है।
महाविनाश का बड़ा कारण
रैम्पिनो ने बताया कि इस शोध से पता चला है कि धरती और महासागरों में अचनाक हुए महाविनाश, 260-260 लाख साल के चक्र के एक साथ होने से इस बात को बल मिलता है कि एक समय के बाद होने वाली घटनाएं महाविनाश को उत्पन्न करने के पीछे का कारण बनती हैं। अभी तक ऐसे तीन मौके आए हैं। तीनों मौकों पर वैश्विक दुर्घटनाएं हुई और तभी महाविनाश भी हुआ। शोधकर्ताओं ने पाया कि केवल क्षुद्रग्रह का टकराव ही इसके पीछे की वजह नहीं रहा, बल्कि ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण फैली लावा की बाढ़ इसका ज्यादा बड़ा कारण रही।
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