TRENDING TAGS :
ऐसा महाभयानक नरसंहार: मारा अपने ही बच्चों और पत्नियों को, हुई 8 लाख मौतें
इतिहास के पन्नों में दर्ज एक ऐसा महाभयानक नरसंहार जो अफ्रीका के रवांडा में हुआ था। ये नरसंहार 100 दिनों तक चला। जिसमें सौ-पचास नहीं बल्कि आठ लाख लोग मारे गए थे। अब अगर इसे इतिहास की घटनाओं का सबसे बड़ा नरसंहार कहें, तो ये बिल्कुल गलत नहीं होगा।
नई दिल्ली। वैसे तो दुनिया के इतिहास में नरसंहार की कई कहानियों के चर्चे मिलते हैं, जिनकों आज तक नहीं भुलाया जा सका है। ऐसा ही महाभयानक नरसंहार अफ्रीका के रवांडा में हुआ था। ये नरसंहार 100 दिनों तक चला। जिसमें सौ-पचास नहीं बल्कि आठ लाख लोग मारे गए थे। अब अगर इसे इतिहास की घटनाओं का सबसे बड़ा नरसंहार कहें, तो ये बिल्कुल गलत नहीं होगा। जिसमें पूरे के पूरे परिवार और शहर के शहर तबाह हो गए। बताते है इस नरसंहार के बारे में।
ये भी पढ़ें...जनऔषधि लाभार्थियों से संवाद में बोले पीएम मोदी- आप लोग मेरे अच्छे सहयोगी बन गए
दोनों राष्ट्रपति की मौत
ये नरसंहार साल 1994 में रवांडा के राष्ट्रपति जुवेनल हाबयारिमाना और बुरुंडी के राष्ट्रपति सिप्रेन की हत्या की वजह से शुरू हुआ था। यहां विमान क्रैश होने की वजह से इन दोनों राष्ट्रपति की मौत हो गई थी। लेकिन ये अभी तक साबित नहीं हो पाया कि हवाई जहाज को क्रैश कराने में किसका हाथ था।
फोटो-सोशल मीडिया
इस बारे में कुछ लोग रवांडा के हूतू चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराते हैं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि रवांडा पैट्रिएक फ्रंट (आरपीएफ) ने ये काम किया था। दरअसल दोनों ही राष्ट्रपति हूतू समुदाय से संबंध रखते थे, इसलिए हूतू चरमपंथियों ने इस हत्या के लिए रवांडा पैट्रिएक फ्रंट को जिम्मेदार ठहराया। जबकि आरपीएफ का आरोप था कि जहाज को हूतू चरमपंथियों ने ही उड़ाया था, जिससे उन्हें नरसंहार का एक बहाना मिल सके।
दरअसल में लाखों मौत वाला नरसंहार तुत्सी और हुतू समुदाय के लोगों के बीच हुआ। जोकि एक जातीय संघर्ष था। कई इतिहासकारों के अनुसार, 7 अप्रैल 1994 से लेकर अगले 100 दिनों तक चलने वाले इस खूनी संघर्ष में हूतू समुदाय के लोगों ने तुत्सी समुदाय से आने वाले अपने पड़ोसियों, रिश्तेदारों और यहां तक कि अपनी पत्नियों को ही मारना शुरू कर दिया। ये बहुत ही भयानक था।
फोटो-सोशल मीडिया
ये भी पढ़ें...जानिए आखिर क्यों फटते हैं बादल, सामने आया वीडियो, देखकर हो जाएंगे हैरान
पत्नियों को मार डाला
यहां हूतू समुदाय के लोगों ने तुत्सी समुदाय से संबंध रखने वाली अपनी पत्नियों को इस वजह से मार डाला, क्योंकि अगर वो ऐसा नहीं करते तो उन्हें ही मार दिया जाता। इतना ही नहीं, तुत्सी समुदाय के लोगों को मारा तो गया ही। इसके साथ ही इस समुदाय से संबंध रखने वाली महिलाओं को सेक्स स्लेव (यौनक्रिया के लिए गुलाम) बनाकर भी रखा गया।
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस मौतो के नरसंहार में केवल तुत्सी समुदाय के ही लोगों की हत्या हुई। इसमें हूतू समुदाय के भी हजारों लोग मारे गए। इस बारे में कुछ मानवाधिकार संस्थाओं के अनुसार, रवांडा की सत्ता हथियाने के बाद रवांडा पैट्रिएक फ्रंट (आरपीएफ) के लड़ाकों ने हूतू समुदाय के हजारों लोगों की हत्या की। फिर इस नरसंहार से बचने के लिए रवांडा के लाखों लोगों ने भागकर दूसरे देशों में जाकर वहां कीशरण ले ली थी। जिससे इनकी जान बच पाई थी।
ये भी पढ़ें... बाराबंकी: बीजेपी नेता रंजीत बहादुर ने बताया इसलिए सपाई लगाते हैं लाल टोपी