TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Mental Health: मानसिक विकार की विकरालता, 15 फीसदी बच्चों को लेना पड़ा इलाज

Mental Health: यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के नए शोध के अनुसार,2021 में अमेरिका में 15 फीसदी बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लिए इलाज किया गया था।

Neel Mani Lal
Published on: 13 Jun 2023 12:58 PM IST
Mental Health: मानसिक विकार की विकरालता, 15 फीसदी बच्चों को लेना पड़ा इलाज
X
Mental Health (photo: social media )

Mental Health: अमेरिका में 2021 में 15 फीसदी बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लिए इलाज किया गया था। ये बड़ा आंकड़ा है।

इसे भारत के परिप्रेक्ष्य में देखिए। कितने लोग बच्चों को काउंसिलिंग या मानसिक इलाज के लिए ले जाते हैं, या कितनों को करीब में ऐसी सुविधा उपलब्ध है?

सच्चाई ये है कि मानसिक समस्याएं आज इस कदर हमारे बीच व्याप्त हैं कि कि इसका सही अंदाज़ा लगाना भी कठिन है। प्रतिष्ठित साइंस पत्रिका लांसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक भारत मे 2017 में 19 करोड़ 73 लाख लोगों को मानसिक विकार थे, जिनमें 4 करोड़ 57 लाख को अवसादग्रस्तता विकार और 4 करोड़ 49 लाख को चिंता यानी एंग्जायटी विकार थे। ध्यान दें कि ये कोरोना के पहले का आंकड़ा है। कोरोना आने के साथ मानसिक समस्याओं में जबर्दस्त वृद्धि होने की आशंका है। 2017 में सात में से एक भारतीय अलग-अलग गंभीरता के मानसिक विकारों से प्रभावित था। भारत में कुल रोग भार में मानसिक विकारों का आनुपातिक योगदान 1990 के बाद से लगभग दोगुना हो गया है।

सीडीसी की रिपोर्ट

यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के नए शोध के अनुसार,2021 में अमेरिका में 15 फीसदी बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लिए इलाज किया गया था।

सीडीसी के नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स द्वारा जारी की गई खोज बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य विकार - जैसे कि अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर, हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर या एंग्जायटी स्कूली उम्र के बच्चों में आम हैं।

सीडीसी के नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स द्वारा मंगलवार को जारी की गई खोज बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य विकार - जैसे ध्यान-घाटे / अति सक्रियता विकार या चिंता - स्कूली उम्र के बच्चों में आम हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य साक्षात्कार सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चला है कि मानसिक समस्या के लिए अधिकांश उपचार 12 से 17 वर्ष के बीच के किशोरों में किया गया। लड़कियों की तुलना में लड़कों को मानसिक स्वास्थ्य के लिए दवाओं का अधिक सेवन करना पड़ा।

आंकड़ों से पता चला है कि 2021 में 5 से 17 वर्ष की आयु के 14.9 फीसदी बच्चों ने अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपचार प्राप्त किया था, जिसमें 8.2 फीसदी बच्चों को दवाएँ लेनी पड़ीं थीं और 11.5 फीसदी बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक से परामर्श या चिकित्सा प्राप्त करने की जरूरत पड़ी थी।

- उम्र के हिसाब से डेटा का विश्लेषण करने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि 12 से 17 साल के 18.9 फीसदी बच्चों का इलाज मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए किया गया। जबकि 5 से 11 साल के 11.3 फीसदी बच्चों का इलाज किया गया।

- अनुमानित 9 फीसदी लड़कों और 7.3 फीसदी लड़कियों ने अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए दवा लेने की जानकारी दी।

- शोधकर्ताओं ने पाया कि 18.3 फीसदी श्वेत बच्चों ने मानसिक स्वास्थ्य इलाज प्राप्त किया, जबकि 12.5 फीसदी काले बच्चों, 10.3 फीसदी हिस्पैनिक बच्चों और 4.4 फीसदी एशियाई बच्चों को इसकी जरूरत पड़ी।

उम्र बढ़ने के साथ दिक्कतें बढ़ेंगी

उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय में सामान्य बाल चिकित्सा और किशोर चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ। रेबेका बॉम ने कहा है कि नई रिपोर्ट उससे जो मेल खाती है जो प्रैक्टिस में देखने को मिलता है कि जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति बढ़ती जाती है। यानी बड़े बच्चों और किशोरों को मानसिक स्वास्थ्य उपचार, दवा या परामर्श प्राप्त करने की अधिक संभावना होगी। यह भी चिंता का विषय है कि एंग्जायटी जैसे मानसिक स्वास्थ्य विकार वाले कई बच्चों को अभी भी वह उपचार नहीं मिल रहा है जिसकी उन्हें आवश्यकता है।

आप भी सचेत और जागरूक बनें

मानसिक स्वास्थ्य संबंधित विकार एक बड़ी समस्या है। ये किसी भी बैकग्राउंड के किसी भी उम्र के व्यक्ति को परेशान कर सकती है। सबसे अच्छा उपाय है कि शुरुआती लक्षणों में ही चिकित्सीय परामर्श ले लिया जाए। ध्यान रखें कि मानसिक समस्या के कारण कई हो सकते हैं इसलिये उनको जानना और उपयुक्त इलाज करना महत्वपूर्ण है।



\
Neel Mani Lal

Neel Mani Lal

Next Story